Stomuch Related Problem Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/stomuch-related-problem/ Thydoc Health Mon, 01 Apr 2024 07:57:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://thydoc.com/wp-content/uploads/2024/01/cropped-Thydoc-Favicon-32x32.png Stomuch Related Problem Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/stomuch-related-problem/ 32 32 पेट के अल्सर के कारण और लक्षण | Stomach Ulcer Causes & Symptoms | Peptic Ulcer क्यु है @ThyDocHealth https://thydoc.com/peptic-ulcer-causes-symptoms/ https://thydoc.com/peptic-ulcer-causes-symptoms/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:33:33 +0000 https://thydoc.com/?p=1701 The post पेट के अल्सर के कारण और लक्षण | Stomach Ulcer Causes & Symptoms | Peptic Ulcer क्यु है @ThyDocHealth appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, peptic ulcer एक ऐसी बीमारी है जिसके कारणों को लेके काफ़ी भ्रांतियाँ रही है कि ये उन लोगों में होता है जो तीखा मसालेदार ख़ाना खाते हैं या चाय कॉफ़ी ज़्यादा पीते हैं. लोग ऐसा भी मानते हैं की खाने से अलसर के दर्द से राहत मिलती है. क्या वाक़ई ऐसा है? आज के इस वीडियो में हम पेप्टिक ulcer के कारणों और उसके लक्षणों के बारे में विस्तार से बात करेंगे और आपकी भ्रांतियों का समाधान भी करेंगे. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन देने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारा चैनल subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, दुनिया की 5-10 प्रतिशत आबादी को peptic अलसर की बीमारी होती है. peptic अलसर एक ऐसी बीमारी है जिस में पेट या छोटी आँत की lining में एक तरह का अलसर या घाव हो जाता है. या यूँ कहे इस लाइनिंग में  एक break हो जाता है और धीरे धीरे यह गहरा होने लगता है और अलसर बनाता है. कुछ लोग erosion से इसे कंफ्यूज करते हैं . इरोज़न छोटा होता है और अलसर बड़ा होता है. अलसर  5 mm या उससे बड़ा होता है. peptic अलसर दो तरह का हो सकता है. पहला gastric अलसर जिस में पेट की लाइनिंग में अलसर होता है. दूसरा duodenal अलसर जिस में पेट से शुरू होने वाली छोटी आँत के पहले भाग में जिसे duodenum कहते है, यहां पर अल्सर develop हो जाता है. दोनों ही बीमारी में लक्षण लगभग समान ही होते है बस कुछ बातें अलग होती है. अब बात करते है की peptic अलसर क्यों होता है और किन लोगों को इसका ख़तरा ज़्यादा होता है|

दोस्तों पहले हम बात करते हैं फूड आइटम्स की,  फूड आइटम्स जो हमारे शरीर में एसिड  का secretion बढ़ाते हैं, पेट में सूजन लाते हैं,  और मरीज में पेप्टिक अल्सर की जो रिस्क है उसे बढ़ाते हैं|

 इन फूड आइटम्स में  आते हैं कॉफ़ी, chai, चॉकलेट, तीखा मसालेदार भोजन, शराब, खट्टी चीजें, fried fatty food items, fast foods, मैदे से बने  food items, या ज्यादा  अमाउंट में टमाटर, लहसुन प्याज,  और गरम मसाले की ग्रेवी से बनी हुई सब्जियां. 

दोस्तों चाय में निकोटीन होता है, और कॉफी में कैफीन. निकोटीन और caffeine पेट में एसिड का सीक्रीशन बढ़ाता है  जिससे पेट मेंसूजन develop होती है और साथ ही साथ gastric reflux भी करते हैं| Gatric reflux मैं पेट का खाना और एसिड भोजन नली में आने लगता है. इन सभी वजह से पेप्टिक अलसर के मरीज़ की परेशानियों और बढ़ सकती है इसलिए  ऐसे food items आपको कम से कम खाना चाहिये. इसके अलावा लोग ऐसा मानते हैं की  ठंडा दूध  या आइस क्रीम खाने से  peptic अलसर में आराम मिलता है. ये बात ग़लत है. दूध या dairy products में कैल्शियम होता है जिस से पेट में एसिड सीक्रीशन बढ़ता है, जिससे मरीज के लक्षण बढ़ सकते हैं तो आप डेयरी प्रोडक्ट्स को avoid करें. दोस्तों, अब बात करते हैं शराब या अल्कोहल की. जिन लोगों को peptic अलसर की बीमारी है उन्हें अल्कोहल अवॉयड करना चाहिए क्योंकि अल्कोहल GI system की लाइनिंग को इरिटेट करता है, . और जहां अलसर पहले से हैं वहाँ अलसर के कॉम्प्लिकेशन को और भी  ज्यादा बढ़ा सकता है. आगे बात करते हैं तंबाकू की. दोस्तों, तंबाकू हमारे शरीर को सिर्फ़ और सिर्फ़ नुक़सान ही पहुँचाता है. तंबाकू के सेवन से पेट में एसिड का secretion बढ़ता है, और साथ में सूजन लाता है और जो लोग स्मोकिंग करते हैं उन में peptic ulcer perforate होने का रिस्क 84-86% बढ़ जाता है. इसलिए ज़रूरी है कि आप शराब, तंबाकू और स्मोकिंग जैसी आदतों को छोड़े और एक healthy लाइफस्टाइल अपनाये.

