Thydoc Health https://thydoc.com/ Thydoc Health Mon, 01 Apr 2024 07:57:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://thydoc.com/wp-content/uploads/2024/01/cropped-Thydoc-Favicon-32x32.png Thydoc Health https://thydoc.com/ 32 32 Liver Kharab Hone Ke Lakshan | Liver Cirrhosis Early signs | Liver Damage Signs and Symptoms https://thydoc.com/liver-cirrhosis-early-signs/ https://thydoc.com/liver-cirrhosis-early-signs/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:49:00 +0000 https://thydoc.com/?p=1714 The post Liver Kharab Hone Ke Lakshan | Liver Cirrhosis Early signs | Liver Damage Signs and Symptoms appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, लिवर हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है और लिवर cirrhosis, लिवर की एक ऐसी बीमारी है जिस को रिवर्स नहीं किया जा सकता है, पर अगर लिवर damage को शुरुआती स्टेज में  diagnose कर लिया जाये तो Liver cirrhosis से बचाव संभव है. आज के इस वीडियो में हम बात करेंगे liver damage की और उसके early signs की, जिससे  कि आप समय रहते हैं इसके नुकसान से बच सकें. 

नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है. और आगे भी ऐसी जानकारी से updated रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और इस वीडियो को अपने परिवार और दोस्तों में शेयर करे. 

दोस्तों, रिसर्च में पाया गया है की liver damage का कारण मुख्यतया insulin resistance से जुड़ा है. शराब,मोटापा, diabetes या junk फ़ूड या ज़्यादा मीठा खाने की वजह से या दवाओं से या किसी वायरल इन्फेक्शन से शरीर में insulin resistance बढ़ने लगता है जहां शरीर में इन्सुलिन की मात्रा तो बढ़ जाती है पर insulin शरीर में फिर भी ठीक से अपना असर नहीं दिखा पाता है इस resistance की वजह से. insulin resistance की वजह से शरीर में inflammation बढ़ता है जिस से लिवर में सूजन आती है और fatty liver जैसी बीमारी होती है. 

तो liver disease की पहली स्टेज है  fatty लिवर जहां लिवर में फैट जमा हो जाता है. ज़्यादातर लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं और इसका पता किसी और बीमारी के लिए की गई पेट कि सोनोग्राफी से चलता है जहां लिवर ज्यादा bright नज़र आता है. कुछ लोगों में थकान, भूख ना  लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं. blood टेस्ट में लिवर के एंजाइम जैसे की sgot और sgpt बढ़े हुए आ सकते है और अल्कोहल की वजह से होने वाले फैटी लिवर में sgot क़ी मात्रा  sgpt से ज़्यादा भी हो सकती है. अगर इस स्टेज पर treat या intervene ना  किया जाये तो लिवर cirrhosis भी हो सकता है जो की irreversible होता है मतलब उसे ठीक नहीं किया जा सकता. liver damage में सेकंड स्टेज आती है जहां hepatitis होता है. इस स्टेज में लिवर में सूजन आ जाती है. अगर शुरुआत में इसका इलाज ना किया जाये तो मरीज़ को भूख ना लगना, जी घबराना, पेट में दायी तरफ़ दर्द, पीलिया, खून की जाँच में bilirubin बढ़ जाता है, और लिवर फेलियर  या लिवर cirrhosis तक बीमारी बढ़ सकती है. 

अगली स्टेज है लिवर fibrosis, जहां पर लिवर में जमा फैट और सूजन  की वजह से लिवर में scar बनने लगते है| अगर यहां भी बीमारी का इलाज ना लिया जाए तो पेशेंट लिवर सिरोसिस की तरफ चला जाता है जोकि रिवर्स नहीं हो सकती हैI

अब बात करते है cirrhosis की, जो किं liver damage  की आख़िरी स्टेज है.Cirrhosis लिवर के नार्मल सेल्स की जगह ये scars ले लेते हैं जिससे लिवर hard हो जाता है,और sikud जाता है. लिवर ठीक से फंक्शन नहीं कर पाता है और लिवर फेलियर में चला जाता है. 

 cirrhosis दो तरह का होता है पहला है compensated cirrhosis जिस में  हमारे शरीर के दूसरे अंग, लिवर में हुई इस बीमारी को,  और लिवर के functions को compensate करने की कोशिश  करते हैं. 

दूसरा जो और ज्यादा गंभीर है वह है decompensated cirrhosis, जिस में शरीर की इस बीमारी को compensate करने की क्षमता ख़त्म होने लगती है और मरीज़ को कुछ गंभीर लक्षण आने शुरू हो जाते हैं. 

दोस्तों cirrhosis लिवर डैमेज की आखिरी स्टेज है और इसके बाद पेशेंट लीवर फेलियर में चला जाता है.

इसकी शुरुआत में लिवर में scaring शुरू होने लगती है. इस स्टेज में cirrhosis compensated होता है और शुरुआत में मरीज़ को थकान और कमजोरी के अलावा कोई लक्षण  महसूस नहीं होते हैं. Cirrhosis  की शुरुआत में मरीज को कुछ भी काम करने का मन नहीं करता,  शरीर में ऐसा लगता है कि कोई जान नहीं है हमेशा लेटे रहने का मन करता है,  पूरे टाइम मरीज को शरीर में थकान महसूस होती है,  उनका किसी भी काम मन नहीं लगता है, हमेशा एनर्जी लो रहती है,|

इसके अलावा जैसे जैसे liver cirrhosis की बीमारी मरीज के शरीर में बढ़ती है तो मरीज को कुछ लक्षण आने स्टार्ट हो जाते हैं जैसे कि शरीर पर spider nevi बनना जिस में त्वचा पर रक्त की छोटी धमनियाँ spider की तरह के लाल निशान बनाती है. इसके अलावा आँखों के नीचे फैट जमा हो के xanthoma बनता है. पीलिया हो जाता है.  मरीज की त्वचा  पतली होने लगती है क्योंकि शरीर collagen नहीं बना पाता है. पेट में पानी भर जाता है और पेट फूल जाता है जिसे ascites कहते हैं. लिवर द्वारा albumin नाम का प्रोटीन नहीं बना पानी के कारण यह होता है. एल्बुमिन की कमी से blood vessel से पानी का रिसाव होने लगता है और  शरीर में पानी जगह जगह  इकट्ठा होने लगता है.

लिवर शरीर में sex हॉर्मोन का संतुलन भी बनाने का काम करता है इसलिए इसकी बीमारी में  पुरुषों के स्तन बड़े होने लगते है जिस gynecomastia कहा जाता है. आपकी अंगुलियों में clubbing होने लगती है. पैरों में सूजन आने लगती है.आपके पैरों में अगर आप अंगुली से दबा के देखेंगे तो आप एक गड्ढा पायेंगे यह दर्शाता है की पैरों में सूजन है . हथेलियाँ लाल हो जाती है. मरीज़ confused हो जाता है. मरीज़ को बिना चोट के bruising या नील पड़ने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लिवर की बीमारी में खून पतला होने लगता है. लिवर खून का थक्का जमाने वाले। clotting factors बना नहीं पाता है. इस वजह से खून का थका आसानी से बन नहीं पाता है और मरीज़ को जगह जगह bruising होने लगती है. लिवर के bile pigment त्वचा में जमा हो जाते है और इर्रिटेशन करते है जिस से स्किन पे खुजली होती है. मरीज़ की cognitive abilities, यानी कि सोचने समझने की शक्ति पे भी असर होता है मरीज़ कुछ सही से सोच समझ नहीं पता है. शरीर में अमोनिया को निकालने का काम लिवर का होता है. जब लिवर इसे नहीं निकाल पाता है ये अमोनिया दिमाग़ पे असर करती है जिस वजह से मरीज़ बेहोश भी हो सकता है.

अगर liver cirrhosis से पीड़ित मरीज बीमारी का इलाज सही से नहीं लेते हैं, शराब नहीं छोड़ता है,  या फिर मोटापा कम नहीं करते हैं या उनका डायबिटीज कंट्रोल में नहीं है तो उसके बाद  cirrhosis decompensated हो जाता है और decompensated cirrhosis मैं मरीज़ के पेट और भोजन नली की नसें फूलने लगती है और gastric varices और oesophageal varices मरीज में बनना चालू हो जाता है. यह जो varices  खून की फूली हुई नसे हैं और जिनकी वजह से मरीज़ को खून की उल्टी हो सकती है. stool में खून आ सकता है और mal काला भी आ सकता है.  ऐसे केसेज में खून की कमी भी देखी जाती है. decompensated cirrhosis मैं मरीज़ को पेट फूलना, पैरों में सूजन आना जैसे लक्षण दिखायी देते है. कई बार लिवर की बीमारी की वजह से मरीज के दिमाग पर भी असर आना चालू हो जाता है और मरीज बहकी बहकी बातें करता है,  इरिटेबल रहता है,  या बेहोशी में भी जा सकता है,  और अगर  लिवर की बीमारी का मरीज पर असर गंभीर हो तो मरीज coma मैं भी चला जाता है| इसके अलावा लिवर सिरोसिस की वजह से मरीज के kidneys पर भी असर आना चालू हो जाता है और मरीज में पेशाब बनना कम हो जाता है,  शरीर में क्रिएटनीन और यूरिया का लेवल बढ़ जाता है,  इसके अलावा cirrhosis  की वजह से फेफड़ों पर भी असर आ सकता है और मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने सेट हो जाती है|

 इस स्टेज में patient liver failure मैं भी  जा सकता है.  

दोस्तों अब बात करते है cirrhosis की लास्ट और सबसे ख़तरनाक स्टेज की जो की जानलेवा हो सकती है. इसे end stage liver disease भी कहते हैं. इस stage में liver की वजह से शरीर के दूसरे अंगों पर भी असर होने लगता है और वह भी properly function नहीं कर पाते हैं. इस स्टेज का इलाज सिर्फ़ लिवर transplant से ही संभव है.

