दोस्तो, हो सकता है आपने कभी सुना हो या ऐसा मरीज़ देखा हो जिसके गले में छेद किया हुआ हो और और ट्यूब डली हो. और आपने सोचा हो की ये क्या है? दोस्तों, ये tracheostomy है यानी tracheo- stomy यानी trachea में stomy या trachea या साँस की नली में छेद है. आज हम इसी topic पर चर्चा करेंगे की tracheostomy क्या होती है? इसे बनाने की ज़रूरत आख़िर क्यों पड़ती है? Iske fayde kya hai, इसकी देखभाल घर पे कैसे की जाती है? tracheostomy hone par patient ko किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है? Aur isse se jude hue sare bhramo ko hum door karenge, नमस्कार दोस्तों , मैं डॉक्टर दिवांशु गुप्ता, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन देने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें.

दोस्तों, सबसे पहले जानते हैं की tracheostomy क्यों बनानी पड़ती है और किन मरीज़ों में इसकी ज़रूरत पड़ती है? वे मरीज़ जिन्हें सर में अंदरूनी कोई चोट लगी है, या stroke के मरीज़ या वे मरीज़ जिन्हें रीढ़ की हड्डी में कोई चोट लगी है और उन्हें लकवा हुआ है, या वे मरीज़ जिन्हें larynx या voice box का कैंसर है और उसकी वजह से ऑपरेशन हुआ हो या head एंड neck का कैंसर हो. इन सभी मरीज़ों में एक बात common हो सकती है, वह ये कि इन सभी मरीज़ों को ventilator से साँस देने की ज़रूरत पड़ी है क्योंकि ये मरीज़ ख़ुद से साँस नहीं ले पा रहे हैं या अपना airway यानी साँस का रास्ता protect ना कर पा रहे है. ऐसे मरीज़ों में मुँह में बनने वाला थूक या secretions इकट्ठा होता रहता है और वे इसे निगल नहीं पाते हैं और ये थूक साँस कि नली के रास्ते फेफड़ों में जा सकता है जिसे मेडिकल भाषा में aspiration कहते हैं और ये थूक फेफड़ों में जाके फेफड़ों को ख़राब कर सकता है. इन सभी मरीज़ों को पूरी तरह ठीक होने में महीनों या सालों भी लग सकते हैं और इसलिए इन मरीज़ों में tracheostomy की ज़रूरत पड़ती है. icu में ventilator से weaning मतलब ventilator से हटाने में भी tracheostomy मदद करती है. अक्सर जब मरीज़ के relatives को tracheostomy की ज़रूरत के बारे में doctors बताते हैं तो relatives अक्सर घबरा जाते हैं, parantu aako darne ki jarurat hai, इसके लिए doctor आपको पहले पूरे procedure को कैसे किया जाएगा ये समझाते है. आपसे counseling form पर sign कराये जाते है और आपसे consent भी ली जाती है. अब आप सोचेंगे की साँस की नली से भी साँस दी जा सकती है तो tracheostomy क्यों. दोस्तों, साँस की नली ya jise medical bhasha me endotracheal tube kaha jata hai, muh se साँस की नली में डाली जाती है जिसे वेंटीलेटर से जोड़ा जाता है और साँस दी जाती है. ये साँस की नली लंबी होती है जिससे scretions से ब्लॉक होने का ख़तरा बढ़ जाता है. और अपनी जगह से हिलने का रिस्क भी ज़्यादा रहता है. ये मुँह के रास्ते डाली जाती है जिससे मुँह occupy हो जाता है, मुँह की सफ़ाई ठीक से हो नहीं पाती है और मरीज़ दांतों से tube को दबा भी सकता है. मरीज़ कुछ खा पी भी नहीं सकता है. मरीज़ बोल भी नहीं पाता है. इसलिए उन मरीज़ों में tracheostomy की जाती है जिन में लंबे समय तक airway को protect करने की ज़रूरत होती है.

अब जानते हैं कि tracheostomy के फ़ायदे क्या है? यह वेंटीलेटर से मरीज़ को हटाने में मदद करती है, इसके बाद मुँह की सफ़ाई की जा सकती है, मरीज़ खा पी भी सकता है, मरीज़ बोल भी सकता है, आवाज़ पहले जैसी नहीं होगी पर मरीज़ आपको अपनी बात समझा पाएगा, tracheostomy tube का अपनी जगह से displace होने का रिस्क कम होता है, ट्यूब की सफ़ाई करना भी आसान है, ट्यूब को बदलना भी आसान होता है. tracheostomy किसी भी उम्र के मरीज़ में की जा सकती है फिर वह चाहे बच्चा हो या बूढ़ा.

