दोस्तों! क्या आपको कब्ज है और आपको लैट्रिन जाते समय दर्द होता है? तो दोस्तों! पूरी आशंका है कि आपको anal fissure हुआ हो. आज के इस वीडियो में हम anal fissure के बारे में बात करेंगे. आज के इस वीडियो में हम ये भी जानेंगे कि anal fissure क्या है और इस के और क्या लक्षण है. और anal fissure क्यों होता है? नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें. Anal fissure एक ऐसा tear या घाव है जो मल द्वार के रास्ते पे जिसे anus भी कहते हैं, हो जाता है. anus हमारे पाचन तंत्र का अंत होता है, यह मांसपेशियों से बना होता है और यहाँ से मल या stool निकलता है.

चूँकि anus मल द्वार का रास्ता है इस का tissue अंदर से गीला रहता है. शुरू में तो ये fissure या यूँ कहें crack सिर्फ़ anus के दीवार की ऊपरी सतह को प्रभावित करता है पर लंबे समय तक रहने वाले anal fissure anus की wall की पूरी मोटाई को प्रभावित कर लेते हैं. anal fissure महिलाओं और पुरुषों को किसको भी हो सकता है. anal fissure होने का मुख्य कारण है trauma, जो आपके मल द्वार को झेलना पड़ता है. ये trauma कब्ज की वजह से होने वाली मोटी, टाइट और hard लैट्रिन की वजह से होता है क्योंकि ऐसी लैट्रिन के लिए ज़ोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से ये fissure हो जाता है. anal fissure, diet में फाइबर की कमी की वजह से भी होता है. fissure की वजह से लैट्रिन जाते समय दर्द होता है और इससे खून भी आ सकता है. इस दर्द की वजह से मरीज़ लैट्रिन के समय पूरा ज़ोर नहीं लगा पाते हैं और स्टूल पूरा निकल नहीं पाता और आँतों में पड़ा पड़ा ये stool hard हो जाता है और कब्ज करता है. तो देखा दोस्तों! ये एक vicious cycle है, एक ऐसा चक्र है जहां कब्ज़ से anal fissure होता है और anal fissure कब्ज का कारण बनता है, इसलिए इसका इलाज बहुत ज़रूरी हो जाता है. कई बार anus के sphincter में यानी जो anus का हिस्सा स्टूल को अपनेआप निकलने से रोकता है, उस हिस्से में भी spasm हो जाता है या यूँ कहे चटके चल सकते हैं.

anal fissure नवजात शिशुओं में बहुत कॉमन है पर ये किसी भी उम्र वर्ग में हो सकते हैं. ज़्यादातर cases में हल्के गर्म पानी के सेक से जिसे sitz bath कहते हैं और अपनी डाइट में फाइबर बढ़ाने से anal fissure ठीक हो जाता है. पर कई बार इसके इलाज के लिए दवा और surgery की ज़रूरत भी पड़ सकती है. आइए दोस्तों अब हम anal fissure के लक्षणों के बारे में थोड़ा विस्तार में बात करते हैं ताकि आपको समझ में आये की कहीं आपको तो anal fissure नहीं है. इनमें सबसे पहले आता है लैट्रिन जाते समय दर्द होना, लैट्रिन जाने के बाद काफ़ी देर तक दर्द रहना. ये दर्द काफ़ी असहनीय होता है और इस वजह से मरीज़ को लैट्रिन जाने के नाम से ही डर लगने लगता है. मरीज़ को कई बार इतना दर्द होता है कि वह कुर्सी पर भी ठीक से बैठ नहीं पाता है. इसके अलावा pot में लैट्रिन के ऊपर खून भी दिख सकता है  या फिर पोंछते समय हाथ पे या toilet पेपर पर खून का दिखना, anus के मुँह पर क्रैक का दिखना, anus के मुँह के पास एक छोटी सी गाँठ या skin का टुकड़ा लटकना जिसे skin tag या sentinel tag भी कहते हैं, जैसे लक्षण हो सकते हैं. तो दोस्तों ये थे anal fissure के लक्षण.

आइए अब बात करते हैं कि आख़िर anal fissure होने के कारण क्या हैं? इनमें आते है सख़्त , टाइट और बड़ा stool, जिसे  pass करने पर anal fissure हो सकता है. दूसरा मुख्य कारण है कब्ज़ और कब्ज की वजह से लैट्रिन जाते समय ज़ोर लगाना. अगला कारण है लंबे समय तक diarrhoea यानी दस्त होना. अगला कारण है प्रसव. प्रसव के दौरान भी माँ को anal fissure हो सकता है. अगला कारण है anal sex. इसके अलावा  कुछ बीमारियों की वजह से भी anal fissure हो सकता है. इन बीमारियों में मुख्य हैं- inflammatory bowel disease जैसे की crohn’s disease, ulcerative colitis. दूसरी बीमारियों जैसे की tuberculosis या पेट का टीबी, syphilis, hiv और एनल कैंसर की वजह से भी एनल fissure हो सकता है. इसके अलावा कुछ लोगों में anal fissure होने का risk ज़्यादा होता है. ये हैं छोटे बच्चे या middle age group के लोग. दोस्तों, अगर anal fissure होने पर ध्यान ना दिया जाए तो कुछ complications हो सकते हैं जैसे की अगर anal fissure को हुए आँठ हफ़्तों से ज़्यादा हो गया है तो उसे chronic anal fissure कहते  है और उसका इलाज और मुश्किल हो जाता है. अगला कॉमन complication है recurrence यानी anal fissure दोबारा होना.

अगर आपको एक बार एनल fissure हो गया है तो आपको दोबारा भी anal fissure हो सकता है. कई बार anal fissure और लगातार कब्ज की वजह से fissure का ये tear, anus की muscles तक पहुँच जाता है. anus की ये muscles anus के मुँह को control करती है यानी stool के incontinence से बचाती है. इसे internal anal sphincter कहते हैं. अगर ये tear anal sphincter तक पहुँच जाता है तो फिर fissure का heal होना और मुश्किल हो जाता है. और अगर fissure heal नहीं होता तो fissure कब्ज़ वाली cycle शुरू हो जाती है और ऐसे में दवाओं की और surgery की ज़रूरत भी पड़ सकती है. तो दोस्तों, एक आपने जाना anal fissure के क्या लक्षण हो सकते हैं और इसके क्या कारण होते हैं.