दोस्तों इस वीडियो में आपने समझा कि अगर समय रहते फैटी लीवर का इलाज करा जाए तू लिवर की बीमारी को बहुत ही शुरुआती स्टेज में ही रोका जा सकता है और अगर आप फैटी लीवर  के इलाज और उसके बचाव के बारे में डिटेल में जानना चाहते हैं तो राइट में दिए गए वीडियो में क्लिक करें|

और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर क्लिक करें|धन्यवाद

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पेट के अल्सर के कारण और लक्षण | Stomach Ulcer Causes & Symptoms | Peptic Ulcer क्यु है @ThyDocHealth https://thydoc.com/peptic-ulcer-causes-symptoms/ https://thydoc.com/peptic-ulcer-causes-symptoms/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:33:33 +0000 https://thydoc.com/?p=1701 The post पेट के अल्सर के कारण और लक्षण | Stomach Ulcer Causes & Symptoms | Peptic Ulcer क्यु है @ThyDocHealth appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, peptic ulcer एक ऐसी बीमारी है जिसके कारणों को लेके काफ़ी भ्रांतियाँ रही है कि ये उन लोगों में होता है जो तीखा मसालेदार ख़ाना खाते हैं या चाय कॉफ़ी ज़्यादा पीते हैं. लोग ऐसा भी मानते हैं की खाने से अलसर के दर्द से राहत मिलती है. क्या वाक़ई ऐसा है? आज के इस वीडियो में हम पेप्टिक ulcer के कारणों और उसके लक्षणों के बारे में विस्तार से बात करेंगे और आपकी भ्रांतियों का समाधान भी करेंगे. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन देने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारा चैनल subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, दुनिया की 5-10 प्रतिशत आबादी को peptic अलसर की बीमारी होती है. peptic अलसर एक ऐसी बीमारी है जिस में पेट या छोटी आँत की lining में एक तरह का अलसर या घाव हो जाता है. या यूँ कहे इस लाइनिंग में  एक break हो जाता है और धीरे धीरे यह गहरा होने लगता है और अलसर बनाता है. कुछ लोग erosion से इसे कंफ्यूज करते हैं . इरोज़न छोटा होता है और अलसर बड़ा होता है. अलसर  5 mm या उससे बड़ा होता है. peptic अलसर दो तरह का हो सकता है. पहला gastric अलसर जिस में पेट की लाइनिंग में अलसर होता है. दूसरा duodenal अलसर जिस में पेट से शुरू होने वाली छोटी आँत के पहले भाग में जिसे duodenum कहते है, यहां पर अल्सर develop हो जाता है. दोनों ही बीमारी में लक्षण लगभग समान ही होते है बस कुछ बातें अलग होती है. अब बात करते है की peptic अलसर क्यों होता है और किन लोगों को इसका ख़तरा ज़्यादा होता है|

दोस्तों पहले हम बात करते हैं फूड आइटम्स की,  फूड आइटम्स जो हमारे शरीर में एसिड  का secretion बढ़ाते हैं, पेट में सूजन लाते हैं,  और मरीज में पेप्टिक अल्सर की जो रिस्क है उसे बढ़ाते हैं|

 इन फूड आइटम्स में  आते हैं कॉफ़ी, chai, चॉकलेट, तीखा मसालेदार भोजन, शराब, खट्टी चीजें, fried fatty food items, fast foods, मैदे से बने  food items, या ज्यादा  अमाउंट में टमाटर, लहसुन प्याज,  और गरम मसाले की ग्रेवी से बनी हुई सब्जियां. 

दोस्तों चाय में निकोटीन होता है, और कॉफी में कैफीन. निकोटीन और caffeine पेट में एसिड का सीक्रीशन बढ़ाता है  जिससे पेट मेंसूजन develop होती है और साथ ही साथ gastric reflux भी करते हैं| Gatric reflux मैं पेट का खाना और एसिड भोजन नली में आने लगता है. इन सभी वजह से पेप्टिक अलसर के मरीज़ की परेशानियों और बढ़ सकती है इसलिए  ऐसे food items आपको कम से कम खाना चाहिये. इसके अलावा लोग ऐसा मानते हैं की  ठंडा दूध  या आइस क्रीम खाने से  peptic अलसर में आराम मिलता है. ये बात ग़लत है. दूध या dairy products में कैल्शियम होता है जिस से पेट में एसिड सीक्रीशन बढ़ता है, जिससे मरीज के लक्षण बढ़ सकते हैं तो आप डेयरी प्रोडक्ट्स को avoid करें. दोस्तों, अब बात करते हैं शराब या अल्कोहल की. जिन लोगों को peptic अलसर की बीमारी है उन्हें अल्कोहल अवॉयड करना चाहिए क्योंकि अल्कोहल GI system की लाइनिंग को इरिटेट करता है, . और जहां अलसर पहले से हैं वहाँ अलसर के कॉम्प्लिकेशन को और भी  ज्यादा बढ़ा सकता है. आगे बात करते हैं तंबाकू की. दोस्तों, तंबाकू हमारे शरीर को सिर्फ़ और सिर्फ़ नुक़सान ही पहुँचाता है. तंबाकू के सेवन से पेट में एसिड का secretion बढ़ता है, और साथ में सूजन लाता है और जो लोग स्मोकिंग करते हैं उन में peptic ulcer perforate होने का रिस्क 84-86% बढ़ जाता है. इसलिए ज़रूरी है कि आप शराब, तंबाकू और स्मोकिंग जैसी आदतों को छोड़े और एक healthy लाइफस्टाइल अपनाये.

इसके बाद peptic अलसर के common कारणों में आता है helicobacter pylori इन्फेक्शन- 

helicobacter pylori या h pylori एक बैक्टीरिया है जो पेट की कोशिकाओं में रहता है. इसका इन्फेक्शन ज़्यादातर उन लोगों में होता है जो खाने में और  पीने के पानी में में hygiene maintain नहीं करते है. इसका इन्फेक्शन कई लोगों में बचपन में ही हो जाता है. ये पेट की कोशिकाओं में रह कर पेट की लाइनिंग में inflammation  यानी सूजन develop करता है. ये बैक्टीरिया पेट में acidity बढ़ाता है जिससे पेट में अलसर होता है. 90% duodenal ulcer इस बैक्टीरिया की वजह से ही होते हैं. gastric अलसर में 70-90% cases इस बैक्टीरिया के कारण होते हैं. तीसरा सबसे कॉमन कारण है NSAIDS या दर्द की दवाओं का उपयोग- पेट की लाइनिंग में एक पदार्थ बनता है prostaglandin. ये पदार्थ पेट की लाइनिंग की सुरक्षा का काम करता है. NSAIDS या non steroidal anti inflammatory drug जैसी दर्द की दवाएँ इस पदार्थ को बनने नहीं देती है. जिससे अलसर होता है. इन दवाओं में आती हैं ibuprofen, diclofenac, aceclofenac आदि. इन दवाओं के अलावा steroidsनाम की दवाइयां भी पेट के अल्सर का एक बहुत कॉमन कारण है.

Peptic ulcer का एक कारण है  zollinger allison syndrome | इस बीमारी में एसिड ज़्यादा बनता है. जोकि अल्सर बनने का कारण बनता है मरीजों में|

 इसके अलावा और दूसरे कारण है कैंसर,  या कोई भी नयी बीमारी,  या फिर burn patients जिनका शरीर किसी दुर्घटना में जल गया है, सर की चोट के मरीज़ों में भी अलसर हो सकता है. इसके अलावा viral इन्फेक्शन, कैंसर के लिए ली जाने वाली radiotherapy और कीमोथेरेपी भी अलसर का कारण हो सकते हैं. 

स्ट्रेस या तनाव भी peptic अलसर का कारण हो सकता है, क्योंकि ज्यादा तनाव से से भी पेट में एसिड का secretion बढ़ जाता है. 

 दोस्तों यह आपको समझना होगा कि जिस  भी कारण से पेट में एसिड की मात्रा बढ़ती है वह अलसर कर सकती है. पेट और आँतों में एक बैलेंस होता है protective system और destructive system का. यानी सुरक्षा और नाश का. जब यह संतुलन बिगड़ जाता है  और पेट में अलसर हो जाता है.

तो दोस्तों, हमने बात की, कि पेप्टिक अल्सर के क्या इंपॉर्टेंट कारण हो सकते हैं और आपको इनसे अपना बचाव करना है, साथ में अपना समय पर इलाज कराना है. दोस्तों peptic ulcer ke मरीज अपनी डाइट और लाइफ स्टाइल में चेंज लाकर पेप्टिक अल्सर  के लक्षणों से relief पा सकते हैं,  पेप्टिक अल्सर की डाइट और लाइफस्टाइल की डिटेल में जानकारी पाने के लिए आप screen पर दिए गए video पर क्लिक करें  और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर Sampark करें|धन्यवाद

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कब्ज़ का इलाज | High fiber foods Diet for Chronic Constipation Relief | Constipation Home Remedies https://thydoc.com/diet-for-chronic-constipation-relief/ https://thydoc.com/diet-for-chronic-constipation-relief/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:32:32 +0000 https://thydoc.com/?p=1690 The post कब्ज़ का इलाज | High fiber foods Diet for Chronic Constipation Relief | Constipation Home Remedies appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, मोटापे से, obesity se हम सभी परेशान है. और ख़ासकर बढ़ती तोंद या belly फैट से तो हमे अक्सर शर्मिंदा  होना  पड़ता है, par iske sath badi hui tond se hume kai khatarnak bimario ka risk bad jata he. हो सकता है आपने तरह तरह कि डाइट भी की पर आप फिर भी इस समस्या से निजात नहीं पा पाये. पर क्या आपको पता है कि तोंद कम करने के लिए jitna important  he ki हमे क्या खाना है utna hi ये bhi important है की कब खाना है और किस समय नहीं खाना है? तो दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम इसी बारे में बात करेंगे की कैसे आप अपने khane ke रूटीन में बदलाव ला कर अपने  belly फैट या तोंद को कम कर सकते हैं. दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, सबसे पहले जानते हैं की तोंद या belly fat या central obesity से आपको क्या क्या नुक़सान हो सकते हैं? इनमें सबसे पहला है insulin resistance जहां शरीर में insulin तो secrete होता है पर इन्सुलिन पूरी तरह function नहीं कर पाता है.

