नमस्कार दोस्तों, पुरानी रिसर्च में माना गया था कि अल्कोहल अगर संतुलित मात्रा में ली जाये तो उसके कुछ हेल्थ बेनिफिट भी होते है पर हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया है की alcohol की कोई safe limit नहीं है. शराब पहले घूँट से ही शरीर को नुक़सान पहुँचाने लगती है और आज हम इसी बारे में बात करेंगे .
नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है. और आगे भी ऐसी जानकारी से updated रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और इस वीडियो को अपने परिवार और दोस्तों में शेयर करे. दोस्तों, आज हम बात करते हैं कि अल्कोहल का शरीर पर क्या असर होता हैं और ख़ासकर लिवर को कैसे डैमेज करता है.
सबसे पहले बात करते हैं अल्कोहल की. अल्कोहल कोई भी हो बियर, व्हिस्की, वोडका, वाइन, champagne, टकीला या स्कॉच हमारे शरीर और लिवर को नुक़सान पहुँचाती है.

हम अधिकतम कितनी शराब एक दिन में पी सकते है इसकी सीमा निर्धारित है और वह पुरुषों में है 2 drinks per dayऔर महिलाओं में 1 drink per day. अगर आप ऐसा सोचते है की मैं तो सिर्फ़ वाइन पिता हूँ या मैं तो सिर्फ़ बियर पीता हूँ तो आप ग़लत हैं. किसी भी फॉर्म में शराब नुक़सानदायक है. एक regular beer में 7 से 8% alcohol होता है जबकि light beer में 4.2%. Wine में 12-17% alcohol होता है. वहीं gin, रम, टकीला, वोडका, brandy,whiskey में 40% alcohol होता है.अगर हम 1 drink की बात करें तो 1 drink होता है 345 ml 5% beer, 148 ml wine, और 44 ml distilled spirit मैं.

दोस्तों जब भी आप अल्कोहल पीते हैं, वह लिवर में प्रोसेस होता है ताकि उसे शरीर से बाहर निकाला जा सके. इस प्रोसेस में लिवर में कुछ ऐसे पदार्थ बनते हैं जो अल्कोहल से भी ज़्यादा नुक़सानदायक होते हैं. ज़्यादा शराब पीने से ये पदार्थ liver मैं ज़्यादा बनते हैं और ये पदार्थ लिवर की कोशिकाओं को और हमारी शरीर के दूसरे अंगों को नुक़सान पहुँचा सकते है और लिवर को कई लोगों में seriously डैमेज भी कर सकते है. अल्कोहल से होने वाली लिवर की बीमारी की वजह से पाँच में से चार लोगों की मौत हो जाती है. इन लोगों में अल्कोहल से कई तरह की लिवर की बीमारी हो सकती है जैसे की fatty liver या steatosis, लिवर की सूजन या alcoholic hepatitis, cirrhosis या लिवर की scarring और लिवर failure. सबसे पहले बात करते हैं fatty लिवर की जहां लिवर में फैट जमा हो जाता है. ज़्यादातर लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं और इसका पता किसी और बीमारी के लिए की गई पेट कि सोनोग्राफी से चलता है जहां लिवर normal से ज्यादा bright नज़र आता है. कुछ लोगों में थकान, भूख ना लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं. blood टेस्ट में लिवर के एंजाइम जैसे की sgot और sgpt बढ़े हुए आ सकते है और अल्कोहल की वजह से होने वाले फैटी लिवर में sgot क़ी मात्रा sgpt से ज़्यादा भी हो सकती है. अगर इस स्टेज पर बीमारी को treat या intervene ना किया जाये तो लिवर cirrhosis भी हो सकता है जो की irreversible होता है मतलब उसे ठीक नहीं किया जा सकता.