tracheostomy दो तरह से की जा सकती है. पहला तरीक़ा है surgical जिस में गले पर चीरा लगा कर trachea को expose किया जाता है और trachea में चीरा लगाके tracheostomy tube डाली जाती है. दूसरा तरीक़ा है per cutaneous tracheostomy या pct जिस में एक अलग किट आता है जिसकी मदद से tracheostomy बनायी जाती है. pct surgical tracheostomy की तुलना में एक महँगा प्रोसीजर है क्योंकि pct kit ही काफ़ी महँगा आता है. पर pct का फ़ायदा ये होता है की यह icu में मरीज़ के bedside पे ही हो जाती है और इसे icu के डॉक्टर भी कर सकते हैं जबकि surgical tracheostomy के लिए मरीज़ को operation theatre में ले कर surgery करनी पड़ती है जो सिर्फ़ ent सर्जन ही करते हैं. tracheostomy से मरीज़ को ventilator से कनेक्ट करके साँस दी जा सकती है या सिर्फ़ oxygen से connect कर t piece से साँस दी जा सकती है. और मरीज़ अगर ख़ुद से साँस ले पा रहा है पर हमे aspiration से बचाना है तो मरीज़ को tracheostomy के साथ room air पे भी छोड़ा जा सकता है. और tracheostomy के साथ घर भी भेजा जा सकता है.
अब थोड़ा tracheostomy tube के बारे में जान लेते हैं. tracheostomy tube कई sizes में उपलब्ध है और यह tube क़रीब पाँच सेंटी मीटर की होती है. इसके गले वाले हिस्से पे बांधने के लिये tie होती है जिससे ट्यूब को अपनी जगह फिक्स किया जाता है. trachea वाले छोर पर एक cuff होता है जो बाहर एक pilot balloon से connected होता है और यहीं से कफ में हवा डाली जाती है. इस हवा से कफ फूलता है और trachea में फिट हो जाता है. इस कफ का ये फ़ायदा है की थोड़ा थूक भी इस कफ को cross कर के फेफड़ों में नहीं जा सकता है. जब मरीज़ को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाता है तो tracheostomy care मरीज़ के attendant को सिखाई जाती है. इसलिए जब भी आपको ये बताया जाये आपको ध्यान से सीखना है और अगर कोई सवाल आपके मन में है तो वह भी आप पूछ सकते हैं.

अब बात करते हैं की कैसे घर पे आपको tracheostomy की केयर करनी है और किन बातों का ध्यान रखना है. घर पे आपको tracheostomy tube का सक्शन करना है . आपको हर एक से दो घंटे में सक्शन से इस tube की सफ़ाई करनी है जिससे की ट्यूब में secretions जमा हो कर उसे ब्लॉक ना कर दे. सक्शन के लिये suction catheter का इस्तेमाल किया जाता है और इसे गले में बने छेद में एक उँगली जितनी गहराई तक डालना चाहिए. मरीज़ को Nebulise भी कर सकते है जिस में भाप की फॉर्म में दवा इस छेद से दी जाती है. यह भाप छेद से ले कर फेफड़ों तक के रास्ते में इकट्ठे हुए secretions को पिघलाने का काम करती है जिससे की खांसी से ये secretions बाहर निकल पाये. आपको एक एक्स्ट्रा ट्यूब घर पे रखनी है क्योंकि ज़रूरत पड़ने पर tube को बदलना पड़ सकता है. और निकाली गई ट्यूब को आप एक ऐसे बर्तन में रखे जिस में एक लीटर पानी में एक ढक्कन savlon मिलाया हुआ है. इस घोल में रखने से ट्यूब को साफ़ करना आसान हो जाता है. अगर tracheostomy tie गंदी हो गई है तो इन्हें भी आपको बदलना है. हर दो घंटे पर tube के कफ की हवा थोड़ी देर के लिए निकालनी है और थोड़ी देर बाद फिर से डालनी है. ऐसा करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि कफ के लगातार दबाव से trachea पे प्रेशर पड़ता है और trachea कमजोर हो सकती है जिसे tracheomalacia भी कहते हैं. tracheomalacia की वजह से साँस की नली collapse हो सकती है या पिचक सकती है इसलिए समय समय पर cuff deflate करना ज़रूरी है. गले पे बने मुँह के चारों और भी समय समय पर सफ़ाई करनी है. मरीज़ को ये ध्यान रखना है की ये ट्यूब पानी में डूबनी नहीं चाहिए यानी bathtub और swimming pool आपको avoid करना है. आपको नहाते समय भी ये ध्यान रखना है आपकी ट्यूब में पानी नहीं जाना चाहिए इसलिए शावर भी ध्यान से ले. एक गीले gauze पीस को हमेशा tracheostomy के मुँह पर रखना है जिससे की बाहर की सूखी हवा फेफड़ों में ना पहुँच पाये और इस गीली gauze piece से हवा में नमी आ जाये. बाज़ार में tracheostomy के लिए special humidifier या फ़िल्टर भी मिलते है पर ये सभी लोग afford नहीं कर सकते है तो ऐसे में गीला gauze piece एक best alternative है.

दोस्तों, ऐसा नहीं है कि tracheostomy अगर एक बार हो गई तो ज़िंदगी भर रहेगी. जैसे ही वह बीमारी जिसकी वजह से tracheostomy की गई थी, ठीक होने लगती है और मरीज़ अपना airway protect करने में सक्षम हो जाता है यानी साँस अच्छे से ले पा रहा है और खाना बिना खांसी के निगल पा रहा है तो डॉक्टर tracheostomy हटाने का प्लान बना सकते है. tracheostomy closure के लिए इस ट्यूब को निकाल कर ड्रेसिंग कर दी जाती है और यह घाव धीरे धीरे अपनेआप भर जाता है. तो दोस्तों, आज हमने जाना tracheostomy के बारे में और उसके रख रखाव के बारे में. tracheostomy से घबराने की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि ये मरीज़ के साँस के रास्ते को बचाने के लिए बनायी जाती है. इसे आप मरीज़ की केयर में एक step down समझे. यानी मरीज़ ठीक तो हो रहा है पर पूरी तरह से ठीक नहीं है और इसीलिए tracheostomy की जा रही है. और जैसे ही मरीज़ पूरी तरह ठीक होने लगता है इसे हटा दिया जाता है. हाँ! इसमें समय लगता है. केयर लगती है. इसलिए आपको सब्र तो रखना होगा. पर मरीज़ ठीक होता है और tracheostomy closure कर दिया जाता है और मरीज़ फिर से पहले कि तरह साँस ले पाता है.