जिसे insulin resistance कहते हैं. ऐसे लोगों में metabolic disorders जैसे की motapa और type 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. और तो और fatty liver disease भी आपको हो सकता है. belly fat yani badi hui tond से आपको कैंसर होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है. heart attack और स्ट्रोक का ख़तरा भी बेली फैट से कई गुना बढ़ जाता है. यहाँ तक की ऐसे लोगों में डिप्रेशन भी ज़्यादा देखा गया है. अब हम बात करते हैं की कैसे आप पता लगा सकते हैं की आपको belly fat या तोंद या central obesity की samsya है भी या नहीं. इसके लिए आप एक इंच टेप ले और उससे अपनी नाभि के लेवल पर रख के अपनी कमर का नाप ले. अगर पुरुषों में यह नाप 90 cm से ज़्यादा है और महिलाओं में यह नाप 80 cm से ज़्यादा है तो इसका मतलब आपको motapa है और आपको इसे कम करने की ज़रूरत है. दोस्तों, weight loss और dieting के ट्रेंड में intermittent fasting आजकल सबसे ज़्यादा ट्रेंड में है kyonki kiske bohot hi ache results, health benefits he. जहां दूसरे diet regime आपको यह बताते हैं कि क्या खाना है , intermittent fasting आपको ये बताता है कि आपको कब खाना है. अगर आप अपने खाने के लिए दिन के कुछ घंटे निश्चित कर लेते हैं तो आपकी overall calorie इंटैक अपनेआप ही कम हो जाती है. intermittent fasting के कई प्रकार है जिन में kuch types me आपको ऐसी fasting के लिए medical supervision की ज़रूरत भी पड़ती है पर आज हम ऐसी डाइट plan की बात करेंगे जो आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते है और जिसके लिए आपको किसी medical supervision की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इसे अपनाकर आप अपनी तोंद से छुटकारा पा सकते हैं.

आज हम बात करेंगे time restricted eating की. time restricted eating या टाइम restricted feeding का मतलब है हर दिन में से कुछ समय या घंटे ऐसे रखना  जिस टाइम में आप khana खा सकते हैं. पर उसके बाद ya उस के पहले apko kuch नहीं khana he. मान लीजिए आप सुबह 7 बजे उठते है और 7:30 बजे चाय या कॉफ़ी पीते है इसे हम कहेंगे फर्स्ट meal of the day. यानी आपने 7:30 am पे खाना शुरू किया और रात को आपका लास्ट मील है 9:30 बजे जब आपने एक ग्लास दूध पीया और उसके बाद आप सो गये. तो फर्स्ट मील और लास्ट मील के बीच का जो समय है वह है आपका ईटिंग टाइम, जो है 14 घंटे. और जब आप सो जाते है तो वह आपका fasting period होता है. इस दौरान शरीर में repair का काम चलता है और आपके hormones रेस्ट करते है और इस दौरान किसी भी तरह कि एनर्जी के लिये शरीर के फैट को इस्तेमाल किया जाता है.  दोस्तों, जैसे हमारा सोने और जागने का एक cycle या rhythm होता है उसी तरह हमारे बॉडी में हार्मोन्स भी उसी अनुसार secrete होते हैं. हम कुछ भी खाते हैं तो pancreas से इन्सुलिन release होता है जो भोजन में कार्बोहाइड्रेट को पचाने में शरीर कि सहायता करता है. पर हमारी circadian rhythm के अनुसार इन्सुलिन भी सबसे ज़्यादा सुबह ऐक्टिव होता है और सूर्यास्त के बाद इसका secretion धीमा पड़ जाता है. इसलिए अगर आप सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाते है तब insulin secrete तो होता है पर वह उसी तरह काम करता है जैसे किसी इंसान को आधी नींद में उठा कर काम कराया जाये. इस वजह से carbohydrates yani sugars ठीक से digest नहीं हो पाते है और शरीर में फैट की मात्रा बढ़ने लगती है. time restricted eating में आप को अपना खाने का समय कम करना है. जो अभी 14 घंटे है इसे धीरे धीरे कम करके 12 घंटे करे और फिर इसी समय को दस घंटे तक कर दे. जैसे की आप सुबह अगर सात बजे उठते हैं और 7:30 बजे चाय पीते हैं तो अपना लास्ट meal आप शाम को 7:30 pm तक ले ले. शुरू में सिर्फ़ इस टाइम में ही खाना है aap इस पर ध्यान दे ना की क्या खाना है is par, fir dhire dhire tym ke sath aap is tym me apni meals bhi set karein, healthy meals lein. दोस्तों, ध्यान रहे पानी आप कभी भी पी सकते हैं. सादे पानी को आपके फर्स्ट या लास्ट मील में काउंट नहीं किया जाएगा. पर अगर आप सुबह उठते ही पानी में कुछ भी मिला कर पीते है तो उसे आपका first meal ही माना जाएगा. शुरू में इस रूटीन को follow करने पर कुछ दिन आपको अच्छा नहीं लगेगा, भूख लगेगी

चिचिड़ाहट होगी और सर दर्द भी हो सकता है पर ये लक्षण सिर्फ़ कुछ दिनों तक ही आपको परेशान करेंगे फिर आपको इसकी आदत पड़ जाएगी. इस तरह टाइम पर खाना खाने से आपकी बॉडी में insulin resistance कम होता है. ऐसा करने से ना सिर्फ़ आप तोंद या belly फैट कम कर पायेंगे बल्कि गैस, acidity, bloating, पेट फूलना, अपच जैसी समस्याओं से भी निजात पायेंगे. अगर आपका लास्ट मील एक particular समय पर निर्धारित हो जाएगा तो आपका bowel movement का समय भी मॉर्निंग में निश्चित हो जाएगा और आपको बेटाइम मोशन नहीं जाना पड़ेगा. तो दोस्तों, is video me aapne jana ki कैसे हम अपने खाने का समय निर्धारित करके ना सिर्फ़ अपनी तोंद कम कर सकते है बल्कि कई जानलेवा बीमारियों से बचाव भी कर सकते हैं. Dosto weight loss me aap kya oil cooking me use karte he iska bhi important role hota, aur agar aap ye janana chahte he ki kaunsa cooking oil apke lie best he to aap right me die video par click karein.

और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर क्लिक करें|धन्यवाद

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पेशाब में जलन क्यों होती है? | Peshab mein jalan ka ilaj | Urine Infection Symptoms (UTI) https://thydoc.com/urine-infection-symptoms-uti/ https://thydoc.com/urine-infection-symptoms-uti/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:17:17 +0000 https://thydoc.com/?p=1683 The post पेशाब में जलन क्यों होती है? | Peshab mein jalan ka ilaj | Urine Infection Symptoms (UTI) appeared first on Thydoc Health.

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Best Diet for fat loss | Intermittent Fasting | Doctor से जानिए Weight Loss TIPS  https://thydoc.com/best-diet-for-fat-loss-intermittent-fasting-doctor-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%8f-weight-loss-tips/ https://thydoc.com/best-diet-for-fat-loss-intermittent-fasting-doctor-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%8f-weight-loss-tips/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:16:41 +0000 https://thydoc.com/?p=1672 The post Best Diet for fat loss | Intermittent Fasting | Doctor से जानिए Weight Loss TIPS  appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, मोटापे से, obesity se हम सभी परेशान है. और ख़ासकर बढ़ती तोंद या belly फैट से तो हमे अक्सर शर्मिंदा  होना  पड़ता है, par iske sath badi hui tond se hume kai khatarnak bimario ka risk bad jata he. हो सकता है आपने तरह तरह कि डाइट भी की पर आप फिर भी इस समस्या से निजात नहीं पा पाये. पर क्या आपको पता है कि तोंद कम करने के लिए jitna important  he ki हमे क्या खाना है utna hi ये bhi important है की कब खाना है और किस समय नहीं खाना है? तो दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम इसी बारे में बात करेंगे की कैसे आप अपने khane ke रूटीन में बदलाव ला कर अपने  belly फैट या तोंद को कम कर सकते हैं. दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, सबसे पहले जानते हैं की तोंद या belly fat या central obesity से आपको क्या क्या नुक़सान हो सकते हैं? इनमें सबसे पहला है insulin resistance जहां शरीर में insulin तो secrete होता है पर इन्सुलिन पूरी तरह function नहीं कर पाता है.

जिसे insulin resistance कहते हैं. ऐसे लोगों में metabolic disorders जैसे की motapa और type 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. और तो और fatty liver disease भी आपको हो सकता है. belly fat yani badi hui tond से आपको कैंसर होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है. heart attack और स्ट्रोक का ख़तरा भी बेली फैट से कई गुना बढ़ जाता है. यहाँ तक की ऐसे लोगों में डिप्रेशन भी ज़्यादा देखा गया है. अब हम बात करते हैं की कैसे आप पता लगा सकते हैं की आपको belly fat या तोंद या central obesity की samsya है भी या नहीं. इसके लिए आप एक इंच टेप ले और उससे अपनी नाभि के लेवल पर रख के अपनी कमर का नाप ले. अगर पुरुषों में यह नाप 90 cm से ज़्यादा है और महिलाओं में यह नाप 80 cm से ज़्यादा है तो इसका मतलब आपको motapa है और आपको इसे कम करने की ज़रूरत है. दोस्तों, weight loss और dieting के ट्रेंड में intermittent fasting आजकल सबसे ज़्यादा ट्रेंड में है kyonki kiske bohot hi ache results, health benefits he. जहां दूसरे diet regime आपको यह बताते हैं कि क्या खाना है , intermittent fasting आपको ये बताता है कि आपको कब खाना है. अगर आप अपने खाने के लिए दिन के कुछ घंटे निश्चित कर लेते हैं तो आपकी overall calorie इंटैक अपनेआप ही कम हो जाती है. intermittent fasting के कई प्रकार है जिन में kuch types me आपको ऐसी fasting के लिए medical supervision की ज़रूरत भी पड़ती है पर आज हम ऐसी डाइट plan की बात करेंगे जो आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते है और जिसके लिए आपको किसी medical supervision की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इसे अपनाकर आप अपनी तोंद से छुटकारा पा सकते हैं.