liver damage में सेकंड स्टेज आती है जहां hepatitis होता है. इस स्टेज में लिवर में सूजन आ जाती है. लिवर हार्ड होने लगता है. अगर शुरुआत में इसका इलाज ना किया जाये तो मरीज़ को भूख ना लगना, जी घबराना, पेट में दायी तरफ़ दर्द, पीलिया, खून की जाँच में bilirubin बढ़ जाता है, लिवर फेलियर और लिवर cirrhosis हो सकता है. अगली और आख़िरी स्टेज है लिवर cirrhosis- पाँच में से एक हैवी ड्रिंकर को cirrhosis हो सकता है. लिवर में जमा फैट और सूजन की वजह से लिवर में scar बनने लगते है. और अगर स्कार ज़्यादा बनने लगे तो उसे cirrhosis कहते हैं. लिवर के नार्मल सेल्स की जगह ये scars ले लेते हैं जिससे लिवर ठीक से फंक्शन नहीं कर पाता है और लिवर फेलियर में चला जाता है. लिवर फेलियर एक जानलेवा बीमारी है. शुरुआत में cirrhosis के लक्षण दिखाई नहीं भी दे सकते है पर बाद में cirrhosis की वजह से लिवर हार्ड हो जाता है. हमारे शरीर का बहुत ज़रूरी प्रोटीन एल्बुमिन लिवर में बनता है. cirrhosis में एल्बुमिन लिवर में बन नहीं पाता है और शरीर में उसकी कमी हो जाती है. खून में इस कमी की वजह से धमनियों या blood vessels से पानी बाहर निकालने लगता है और शरीर के कई हिस्सों में इकट्ठा होने लगता है जिस से पैरों में सूजन, पेट में पानी भी भर जाता है. इसके अलावा हमारी भोजन नली की veins भी फूल जाती है जिससे खून की उल्टी, मोशन में ब्लड आना और काला स्टूल होना जैसे लक्षण हो सकते हैं. लिवर शरीर से कई तरह के waste material को बाहर करता है जिस में से एक है अमोनिया. cirrhosis या लिवर फेलियर में शरीर में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है जो ब्रेन में जाके असर करती है जिस से मरीज़ में बेहोशी आना और मरीज़ का बहकी बहकी बातें करना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. cirrhosis में शरीर की मांसपेशियाँ टूटने लगती है जिससे मरीज़ कमजोर हो जाता है. लिवर में खून का थक्का जमाने वाले clotting factors भी बनते है जो cirrhosis में बनना बंद हो जाते हैं और शरीर में platelets भी कम हो जाती है जिससे खून पतला हो जाता है. मरीज़ के शरीर पर लाल लाल निशान होने लगते हैं. मरीज़ का PT/INR भी बढ़ जाता है जो यह दर्शाता है की मरीज़ का खून पतला हो गया है. इसके अलावा स्प्लीन की साइज भी बढ़ जाती है. अब बात करते है की किन लोगों में अल्कोहल के सेवन से लिवर डैमेज होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. ये है obese लोग जिनका वजन सामान्य से ज़्यादा है इनमें फैटी लिवर का रिस्क बढ़ जाता है और आगे cirrhosis का रिस्क भी बढ़ जाता है. वे लोग जो smoker हैं. अल्कोहल के साथ स्मोकिंग करने से भी आपको लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है. वे लोग जिनकी diet poor है. जो heavy drinkers protein, vitamin और mineral से भरपूर balanced डाइट नहीं लेते हैं उन में भी लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है.

