दोस्तों, क्या आप हर थोड़ी थोड़ी देर में अपना फ़ोन चेक करते हैं? क्या आप किसी दोस्त या परिवार के साथ समय बिता रहे हैं पर फिर भी आप बीच बीच में फ़ोन उठाते है, social media check करते हैं कि आपके पोस्ट को कितने likes मिले? क्या आप बिना सोशल मीडिया चेक किए कुछ घंटे भी नहीं रह पाते हैं और जब भी आप social media platform पे जाते हैं तो वहाँ कब तीन चार घंटे निकल जाते हैं आपको पता भी नहीं चलता है? क्या आपको फ़ोन पर porn देखने की भी आदत है? क्या आपके smartphone की वजह से आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी, आपका काम, आपके रिश्ते और यहाँ तक की आपका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है? तो दोस्तों आपको mobile से addiction है या यूँ कहे mobile की लत है. और आज हम इसी addiction या लत की बात करेंगे जो बच्चों से लेके बूढ़ों तक को लग गई है. और अगर हमने इसे जल्द ही नहीं रोका तो ये हमे और हमारी आने वाली पीढ़ियों को बहुत नुक़सान पहुँचा सकती है. नमस्कार दोस्तों , मैं डॉक्टर दिवांशु गुप्ता, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन देने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें.

आज के digitalized युग में बहुत ज़रूरी है की हम दुनिया के साथ चले और सारी technology को अपनाए और समझे. इनमें सबसे मुख्य है अभी जो आपके आँखों के सामने है वह. हम सबके पास smart phones हैं और हम समय समय पर इन्हें अपडेट करते रहते हैं और हम समझ गये हैं की हमारे smartphones और प्रगति करेंगे और नयी नयी टेक्नोलॉजी वाले smartphones आयेंगे पर इनका इस्तेमाल कभी बंद नहीं होगा. तो ज़रूरी है कि हम ये समझे की इनका उपयोग कितना करना है और कैसे करना है और कैसे इनका उपयोग हम कम कर सकते हैं.

दोस्तों, सबसे पहले हम बात करते हैं की कैसे mobile के ज़्यादा उपयोग से या ज़्यादा screen time से हमारी physical health और mental health पर असर हो रहा है. सबसे पहला असर तो हमारी आँखों पर हो रहा है जो स्क्रीन पर देखने से आँखों पर ज़ोर पड़ता है और लोगों की आँखें कमजोर हो रही है, बच्चों को जल्दी ही चश्मे लग रहे हैं. और इसी वजह से सरदर्द जैसी समस्या भी बढ़ गई है. लगातार मोबाइल को स्क्रीन देखने से गर्दन, कंधों और हाथों में जकड़न हो सकती है और cervical का दर्द भी होने लग सकता है. मोबाइल की स्क्रीन से harmful blue light निकलती है जो हमारी आँखों को तो नुक़सान पहुँचाती ही है पर इसके अलावा रात को मोबाइल के इस्तेमाल से यह लाइट आँखों के पर्दे पे जब गिरती है तो हमारे नींद के hormone यानी के melatonin का production कम कर देती है और हमारे circadian rhythm को भी डिस्टर्ब कर देती है जिससे insomnia मतलब अनिद्रा होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है. studies में ये भी पाया गया है कि अगर आप मोबाइल का इस्तेमाल रात 11 बजे से सुबह 4 बजे के बीच करते हैं तो इससे हमारे दिमाग़ में एक circuit trigger होता है जिसे Habenula कहा गया है. इस circuit के trigger होने से dopamine हॉर्मोन का लेवल कम हो जाता है जिससे निराशा बढ़ती है और depression भी हो सकता है. इसके अलावा आपका ध्यान जब सारे टाइम मोबाइल में रहता है तब ना तो आप अपने परिवार पे पूरी तरह ध्यान दे पाते हैं और ना ही दोस्तों के साथ समय बिता पाते हैं. इससे आपके रिश्तों में भी खटास आने लगती है.

तो देखा दोस्तों इसका असर कैसे हमारे भौतिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर होता है. और आजकल covid के बाद से ही work from होम का चलन भी बढ़ गया है इसलिए screen को पूरी तरह avoid करना भी संभव नहीं है. इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है की mobile time या screen टाइम कम कैसे करे. सबसे पहला टिप में आपको ये दूँगा दोस्तों की आप अपने screen time को track करे. आजकल हर स्मार्टफ़ोन में ऐसी app और settings है जो आपको आपका daily या weekly screen time बताती है. और आप उन में अपना फिक्स screen टाइम सेट कर सकते हैं जिससे आपके मोबाइल पे alert आ जाएगा कि आपका आज का screen टाइम पूरा हो गया है या होने वाला है. अगर आप को लंबी video meetings लेनी पड़ती है तो टाइम schedule करे और बीच बीच में ब्रेक ले. ब्रेक के लिए अलर्ट भी आप अपने phone में सेट कर सकते हैं. लगातार स्क्रीन को ना देखें. मोबाइल देखते हूए खाना ना खाये. आदत डाले की खाना खाते समय सिर्फ़ खाने पे ध्यान देना है किसी screen पर नहीं. rule बना ले की अपने बेडरूम में मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना है . और ख़ासकर दस बजे बाद तो बिलकुल नहीं. पर अगर आपको कोई ज़रूरी काम है मोबाइल पे तो mobile settings में जा के blue light filter ऑन कर ले. पर कोशिश ये ही रहे की दस बजे बाद मोबाइल को अपनी पहुँच से दूर रखे. सोते सोते मोबाइल का प्रयोग बिलकुल ना करे. अपने daily physical movement पे ध्यान दे की क्या आप ज़्यादा देर बैठे रहते हैं या आपको लगातार बैठे बैठे काम करना पड़ता है तो आप बैठे बैठे mobile का इस्तेमाल भी ज़्यादा करेंगे. इसलिए बीच बीच में उठे. थोड़ा घूमे stretches करे. toilet सीट पर मोबाइल का इस्तेमाल ना करे. रिसर्च में पाया गया है की ये आदत आपको constipation या कब्ज़ कर सकती है. इसके अलावा मोबाइल इस्तेमाल करते समय अपने posture पर भी ध्यान दे की कहीं ग़लत angle से तो आप स्क्रीन को नहीं देख रहे है. मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए गर्दन झुकाए नहीं बल्कि मोबाइल को अपने आँखों के लेवल पर ला के ही इस्तेमाल करे.

दोस्तों, अक्सर आपने ध्यान दिया होगा की आप मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल तब करते हैं जब आप बोर हो रहे होते हैं या किसी काम में आपका मन नहीं लग रहा होता है या आप अपने लाइफ के स्ट्रेस से इतना परेशान हैं की आपको mobile या स्क्रीन की virtual दुनिया ज़्यादा अच्छी लगने लगती है. इसके लिए आप कोई नयी hobby अपनाये. जो भी आपको अच्छा लगता है वह sport खेले. अपने friends या परिवार के साथ activities प्लान करे. स्ट्रेस manage करने के लिए योगा और मैडिटेशन करे और अगर ज़रूरत हो तो psychiatrist की राय ले, थेरेपी ले. क्योंकि दोस्तों, जीवन बहुत छोटा है पर बहुत सुंदर है इसलिए मोबाइल की virtual दुनिया में अपनेआप को ना खोये. ये समय जो आप अपने partner के साथ quality time बिता के spend कर सकते हैं, अपने बच्चों के साथ खेल सकते है, अपने दोस्तों के साथ enjoy कर सकते हैं, उसे मोबाइल में ना खोये क्योंकि ये समय वापस नहीं आएगा.