आज हम बात करेंगे time restricted eating की. time restricted eating या टाइम restricted feeding का मतलब है हर दिन में से कुछ समय या घंटे ऐसे रखना  जिस टाइम में आप khana खा सकते हैं. पर उसके बाद ya उस के पहले apko kuch नहीं khana he. मान लीजिए आप सुबह 7 बजे उठते है और 7:30 बजे चाय या कॉफ़ी पीते है इसे हम कहेंगे फर्स्ट meal of the day. यानी आपने 7:30 am पे खाना शुरू किया और रात को आपका लास्ट मील है 9:30 बजे जब आपने एक ग्लास दूध पीया और उसके बाद आप सो गये. तो फर्स्ट मील और लास्ट मील के बीच का जो समय है वह है आपका ईटिंग टाइम, जो है 14 घंटे. और जब आप सो जाते है तो वह आपका fasting period होता है. इस दौरान शरीर में repair का काम चलता है और आपके hormones रेस्ट करते है और इस दौरान किसी भी तरह कि एनर्जी के लिये शरीर के फैट को इस्तेमाल किया जाता है.  दोस्तों, जैसे हमारा सोने और जागने का एक cycle या rhythm होता है उसी तरह हमारे बॉडी में हार्मोन्स भी उसी अनुसार secrete होते हैं. हम कुछ भी खाते हैं तो pancreas से इन्सुलिन release होता है जो भोजन में कार्बोहाइड्रेट को पचाने में शरीर कि सहायता करता है. पर हमारी circadian rhythm के अनुसार इन्सुलिन भी सबसे ज़्यादा सुबह ऐक्टिव होता है और सूर्यास्त के बाद इसका secretion धीमा पड़ जाता है. इसलिए अगर आप सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाते है तब insulin secrete तो होता है पर वह उसी तरह काम करता है जैसे किसी इंसान को आधी नींद में उठा कर काम कराया जाये. इस वजह से carbohydrates yani sugars ठीक से digest नहीं हो पाते है और शरीर में फैट की मात्रा बढ़ने लगती है. time restricted eating में आप को अपना खाने का समय कम करना है. जो अभी 14 घंटे है इसे धीरे धीरे कम करके 12 घंटे करे और फिर इसी समय को दस घंटे तक कर दे. जैसे की आप सुबह अगर सात बजे उठते हैं और 7:30 बजे चाय पीते हैं तो अपना लास्ट meal आप शाम को 7:30 pm तक ले ले. शुरू में सिर्फ़ इस टाइम में ही खाना है aap इस पर ध्यान दे ना की क्या खाना है is par, fir dhire dhire tym ke sath aap is tym me apni meals bhi set karein, healthy meals lein. दोस्तों, ध्यान रहे पानी आप कभी भी पी सकते हैं. सादे पानी को आपके फर्स्ट या लास्ट मील में काउंट नहीं किया जाएगा. पर अगर आप सुबह उठते ही पानी में कुछ भी मिला कर पीते है तो उसे आपका first meal ही माना जाएगा. शुरू में इस रूटीन को follow करने पर कुछ दिन आपको अच्छा नहीं लगेगा, भूख लगेगी

चिचिड़ाहट होगी और सर दर्द भी हो सकता है पर ये लक्षण सिर्फ़ कुछ दिनों तक ही आपको परेशान करेंगे फिर आपको इसकी आदत पड़ जाएगी. इस तरह टाइम पर खाना खाने से आपकी बॉडी में insulin resistance कम होता है. ऐसा करने से ना सिर्फ़ आप तोंद या belly फैट कम कर पायेंगे बल्कि गैस, acidity, bloating, पेट फूलना, अपच जैसी समस्याओं से भी निजात पायेंगे. अगर आपका लास्ट मील एक particular समय पर निर्धारित हो जाएगा तो आपका bowel movement का समय भी मॉर्निंग में निश्चित हो जाएगा और आपको बेटाइम मोशन नहीं जाना पड़ेगा. तो दोस्तों, is video me aapne jana ki कैसे हम अपने खाने का समय निर्धारित करके ना सिर्फ़ अपनी तोंद कम कर सकते है बल्कि कई जानलेवा बीमारियों से बचाव भी कर सकते हैं. Dosto weight loss me aap kya oil cooking me use karte he iska bhi important role hota, aur agar aap ye janana chahte he ki kaunsa cooking oil apke lie best he to aap right me die video par click karein.

और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर क्लिक करें|धन्यवाद

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Diabetes Workout Tips Hindi ✅ | Best Exercises for Diabetes at Home https://thydoc.com/best-exercises-for-diabetes-at-home/ https://thydoc.com/best-exercises-for-diabetes-at-home/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:05:53 +0000 https://thydoc.com/?p=1666 The post Diabetes Workout Tips Hindi ✅ | Best Exercises for Diabetes at Home appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, डायबिटीज की शुरुआती स्टेज में डॉक्टर आपको लाइफस्टाइल बदलने का सुझाव देते हैं. और अगर शुरुआती स्टेज में आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव ला पाते हैं तो डायबिटीज को दवाओं के बिना भी कंट्रोल किया जा सकता है, या फिर दवाइयों की जो रिक्वायरमेंट है वह कम करी जा सकती है. lifestyle modification में आता है आपकी डाइट और एक्सरसाइज. डाइट के बदलावों के लिए आप हमारा diet in diabetes वीडियो देख सकते हैं, जिसका लिंक आपको वीडियो के आखरी में मिल जाएगा. आज के इस वीडियो में हम डायबिटीज पर कंट्रोल के लिये क्या exercise और physical activity बेस्ट है यह डिस्कस करेंगे. इस वीडियो में हम बात करेंगे फिजिकल एक्टिविटी क्यों आपके लिए जरूरी है, सप्ताह में कितने टाइम आपको एक्सरसाइज करनी है, डायबिटीज के पेशेंट को एक्सरसाइज करते समय क्या सावधानियां रखनी है, और हम बात करेंगे aerobic exercises, स्ट्रैंथ ट्रेंनिंग एंड स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको scientifically backed सही मेडिकल जानकारी आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है. और आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारा चैनल subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों,

सबसे पहले बात करते हैं की diabetes में exercise या physical activity क्यों ज़रूरी है? दोस्तों, फ़िज़िकली ऐक्टिव होने के बहुत सारे फ़ायदे है. physical activity से, आपकी ब्लड सुगर कम होने लगती है, ब्लड प्रेशर normal की तरह जाता है, शरीर में खून का प्रवाह इम्प्रूव होता है, एक्स्ट्रा calories burn होती हैं जिस से वजन भी कम होता है, आपका मूड अच्छा रहता है, बुजुर्गों में याददाश्त दुरुस्त रहती है, बुजुर्गों में बार बार गिर जाने की दिक़्क़त नहीं होती है, आपको अच्छी नींद आती है. अगर आप overweight हैं तो एक्सरसाइज के साथ डाइट में calories कम करके वजन कम कर सकते है जिस से आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होंगे, खर्राटों की समस्या से राहत मिलेगी, और आप आसानी घूम फिर पायेंगे, आपकी लोगों पर डिपेंडेंसी कम होगी. दोस्तों, कुछ नहीं से कुछ एक्सरसाइज हमेशा बेटर होती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार आपको सप्ताह में पाँच दिन 30-30 minute की moderate से vigorous physical activity करनी चाहिए. पर अगर आपको वजन कम करना है तो सप्ताह में पाँच दिन एक घंटे या उससे ज़्यादा की एक्सरसाइज करनी चाहिये. अब आपके मन में ये ख़याल आ सकता है कि अगर मुझे डायबिटीज है तो क्या फिजिकल एक्टिविटी मेरे लिये सेफ है? इसके लिए भी हमारे पास आपके लिए कुछ टिप्स है.

सबसे पहला है हाइड्रेशन- आप एक्सरसाइज से पहले, एक्सरसाइज़ के दौरान और उसके बाद भी पानी पिये. हमेशा hydrated रहे. अगला टिप है planning- अगर आप कोई नयी physical activity या एक्सरसाइज करना चाहते है तो आप अपने डॉक्टर से ज़रूर डिस्कस करेंगे. वे ही आपको बता पायेंगे की आपकी टारगेट सुगर रेंज कितनी होनी चाहिए, आपको दूसरी बीमारी भी अगर साथ में है तो क्या उस में यह physical एक्टिविटी सेफ रहेगी. आपकी डायबीटीज़ की दवा और sugar levels के अनुसार आपको दिन में किस समय एक्सरसाइज करनी चाहिए . अगर आप इन्सुलिन पर है तो आपको अपनी एक्सरसाइज, डाइट और इन्सुलिन डोस में एक बैलेंस बनाना होगा ताकि आपकी सुगर low नहीं हो. ये सारी बातें आपके डॉक्टर आपको बतायेंगे. अगला टिप है hypoglycemia से बचे- एक्सरसाइज से ब्लड सुगर कम हो सकती है और अगर आप इन्सुलिन पे हैं तो वह ज़्यादा कम भी हो सकती है इसलिए आपको ऐसे कार्बोहाइड्रेट rich स्नैक्स अपने साथ रखने चाहिए जो आप एक्सरसाइज से पहले, उसके दौरान और उसके बाद ले सके. आपको इन तीन समय पर अपनी शुगर्स भी चेक कर सकते है. अगला टिप है अपने feet का ध्यान रखें- डायबिटीज में ब्लड सुगर बढ़ने से पैरों में रक्त का संचार कम हो जाता है और पैर की nerves भी ख़राब होने लगती है इसलिए आपको अपने फीट का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत होती है. आप कम्फर्टेबल और supportive जूते पहने. एक्सरसाइज के दौरान भी अपने पैरों का ध्यान रखे. दोस्तों, अगर आपको type 1 diabetes है और आपके ब्लड और यूरिन में कीटोंस है तो आपको एक्सरसाइज अवॉयड करनी चाहिए क्योंकि ऐसी कंडीशन में एक्सरसाइज करने से ब्लड सुगर और बढ़ सकती है.