लिवर के अलावा अल्कोहल शरीर के दूसरे अंगों को भी नुक़सान पहुँचाता है. सबसे पहले बात करते है दिमाग़ पर इसका क्या असर होता है. लंबे समय तक अल्कोहल पीने से आपकी याददाश्त कमजोर हो सकती है, आप clearly सोच नहीं पाते हैं, आप अपने emotion control नहीं कर पाते है, anxiety होती है, हाथ पैरों में झनझनाहट और सूनापन आ सकता है. समय के साथ अल्कोहल आपके ब्रेन के frontal lobe पर खराब असर दिखाना शुरू कर देता है जो हमारे decision making, reasoning, social behaviour और performance के लिए ज़रूरी होता है. इसके अलावा लंबे समय तक heavy drinking की वजह से wernicke korsakoff syndrome जैसी बीमारी भी हो सकती है जिस में आपकी याददाश्त पे सबसे ज़्यादा असर होता है.
आगे बात करते है हार्ट पे अल्कोहल के होने वाले असर कि. अल्कोहल के ज़्यादा सेवन करने से high blood प्रेशर, दिल की बीमारी, दिल की गति अनियमित हो जाना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल हो जाना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. इसके अलावा शरीर में खून की कमी भी हो सकती है जिससे मरीज़ को हमेशा थकान महसूस होती है. आगे बात करते है हमारे पाचन तंत्र की. शराब के सेवन से हमारे पाचन तंत्र या digestive system की लाइनिंग नष्ट होने लगती है जिस से भोजन के विटामिन और minerals ठीक तरह से अब्सोर्ब नहीं हो पाते है और उनकी कमी हो जाती है. heavy drinking से पेट में गैस होना, bloating होना, दस्त होना, constipation होना, ulcer और piles जैसी समस्या भी हो सकती है. इन ulcers से ब्लीडिंग हो सकती है जो घातक साबित हो सकती है. इसके अलावा pancreas में सूजन आ सकती है जिसे pancreatitis कहते है. इस बीमारी में pancreas के एंजाइम असंतुलित मात्रा में निकालने लगते है जिससे मरीज़ को पेट में बहुत तेज दर्द होता है. इस बीमारी का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया जाये तो यह लंबी बीमारी का रूप ले सकती है और काफ़ी complication हो सकते हैं. pancreas में ही इन्सुलिन बनता है और इस बीमारी से सुगर का संतुलन भी बिगड़ सकता है. सुगर ज़्यादा भी हो सकती है और कम भी. अब बात करते है sexual और reproductive health की. लंबे समय तक heavy ड्रिंकिंग से आपके sex हॉर्मोन बनना कम हो जाते हैं. आपकी सेक्स की इच्छा कम होने लगती है. erection आने में और maintain करने में दिक़्क़त होती है और orgasm भी achieve नहीं कर पाते हैं.

महिलाओं में menstrual cycle पर भी असर होता है. infertility या बांझपन भी हो सकता है. अब बात करते हैं हमारी bones की. heavy drinking से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं और उनके फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है. मांसपेशियाँ में cramps भी आ सकते हैं. मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती है जिससे इंसान कमजोर हो जाता है. आगे बात करते है हमारे immune system की. हैवी ड्रिंकिंग से हमारा immune सिस्टम कमजोर पड़ जाता है और शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और निमोनिया और टी बी जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है. who ने पाया है कि दुनिया के 8.1% TB के केस alcohol से connected हैं. इसके अलावा अल्कोहल से मुँह, गले, breast, भोजन नली, बड़ी आँत, और लिवर के कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है. अब बात करते हैं alcohol के psychological असर की. heavy drinkers में anxiety, depression और bipolar disorder जैसी समस्यायें कॉमन हैं. अल्कोहल से हमारे इमोशन, मूड और व्यक्तित्व पर गहरा असर होता है. किसी चीज़ पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है. impulse कंट्रोल नहीं होता. याददाश्त कमजोर हो जाती है. इसके अलावा alcohol की लत की वजह से भी काफ़ी समस्यायें खड़ी हो जाती है जिस में मरीज़ alcohol नहीं पीने पर withdrawal symptoms आने लगते हैं जैसे की हाथों का काँपना, nervous होना, anxiety होना, ज्यादा पसीने आना, जी घबराना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, दौरे आना, चीजें दिखाई देना और बहकी बहकी बातें करना. इसके अलावा मरीज़ के पारिवारिक रिश्तों पर भी असर होता है और घर पर आये दिन तनाव होना एक आम बात हो जाती है. heavy drinking से आप का financial burden भी बढ़ता है. तो दोस्तों, इस वीडियो में आप ने जाना कि कैसे अल्कोहल का सेवन शरीर के लिए हर तरह से नुक़सानदायक है. दोस्तों अगर आप धूम्रपान यानी कि स्मोकिंग की समस्या से परेशान है और इसे तुरंत छोड़ना चाहते हैं तो आप राइट में दिए गए वीडियो को देखें जिसमें मैंने धूम्रपान छोड़ने के आसान तरीकों के बारे में बताया है|

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