अब बात करते हैं की आपको कौनसी physical activities diabetes में करनी चाहिए? अगर आप ने लंबे समय से एक्सरसाइज नहीं की है तो शुरू में रोज़ पाँच से दस मिनट कोई भी physical activity करे और हर सप्ताह ये टाइम थोड़ा थोड़ा बढ़ाते रहे. अपनी daily activities बढ़ाये और टीवी या screen time कम करे. टीवी ads के दौरान या फ़ोन पे बात करते समय walk करे. घर के छोटे मोटे कामों में हाथ बटाये जैसे की गार्डन साफ़ करना, गाड़ी साफ़ करना, घर साफ़ करना आदि. शॉपिंग करने जाये तो car थोड़ा दूर पार्क करे और वहाँ से पैदल जाये. लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करे. अपने परिवार के साथ walk पर जाये या उनके साथ cycle चलाये. अगर आप टीवी या कंप्यूटर के सामने लंबे समय तक बैठते हैं तो हर घंटे, तीन से चार मिनट का ब्रेक लेकर कोई एक्सरसाइज करे जैसे की leg lift or extension, overhead arm stretches, desk chair swivels, torso twists, side lunges, या अपनी जगह पे ही थोड़ा walk करे. दोस्तों, अब बात करते हैं aerobic exercises की. aerobic exercises से आपके दिल कि धड़कन बढ़ती है और साँसें भी तेज़ होती है. आपको रोज़ आधा घंटा aerobic एक्सरसाइज करने की कोशिश करनी चाहिए. ज़रूरी नहीं कि आप सारी aerobic एक्सरसाइज एक ही दिन करे. इसे आप पूरे सप्ताह में बाँट ले. एक्सरसाइज़ का ज्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने के लिए moderate से तेज intensity रखे. aerobic exercise में आप तेज़ चल सकते हैं, सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं, swimming कर सकते है, water aerobics class भी जॉइन कर सकते हैं, आप डांस भी कर सकते है, आप bicycle चला सकते है या stationary bike भी चला सकते हैं, आप gym या exercise class join कर सकते हैं, बास्केटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे स्पोर्ट्स भी खेल सकते हैं. बस aerobics से पहले warm up ज़रूरी है और उसके बाद cool down.

दोस्तों, अब बात करते हैं strength ट्रेनिंग की- strength training light से moderate intensity की एक्सरसाइज़ होती है जो हमारी muscles को बनाती है और हड्डियों को मजबूर रखती है. strength training पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ज़रूरी है. अगर आपके शरीर में muscles ज़्यादा होंगे और फैट कम होगा तो आप ज़्यादा calories बर्न करेंगे. ज़्यादा calories बर्न करके आप एक ideal body weight maintain कर पायेंगे. आप strength training में hand weights, elastic bands, या weight machine कुछ भी use कर सकते हैं. सप्ताह में दो से तीन बार strength training करने की कोशिश करे. जैसे जैसे आपके मसल्स मज़बूत होते जाये आप धीरे धीरे weights बढ़ा सकते हैं. दोस्तों, अब बात करते हैं stretching exercises की. stretching light से moderate intensity की एक्सरसाइज होती है. stretch करने से flexibility बढ़ती है, स्ट्रेस कम होता है और muscles sore नहीं होते हैं. आप अपनी पसंदीदा stretching एक्सरसाइज करे. योगा भी एक तरह की stretching हैं, जो हमारी साँस पे फोकस करता है और हमे रिलैक्स करता है. अगर आपको घूमने फिरने में,जमीन पर बैठने में या बैलेंस बनाने में कठिनाई होती है जो डायबिटीज के मरीज़ों में आम समस्या है, तो भी आप कुछ योगासन आसानी से कर सकते है जैसे की- chair योगा – जो आप कुर्सी पे बैठे बैठे या कुर्सी का सहारा ले कर, कर सकते हैं. तो दोस्तों, हमने जाना कि कैसे आप एक्सरसाइज या physical activity से अपनी डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते है. बस ध्यान रखें कि कोई भी नयी एक्सरसाइज अपने रूटीन में शामिल करने से पहले आप अपने treating डॉक्टर से राय ज़रूर ले. दोस्तों अगर आप डायबिटीज में डाइट के बारे में डिटेल में जानना चाहते हैं, diabetes में क्या नहीं खाना है, क्या खाना है कितने अमाउंट में खाना है तो आप राइट में दिए गए वीडियो को देखें जिसमें मैंने डायबिटीज के पेशेंट की डाइट के बारे में बताया है|

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(Shocking) Truth of Tea and Coffee- Benefits & Side Effects | चाय और कॉफी से फायदा होता है या नुकसान https://thydoc.com/coffee-benefits-side-effects/ https://thydoc.com/coffee-benefits-side-effects/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:58:34 +0000 https://thydoc.com/?p=1659 The post (Shocking) Truth of Tea and Coffee- Benefits & Side Effects | चाय और कॉफी से फायदा होता है या नुकसान appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, चाय और कॉफ़ी तो हम सभी को पसंद होती है और हमे आदत होती है सुबह उठते ही coffee या चाय पीने की जिससे की दिन कि शुरुआत हो सके. पर हम सभी लोग इन के नुक़सान भी जानते ही है पर क्या आपको पता है कि कॉफ़ी हमारे लिए फ़ायदेमंद भी हो सकती है और ख़ासकर हमारे लिवर के लिए कितनी ज्यादा फ़ायदेमंद होती है. तो आइए दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम कॉफ़ी के फ़ायदों के बारे में बात करते हैं. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, कॉफ़ी दुनिया में सबसे ज्यादा पी जाने वाले पेय पदार्थों में आती है. लोग कॉफ़ी पीते है जिससे उनकी सुस्ती मिटती है और शरीर में एनर्जी महसूस होती है. पर कॉफ़ी के इसके अलावा भी और कई फ़ायदे है. 

2016 में छपी एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार हमारे लिवर की सेहत के लिए कॉफ़ी बहुत ही फ़ायदेमंद होती है. इस रिपोर्ट में पाया गया कि अगर रोज़ moderate amount में कॉफ़ी पी जाये तो लिवर के कैंसर से भी बचाव संभव है. इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया की कॉफ़ी से लिवर की दूसरी बीमारियों जैसे कि fibrosis और cirrhosis का रिस्क भी कम होता है. और तो और अगर आपको लिवर की कोई भी बीमारी पहले से है तो कॉफ़ी पीने से लिवर की बीमारी का progression भी कम किया जा सकता है. स्टडी में देखा गया की कॉफ़ी पीने से लिवर के एंज़ाइम्स जैसे की aspartate amino transferase (AST), alanine amino transferase (ALT), gamma glutamyl transferase (GGT) और alkaline phosphatase या ALP का लेवल भी उन लोगों की तुलना में कम पाया गया जो कॉफ़ी नहीं पीते हैं या कम पीते हैं. ये तो आप जानते ही हैं कि कॉफ़ी में कैफीन होता है जो आपकी सुस्ती को दूर भगाता है पर कॉफ़ी में और ऐसे कौनसे कैमिकल्स होते है जिसकी वजह से कॉफ़ी को इतना फ़ायदेमंद माना गया है. Dosto coffee me caffeine ke sath hi polyphenols naam ke substance hote he jo fatty liver ki severity ko kam karte he. Iske alawa कॉफ़ी में kahweol और cafestol नाम के chemicals होते हैं जो शरीर में कैंसर से लड़ते है और ख़ासकर hepatocellular cancer या liver cancer से बचाने में सबसे ज़्यादा मददगार साबित होते हैं. कॉफ़ी में कुछ प्रकार के एसिड भी होते हैं जो वायरस ke infection से protect karte he. इसके अलावा जब पेट में जाके कॉफ़ी digest होती है तो कॉफ़ी कि डाइजेशन से एक paraxanthene नाम का केमिकल बनता है . इस केमिकल की वजह से कॉफ़ी के कई फ़ायदे देखे जाते हैं.

जैसे की paraxanthene liver fibrosis में बनने वाले scar टिश्यू को कम करता है, लिवर के  कैंसर के ख़तरे को कम करता है और साथ ही साथ liver cirrhosis के ख़तरे को भी कम करता है. दोस्तों, अगर आप कैफीन tolerate नहीं कारोबारी है तो आपके लिए एक अच्छी खबर ये है की ये सभी फ़ायदे decaffeinated coffee में भी होते है.  और ये फ़ायदे पुरुषों और महिलाओं में बराबर होते है. दोस्तों, अब जानते हैं कि एक दिन में कितनी कॉफ़ी आपको पीनी चाहिए? दोस्तों, स्टडी में पाया गया है की जितनी ज़्यादा कॉफ़ी आप पीते है उतना ज़्यादा फ़ायदा आपको होगा. जैसे की अगर आप दो कप कॉफ़ी रोज़ पीते है तो cirrhosis का रिस्क 44% कम हो जाता है वहीं अगर आप दिन में चार कप कॉफ़ी पीते हैं तो cirrhosis का ख़तरा 65% कम हो जाता है.  अगर आप लिवर की किसी भी बीमारी से बचना चाहते हैं तो दिन में कम से कम तीन कप कॉफ़ी आपको पीना चाहिये. पर अगर आपको पहले से लिवर की कोई बीमारी है जैसे की hepatitis या non alcoholic fatty liver disease तो आप को 3-4 कप कॉफ़ी एक दिन में पीनी चाहिए जिससे बीमारी का progression धीरे हो सके. पर इतनी ज्यादा कॉफ़ी सब लोग हैंडल नहीं कर पाते है. इतनी ज़्यादा कॉफ़ी से pet me acidity, gas, jitteriness या हाथों में कंपन, anxiety, nervousness और नींद आने में तकलीफ़ हो सकती है. इसलिए आप जितनी कॉफ़ी आराम से सहन कर पाये उतनी ही कॉफ़ी पिये. पर ध्यान रहे जब भी आप कॉफ़ी पिये क्रीम, दूध और सुगर को उस में ऐड ना करे. क्योंकि जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है वे लोग पहले से overweight और obese होते है इसलिए कॉफ़ी का फ़ायदा तभी है अगर उस में फैट और सुगर ना मिलायी जाये. इसलिए black coffee ही best है. पर अगर आप black कॉफ़ी पीना पसंद नहीं करते हैं तो आप उस में  plant based milk जैसे की almond milk, oats milk, cashew milk ऐड कर सकते हैं.

अब बात करते हैं की किन लोगों को ज़्यादा कॉफ़ी avoid करनी चाहिए. अगर आपको हृदय गति अनियमित होने की परेशानी है तो भी आपको ज़्यादा कॉफ़ी नहीं पीनी चाहिए. जिन लोगों को लंग कैंसर है उन्हें भी कॉफ़ी का इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए. कॉफ़ी से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है इसलिए जिन लोगों को बढ़े  हुए कोलेस्ट्रॉल की समस्या है या उच्च रक्तचाप है उन्हें कॉफ़ी का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिये. और बच्चों और बुजुर्गों को भी कॉफ़ी का इस्तेमाल कम करना चाहिए.  कॉफ़ी सिर्फ़ लिवर के लिए ही नहीं बल्कि शरीर में  और भी अंगों पर सकारात्मक असर डालती है और कई तरह की बीमारियों और कैंसर से बचाव करती है जिन में आते हैं liver cancer, colorectal cancer, eaophageal cancer, breast cancer, prostate cancer, pancreatic cancer, ovarian cancer, endometrial कैंसर, kidney cancer, non alcoholic fatty liver disease. तो देखा दोस्तों, कॉफ़ी सिर्फ़ लिवर के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के कितने अंगों के लिए फ़ायदेमंद होती है पर याद रहे दोस्तों, आपके लाइफस्टाइल modifications भी बराबर ज़रूरी हैं. इसलिए सप्ताह में कम से कम 150 min एक्सरसाइज करे, एक ideal body weight मैंटेन करे, alcohol कम से कम पिए, hepatitis के लिए उपलब्ध vaccination अवश्य करवाये. 

Dosto fatty liver ke ilaaj me diet Bohot important role play karti he, agar aap ye janana chahte he ki fatty liver me aapko kya diet leni chahie aur kya nahi khana chshie to aap right me die video par click karein.

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रोज कितना प्रोटीन लेना चाहिए? | Is PROTEIN Powder Safe | HIGH PROTEIN FOOD Veg & NON Veg PROTEIN https://thydoc.com/is-protein-powder-safe/ https://thydoc.com/is-protein-powder-safe/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:50:22 +0000 https://thydoc.com/?p=1642 The post रोज कितना प्रोटीन लेना चाहिए? | Is PROTEIN Powder Safe | HIGH PROTEIN FOOD Veg & NON Veg PROTEIN appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, आपने अक्सर जिम जाने वाले लोगों को प्रोटीन लेते हुए देखा होगा. पर चूँकि आप जिम नहीं जा पा रहे हैं तो आप ऐसा मानते हैं की प्रोटीन आपके लिये नहीं है. और क्या आप ये भी मानते हैं की प्रोटीन ज़्यादा लेने से किडनी ख़राब हो सकती है? तो दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम इन सभी भ्रांतियों का निदान करेंगे और जानेंगे की प्रोटीन हमे कितना और कैसे लेना चाहिए. मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें.

दोस्तों, हमारे खाने में तीन चीज़ों का होना बहुत ज़रूरी है वह है कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन. इन तीनों के डाइट में होने पर ही हमे प्रॉपर न्यूट्रीशन मिल पाता है. इनमें से हम आज फोकस करेंगे प्रोटीन पे. प्रोटीन हमारे शरीर में बिलकुल वैसे ही काम करता है जैसे किसी इमारत में ईंट. प्रोटीन ना सिर्फ़ हमारे शरीर में मांसपेशियाँ, टेंडन, अंग और स्किन बनाता है बल्कि एंज़ाइम्स, हॉर्मोन और neurotransmitters जैसे शरीर के लिए ज़रूरी molecules भी बनाता है. प्रोटीन बहुत सारे छोटे molecules से बनता है जिसे aminoacids कहते हैं और ये aminoacids धागे पे मोती की माला की तरह arranged रहते हैं. ये amino acids दो तरह ke होते हैं essential और non essential. एसेंशियल यानी शरीर के लिए ज़रूरी amino एसिड्स जहां कुछ essential amino acids हमारे शरीर में बनते है वहीं दूसरे essential amino acids हमे बाहर से अपनी डाइट में लेने पड़ते हैं. अलग अलग डाइटरी sources या फ़ूड आइटम्स में अलग अलग तरह के aminoacids होते हैं. जहां dairy और meat प्रॉडक्ट्स में सारे ज़रूरी या essential aminoacids होते हैं वहीं plant sources में सभी ज़रूरी amino एसिड्स नहीं मिल पाते हैं. इसलिए जहां अपनी डाइट में प्रोटीन लेना ज़रूरी है वहीं ये भी ज़रूरी है कि ये प्रोटीन अलग अलग sources से लिये जाये ताकि सारी essential aminoacids हमे मिल पाये. दोस्तों, अब जानते हैं कि प्रतिदिन कितना प्रोटीन हमारे लिए ज़रूरी होता है?  हर adult में lagbhag 0.8 gm/kg प्रोटीन रोज़ लेना ज़रूरी होता है.

यानी अगर आपका वजन 60 kg है तो  आपको 48 gm protein रोज़ अपनी डाइट में लेना चाहिए. ख़ासकर महिलाओं में तो प्रोटीन और bhi zyada ज़रूरी hota है क्योंकि महिलाओं में muscle मास पहले से कम ही होता है. आपकी प्रोटीन की daily requirement का  दस प्रतिशत हिस्सा आप प्रोटीन पाउडर से पूरा  कर सकते है. यानी  80- 90 प्रतिशत प्रोटीन आपको अपनी डाइट से ही लेना चाहिए. जो लोग overweight हैं या जिन्हें belly fat है उन लोगो को प्रोटीन 1 gm/kg प्रतिदिन तक लेना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोटीन शरीर में leptin नामक संतुष्टि हॉर्मोन भी बढ़ाता है जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है और कैलोरी intake कम हो जाती है. Iska matlab ye he ki aapko अपनी कुल calorie intake का 30 % कैलोरी प्रोटीन से लेना ही चाहिए. इसलिए जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उन लोगो को प्रोटीन ज़्यादा लेना चाहिए जिससे उन्हें भूख कम लगे और कैलोरी intake भी कम हो जाये. कुछ केसेज में प्रोटीन की ज़रूरत और बढ़ जाती है जैसे की pregnancy और breastfeeding में जहां माँ को बच्चे के विकास के लिए प्रोटीन की ज़रूरत ज़्यादा होती है , बुजुर्गों में हड्डियाँ  और मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती है और इसके अलावा उन लोगो में जो लोग ज़्यादा physically ऐक्टिव है जैसे कि athletes. दोस्तों, अब बात करते हैं की किन sources से आप प्रोटीन अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. इनमें सबसे पहले आता है डेरी प्रॉडक्ट्स जैसे की दूध, पनीर, दही, cheese आदि. एक 250 ml glass दूध से हमे 8 se 9 ग्राम प्रोटीन, एक cheese slice से सात ग्राम प्रोटीन मिलता है. आगे बात करते है plant source प्रोटीन की जिन में आते हैं सोयाबीन, टोफू, बींस, nuts, quinoa आदि. 

सौ ग्राम boiled राजमा से नौ ग्राम प्रोटीन और एक मुट्ठी भर नट्स से 2 se 7 ग्राम प्रोटीन हमे मिलता है, ye depend karta he kaunse nuts aap le rahe hein. इसके अलावा non veg sources है eggs और meats जैसे की chicken, lean meats, fish आदि. जहां एक बड़े अंडे में 6 gm protein होता है वहीं 100 gm chicken में 27 se 30 gm protein होता है. इसलिए अपने हर meal में आप कोई ना कोई प्रोटीन ज़रूर शामिल करे. और बाक़ी कमी कि पूर्ति के लिए आप प्रोटीन पाउडर या supplement इस्तेमाल कर सकते है जिस में आता है whey protein और plant प्रोटीन. दोस्तों, दूध में बीस प्रतिशत whey होता है और 80 प्रतिशत casein. बाज़ार में मिलने वाला whey प्रोटीन पाउडर एक purified whey प्रोटीन होता है. इसके अलावा जो लोग dairy avoid करना चाहते हैं aise लोगों के लिए बाज़ार में plant प्रोटीन भी उपलब्ध है, जिस में मुख्यतया soya प्रोटीन या soya isolate या pea protein होता है. कोई भी प्रोटीन पाउडर ख़रीदते समय  आप उस पर लगी ingredient लिस्ट पे  ज़रूर ध्यान दे. देखे की उस में sugar तो नहीं है. कोई heavy metals तो नहीं है. जितनी छोटी ingredient लिस्ट होगी प्रोटीन उतना अच्छा होगा.

सामान्यतः एक स्कूप प्रोटीन में 25-30 gm protein होता है पर एक scoop में कितना प्रोटीन होगा ये भी हर कंपनी के अनुसार अलग अलग  हो सकता है. इसके लिए आप लिस्ट चेक करे और अपनी ज़रूरत के अनुसार protein पाउडर को दूध या पानी में मिला कर पिए. अब जानते है कि क्या ये प्रोटीन पाउडर आपके शरीर को नुक़सान पहुँचाते हैं और किडनी ख़राब करते है? इसका जवाब है agar aapko koi bimari nahi he aur aap apni body ki per day ki required amount me lenge to ye बिलकुल नहीं karega aur aapko fayda hi milega. जब आप प्रोटीन पाउडर लेना शुरू करते है तो शुरू में आपको पेट में गैस, पेट फूलना और अपच जैसा महसूस हो सकता है पर जैसे जैसे आपके शरीर को इसकी आदत हो जाती है ये सारी परेशानियों ख़त्म हो जाती है. इसलिए जब आप प्रोटीन पाउडर लेना शुरू करे तो शुरू में कम ले और धीरे धीरे बढ़ाये, air iske sath pani khoob pie. अब बात करते हैं की किन लोगों को ये प्रोटीन पाउडर नहीं लेना चाहिए. इनमें आते है वे लोग जिनको किडनी की बीमारी है और उन्हें हाई प्रोटीन डाइट मना की गई है. ऐसे लोगो को प्रोटीन नहीं लेना चाहिए. उन लोगों को भी ये पाउडर नहीं लेना चाहिए जिन्हें ऐसी जन्मजात बीमारी है जिस में प्रोटीन को वे लोग नहीं पचा पाते हैं, ya wo log jinhe kinhi karan se doctors ne protein ka intake limit kara he.

 तो दोस्तों, देखा आपने की प्रोटीन हम सभी के लिया कितने ज़रूरी है

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शराब पीने के नुक्सान | शराब पीने से शरीर पर क्या असर पड़ता है? | Effects of Alcohol on Body https://thydoc.com/effects-of-alcohol-on-body/ https://thydoc.com/effects-of-alcohol-on-body/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:37:03 +0000 https://thydoc.com/?p=1634 The post शराब पीने के नुक्सान | शराब पीने से शरीर पर क्या असर पड़ता है? | Effects of Alcohol on Body appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, पुरानी रिसर्च में माना गया था कि अल्कोहल अगर संतुलित मात्रा में ली जाये तो उसके कुछ हेल्थ बेनिफिट भी होते है पर हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया है की alcohol की कोई safe limit नहीं है. शराब पहले घूँट से ही शरीर को नुक़सान पहुँचाने लगती है और आज हम इसी बारे में बात करेंगे .
नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है. और आगे भी ऐसी जानकारी से updated रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और इस वीडियो को अपने परिवार और दोस्तों में शेयर करे. दोस्तों, आज हम बात करते हैं कि अल्कोहल का शरीर पर क्या असर होता हैं और ख़ासकर लिवर को कैसे डैमेज करता है.
सबसे पहले बात करते हैं अल्कोहल की. अल्कोहल कोई भी हो बियर, व्हिस्की, वोडका, वाइन, champagne, टकीला या स्कॉच हमारे शरीर और लिवर को नुक़सान पहुँचाती है.

हम अधिकतम कितनी शराब एक दिन में पी सकते है इसकी सीमा निर्धारित है और वह पुरुषों में है 2 drinks per dayऔर महिलाओं में 1 drink per day. अगर आप ऐसा सोचते है की मैं तो सिर्फ़ वाइन पिता हूँ या मैं तो सिर्फ़ बियर पीता हूँ तो आप ग़लत हैं. किसी भी फॉर्म में शराब नुक़सानदायक है. एक regular beer में 7 से 8% alcohol होता है जबकि light beer में 4.2%. Wine में 12-17% alcohol होता है. वहीं gin, रम, टकीला, वोडका, brandy,whiskey में 40% alcohol होता है.अगर हम 1 drink की बात करें तो 1 drink होता है 345 ml 5% beer, 148 ml wine, और 44 ml distilled spirit मैं.

दोस्तों जब भी आप अल्कोहल पीते हैं, वह लिवर में प्रोसेस होता है ताकि उसे शरीर से बाहर निकाला जा सके. इस प्रोसेस में लिवर में कुछ ऐसे पदार्थ बनते हैं जो अल्कोहल से भी ज़्यादा नुक़सानदायक होते हैं. ज़्यादा शराब पीने से ये पदार्थ liver मैं ज़्यादा बनते हैं और ये पदार्थ लिवर की कोशिकाओं को और हमारी शरीर के दूसरे अंगों को नुक़सान पहुँचा सकते है और लिवर को कई लोगों में seriously डैमेज भी कर सकते है. अल्कोहल से होने वाली लिवर की बीमारी की वजह से पाँच में से चार लोगों की मौत हो जाती है. इन लोगों में अल्कोहल से कई तरह की लिवर की बीमारी हो सकती है जैसे की fatty liver या steatosis, लिवर की सूजन या alcoholic hepatitis, cirrhosis या लिवर की scarring और लिवर failure. सबसे पहले बात करते हैं fatty लिवर की जहां लिवर में फैट जमा हो जाता है. ज़्यादातर लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं और इसका पता किसी और बीमारी के लिए की गई पेट कि सोनोग्राफी से चलता है जहां लिवर normal से ज्यादा bright नज़र आता है. कुछ लोगों में थकान, भूख ना लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं. blood टेस्ट में लिवर के एंजाइम जैसे की sgot और sgpt बढ़े हुए आ सकते है और अल्कोहल की वजह से होने वाले फैटी लिवर में sgot क़ी मात्रा sgpt से ज़्यादा भी हो सकती है. अगर इस स्टेज पर बीमारी को treat या intervene ना किया जाये तो लिवर cirrhosis भी हो सकता है जो की irreversible होता है मतलब उसे ठीक नहीं किया जा सकता.

liver damage में सेकंड स्टेज आती है जहां hepatitis होता है. इस स्टेज में लिवर में सूजन आ जाती है. लिवर हार्ड होने लगता है. अगर शुरुआत में इसका इलाज ना किया जाये तो मरीज़ को भूख ना लगना, जी घबराना, पेट में दायी तरफ़ दर्द, पीलिया, खून की जाँच में bilirubin बढ़ जाता है, लिवर फेलियर और लिवर cirrhosis हो सकता है. अगली और आख़िरी स्टेज है लिवर cirrhosis- पाँच में से एक हैवी ड्रिंकर को cirrhosis हो सकता है. लिवर में जमा फैट और सूजन की वजह से लिवर में scar बनने लगते है. और अगर स्कार ज़्यादा बनने लगे तो उसे cirrhosis कहते हैं. लिवर के नार्मल सेल्स की जगह ये scars ले लेते हैं जिससे लिवर ठीक से फंक्शन नहीं कर पाता है और लिवर फेलियर में चला जाता है. लिवर फेलियर एक जानलेवा बीमारी है. शुरुआत में cirrhosis के लक्षण दिखाई नहीं भी दे सकते है पर बाद में cirrhosis की वजह से लिवर हार्ड हो जाता है. हमारे शरीर का बहुत ज़रूरी प्रोटीन एल्बुमिन लिवर में बनता है. cirrhosis में एल्बुमिन लिवर में बन नहीं पाता है और शरीर में उसकी कमी हो जाती है. खून में इस कमी की वजह से धमनियों या blood vessels से पानी बाहर निकालने लगता है और शरीर के कई हिस्सों में इकट्ठा होने लगता है जिस से पैरों में सूजन, पेट में पानी भी भर जाता है. इसके अलावा हमारी भोजन नली की veins भी फूल जाती है जिससे खून की उल्टी, मोशन में ब्लड आना और काला स्टूल होना जैसे लक्षण हो सकते हैं. लिवर शरीर से कई तरह के waste material को बाहर करता है जिस में से एक है अमोनिया. cirrhosis या लिवर फेलियर में शरीर में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है जो ब्रेन में जाके असर करती है जिस से मरीज़ में बेहोशी आना और मरीज़ का बहकी बहकी बातें करना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. cirrhosis में शरीर की मांसपेशियाँ टूटने लगती है जिससे मरीज़ कमजोर हो जाता है. लिवर में खून का थक्का जमाने वाले clotting factors भी बनते है जो cirrhosis में बनना बंद हो जाते हैं और शरीर में platelets भी कम हो जाती है जिससे खून पतला हो जाता है. मरीज़ के शरीर पर लाल लाल निशान होने लगते हैं. मरीज़ का PT/INR भी बढ़ जाता है जो यह दर्शाता है की मरीज़ का खून पतला हो गया है. इसके अलावा स्प्लीन की साइज भी बढ़ जाती है. अब बात करते है की किन लोगों में अल्कोहल के सेवन से लिवर डैमेज होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. ये है obese लोग जिनका वजन सामान्य से ज़्यादा है इनमें फैटी लिवर का रिस्क बढ़ जाता है और आगे cirrhosis का रिस्क भी बढ़ जाता है. वे लोग जो smoker हैं. अल्कोहल के साथ स्मोकिंग करने से भी आपको लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है. वे लोग जिनकी diet poor है. जो heavy drinkers protein, vitamin और mineral से भरपूर balanced डाइट नहीं लेते हैं उन में भी लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है.

लिवर के अलावा अल्कोहल शरीर के दूसरे अंगों को भी नुक़सान पहुँचाता है. सबसे पहले बात करते है दिमाग़ पर इसका क्या असर होता है. लंबे समय तक अल्कोहल पीने से आपकी याददाश्त कमजोर हो सकती है, आप clearly सोच नहीं पाते हैं, आप अपने emotion control नहीं कर पाते है, anxiety होती है, हाथ पैरों में झनझनाहट और सूनापन आ सकता है. समय के साथ अल्कोहल आपके ब्रेन के frontal lobe पर खराब असर दिखाना शुरू कर देता है जो हमारे decision making, reasoning, social behaviour और performance के लिए ज़रूरी होता है. इसके अलावा लंबे समय तक heavy drinking की वजह से wernicke korsakoff syndrome जैसी बीमारी भी हो सकती है जिस में आपकी याददाश्त पे सबसे ज़्यादा असर होता है.
आगे बात करते है हार्ट पे अल्कोहल के होने वाले असर कि. अल्कोहल के ज़्यादा सेवन करने से high blood प्रेशर, दिल की बीमारी, दिल की गति अनियमित हो जाना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल हो जाना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. इसके अलावा शरीर में खून की कमी भी हो सकती है जिससे मरीज़ को हमेशा थकान महसूस होती है. आगे बात करते है हमारे पाचन तंत्र की. शराब के सेवन से हमारे पाचन तंत्र या digestive system की लाइनिंग नष्ट होने लगती है जिस से भोजन के विटामिन और minerals ठीक तरह से अब्सोर्ब नहीं हो पाते है और उनकी कमी हो जाती है. heavy drinking से पेट में गैस होना, bloating होना, दस्त होना, constipation होना, ulcer और piles जैसी समस्या भी हो सकती है. इन ulcers से ब्लीडिंग हो सकती है जो घातक साबित हो सकती है. इसके अलावा pancreas में सूजन आ सकती है जिसे pancreatitis कहते है. इस बीमारी में pancreas के एंजाइम असंतुलित मात्रा में निकालने लगते है जिससे मरीज़ को पेट में बहुत तेज दर्द होता है. इस बीमारी का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया जाये तो यह लंबी बीमारी का रूप ले सकती है और काफ़ी complication हो सकते हैं. pancreas में ही इन्सुलिन बनता है और इस बीमारी से सुगर का संतुलन भी बिगड़ सकता है. सुगर ज़्यादा भी हो सकती है और कम भी. अब बात करते है sexual और reproductive health की. लंबे समय तक heavy ड्रिंकिंग से आपके sex हॉर्मोन बनना कम हो जाते हैं. आपकी सेक्स की इच्छा कम होने लगती है. erection आने में और maintain करने में दिक़्क़त होती है और orgasm भी achieve नहीं कर पाते हैं.

महिलाओं में menstrual cycle पर भी असर होता है. infertility या बांझपन भी हो सकता है. अब बात करते हैं हमारी bones की. heavy drinking से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं और उनके फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है. मांसपेशियाँ में cramps भी आ सकते हैं. मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती है जिससे इंसान कमजोर हो जाता है. आगे बात करते है हमारे immune system की. हैवी ड्रिंकिंग से हमारा immune सिस्टम कमजोर पड़ जाता है और शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और निमोनिया और टी बी जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है. who ने पाया है कि दुनिया के 8.1% TB के केस alcohol से connected हैं. इसके अलावा अल्कोहल से मुँह, गले, breast, भोजन नली, बड़ी आँत, और लिवर के कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है. अब बात करते हैं alcohol के psychological असर की. heavy drinkers में anxiety, depression और bipolar disorder जैसी समस्यायें कॉमन हैं. अल्कोहल से हमारे इमोशन, मूड और व्यक्तित्व पर गहरा असर होता है. किसी चीज़ पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है. impulse कंट्रोल नहीं होता. याददाश्त कमजोर हो जाती है. इसके अलावा alcohol की लत की वजह से भी काफ़ी समस्यायें खड़ी हो जाती है जिस में मरीज़ alcohol नहीं पीने पर withdrawal symptoms आने लगते हैं जैसे की हाथों का काँपना, nervous होना, anxiety होना, ज्यादा पसीने आना, जी घबराना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, दौरे आना, चीजें दिखाई देना और बहकी बहकी बातें करना. इसके अलावा मरीज़ के पारिवारिक रिश्तों पर भी असर होता है और घर पर आये दिन तनाव होना एक आम बात हो जाती है. heavy drinking से आप का financial burden भी बढ़ता है. तो दोस्तों, इस वीडियो में आप ने जाना कि कैसे अल्कोहल का सेवन शरीर के लिए हर तरह से नुक़सानदायक है. दोस्तों अगर आप धूम्रपान यानी कि स्मोकिंग की समस्या से परेशान है और इसे तुरंत छोड़ना चाहते हैं तो आप राइट में दिए गए वीडियो को देखें जिसमें मैंने धूम्रपान छोड़ने के आसान तरीकों के बारे में बताया है|

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पेट में अलसर, ACIDITY | Helicobacter Pylori Infection | H-Pylori Infection Tests, Causes & Symptoms https://thydoc.com/helicobacter-pylori-infection/ https://thydoc.com/helicobacter-pylori-infection/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:34:06 +0000 https://thydoc.com/?p=1629 The post पेट में अलसर, ACIDITY | Helicobacter Pylori Infection | H-Pylori Infection Tests, Causes & Symptoms appeared first on Thydoc Health.

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क्या आपको हमेशा एसिडिटि और गैस की समस्या रहती है? क्या आपको अक्सर पेट में जलन रहती है? और आप अक्सर street food enjoy करते हैं? तो दोस्तों, हो सकता है कि आपको h pylori bacteria का इन्फेक्शन हो गया हो. और क्या आप को पता  है की भारत में 60 से 70 प्रतिशत लोगों को यह इन्फेक्शन है. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. 

दोस्तों, h pylori नाम के इस बैक्टीरिया का इन्फेक्शन तब होता है जब यह  बैक्टीरिया पेट में जाके सुजान ला देता है. और कई बार यह इन्फेक्शन  अक्सर बचपन में ही हो जाता है जब यह बैक्टीरिया दूषित खानपान के ज़रिए पेट में पहुँचता है और पेट में ही अपना  घर बना लेता है. इस बैक्टीरिया की ख़ास बात यह है कि यह पेट के acid में भी जीवित रह पाता है. h pylori, peptic अलसर, पेट की और duodenum ki सूजन का मुख्य कारण है और दुनिया में आधे से ज़्यादा लोग इस बैक्टीरिया से infected होते हैं. पर अक्सर इस बात से अनजान होते हैं क्योंकि ज़्यादातर लोगों में h pylori के कोई लक्षण नहीं होते हैं. और इस बात पे रिसर्च भी चल रही है की सभी लोगों को लक्षण क्यों नहीं आते है और अब तक की शोध से यह पता चला है कि कुछ लोग इस बैक्टीरिया के हानिकारक प्रभावों से resistant होते हैं. और जब इस इन्फेक्शन के लक्षण मरीज़ में आने लगते हैं तब वे डॉक्टर के पास जाते है. तो सबसे पहले हम बात करते हैं की इस इन्फेक्शन के क्या क्या लक्षण हो सकते हैं. ये लक्षण एसिडिटि और अलसर से संबंधित होते हैं.

इनमें सबसे पहले आता है पेट में जलन, पेट में दर्द, ख़ाली पेट इस दर्द का बढ़ना, जी घबराना, भूख ना लगना, बार बार डकार आना, पेट फूलना या bloating होना, अचानक से वजन कम होने लग जाना. कई बार ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं जिसके लिये आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इन गंभीर लक्षणों में आता हैं मोशन में खून आ जाना , आपको काले रंग का मोशन हो सकता है, आपको उल्टी में खून आ सकता है या कॉफ़ी रंग की उल्टी आ सकती है या आपको पेट में बहुत तेज दर्द हो सकता है. अब बात करते हैं की ये इन्फेक्शन कैसे होता है. ये इन्फेक्शन इंफ़ेक्टेड खाने और पानी से हो सकता है या फिर इंफ़ेक्टेड लार, vomit या मल के संपर्क में आने से भी यह इन्फेक्शन आपको हो सकता है. अगर आप इन इंफ़ेक्टेड चीज़ों के संपर्क में आये और आपने बिना हाथ धोये ख़ाना खाया तो ये बैक्टीरिया आपके पेट में पहुँच जाएगा.

कुछ लोगों को h pylori इन्फेक्शन का ख़तरा दूसरे लोगों से ज्यादा होता है. ये लोग हैं वे लोग जो क्लीन हाइजीन नहीं maintain करते हैं, बिना हाथ धोए ख़ाना या पानी ले लेते हैं  या वे लोग जिन्हें पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता है. इस इन्फेक्शन का ख़तरा उन लोगों में भी ज़्यादा है जो किसी ऐसे इंसान के साथ रह रहे है जिसे h pylori का इन्फेक्शन है. अगर इस इन्फेक्शन का इलाज समय पर ना हो तो मरीज़ को काफ़ी  जटिलताएँ भी हो सकती हैं जैसे की peptic अलसर जहां पेट में या पेट से निकलने वाली छोटी आँत के पहले भाग में अलसर हो जाते हैं, पेट में सूजन या gastritis भी हो सकता है, पेट का कैंसर भी हो सकता है. दोस्तों अब बात करते हैं की कैसे इस इन्फेक्शन का diagnosis जल्द से जल्द हो सकता है. इनमें आते हैं stool antigen test जिस में मरीज़ के मल की जाँच की जाती है जिस में एक ऐसे प्रोटीन की जाँच होती है जो सिर्फ़ h pylori बैक्टीरिया में मिलता है,

अगला टेस्ट है stool pcr test जिस में मरीज़ के मल में  इस बैक्टीरिया के dna को ढूँढा जाता है. और इस टेस्ट से यह भी पता चलता है की एंटीबॉयोटिक्स इस बैक्टीरिया पे काम करेगी या नहीं. यह टेस्ट antigen टेस्ट से ज़्यादा महँगा होता है और यह हर जगह नहीं होता है. अगला टेस्ट है breath टेस्ट जहां आपकी साँस की जाँच की जाती है जिस में Co2 को अस्सेस करा जाती है. अगला टेस्ट है एंडोस्कोपी एंड बायोप्सी जहां दूरबीन से आपके मुँह के रास्ते पेट तक पहुँचा जाता है और बाहर टी वी पे आपके पेट के अंदर की तस्वीर देखी जाती है. अगर h pylori का infection है तो पेट में सूजन हो सकती है और अलसर भी दिखायी दे सकते हैं. इस दूरबीन की जाँच के दौरान पेट की biopsy ली जाती है और एक rapid urease टेस्ट नाम का टेस्ट भी किया जाता है जो मात्र दो मिनट में हो जाता है.  अगर इन जाँचो में आपके h pylori का इन्फेक्शन आया हैं तो इसके इलाज के लिए एंटीबॉयोटिक्स दी जाती है. दो से तीन तरह की एंटीबॉयोटिक्स, सात दिन से दो हफ़्तों तक दी जाती है. और इस इलाज से 80-90 प्रतिशत cases में पूर्ण उपचार देखा गया है. एंटीबॉयोटिक्स की वजह से मामूली side effects जैसे की डायरिया, जी घबराना इत्यादि हो सकता है पर फिर भी एंटीबॉयोटिक्स के कोर्स को पूरा लेना बहुत ज़रूरी है  नहीं तो antibiotic resistance हो सकती है. antibiotic कोर्स पूरा होने के बाद h pylori की जाँच फिर से की जाती है. साथ ही साथ इसके लक्षणों के इलाज के लिए  पेट के एसिड को कम करने की दवाएँ जैसे की ppi या proton pump inhibitor और H2 blockers भी दिये जाते हैं,

इसके अलावा अलसर के दर्द और जलन से राहत पाने के लिये कुछ ऐसी दवाएँ भी दी जाती है जो अलसर और पेट में एक coating बनाती है जैसे की bismuth subsalicylate. इलाज के दौरान चार हफ़्तों बाद दुबारा h pylori की जाँच की जाती है और अगर यह जाँच पॉजिटिव आती है तो इससे यह पता चलता है की जो एंटीबॉयोटिक्स दी जा रही हैं वह इस बैक्टीरिया पे असर नहीं कर पा रही है और इन्हें बदलने की ज़रूरत है या और दूसरी एंटीबॉयोटिक्स ऐड करने की ज़रूरत है. दोस्तों, h pylori के इन्फेक्शन से बचाव संभव है अगर हम अच्छी हाइजीन और सैनिटेशन की आदतें अपनाए. शौच के बाद और खाने से पहले या किसी भी खाने की चीज़ को हैंडल करने से पहले हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह धोये. अगर साबुन उपलब्ध नहीं है तो sanitiser का  इस्तेमाल करे. अगर आपकी acidity लंबे समय से है और ठीक नहीं हो रही है तो h pylori की जाँच अवश्य कराये. 

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