इसके बाद peptic अलसर के common कारणों में आता है helicobacter pylori इन्फेक्शन- 

helicobacter pylori या h pylori एक बैक्टीरिया है जो पेट की कोशिकाओं में रहता है. इसका इन्फेक्शन ज़्यादातर उन लोगों में होता है जो खाने में और  पीने के पानी में में hygiene maintain नहीं करते है. इसका इन्फेक्शन कई लोगों में बचपन में ही हो जाता है. ये पेट की कोशिकाओं में रह कर पेट की लाइनिंग में inflammation  यानी सूजन develop करता है. ये बैक्टीरिया पेट में acidity बढ़ाता है जिससे पेट में अलसर होता है. 90% duodenal ulcer इस बैक्टीरिया की वजह से ही होते हैं. gastric अलसर में 70-90% cases इस बैक्टीरिया के कारण होते हैं. तीसरा सबसे कॉमन कारण है NSAIDS या दर्द की दवाओं का उपयोग- पेट की लाइनिंग में एक पदार्थ बनता है prostaglandin. ये पदार्थ पेट की लाइनिंग की सुरक्षा का काम करता है. NSAIDS या non steroidal anti inflammatory drug जैसी दर्द की दवाएँ इस पदार्थ को बनने नहीं देती है. जिससे अलसर होता है. इन दवाओं में आती हैं ibuprofen, diclofenac, aceclofenac आदि. इन दवाओं के अलावा steroidsनाम की दवाइयां भी पेट के अल्सर का एक बहुत कॉमन कारण है.

Peptic ulcer का एक कारण है  zollinger allison syndrome | इस बीमारी में एसिड ज़्यादा बनता है. जोकि अल्सर बनने का कारण बनता है मरीजों में|

 इसके अलावा और दूसरे कारण है कैंसर,  या कोई भी नयी बीमारी,  या फिर burn patients जिनका शरीर किसी दुर्घटना में जल गया है, सर की चोट के मरीज़ों में भी अलसर हो सकता है. इसके अलावा viral इन्फेक्शन, कैंसर के लिए ली जाने वाली radiotherapy और कीमोथेरेपी भी अलसर का कारण हो सकते हैं. 

स्ट्रेस या तनाव भी peptic अलसर का कारण हो सकता है, क्योंकि ज्यादा तनाव से से भी पेट में एसिड का secretion बढ़ जाता है. 

 दोस्तों यह आपको समझना होगा कि जिस  भी कारण से पेट में एसिड की मात्रा बढ़ती है वह अलसर कर सकती है. पेट और आँतों में एक बैलेंस होता है protective system और destructive system का. यानी सुरक्षा और नाश का. जब यह संतुलन बिगड़ जाता है  और पेट में अलसर हो जाता है.

तो दोस्तों, हमने बात की, कि पेप्टिक अल्सर के क्या इंपॉर्टेंट कारण हो सकते हैं और आपको इनसे अपना बचाव करना है, साथ में अपना समय पर इलाज कराना है. दोस्तों peptic ulcer ke मरीज अपनी डाइट और लाइफ स्टाइल में चेंज लाकर पेप्टिक अल्सर  के लक्षणों से relief पा सकते हैं,  पेप्टिक अल्सर की डाइट और लाइफस्टाइल की डिटेल में जानकारी पाने के लिए आप screen पर दिए गए video पर क्लिक करें  और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर Sampark करें|धन्यवाद

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पेट में अलसर, ACIDITY | Helicobacter Pylori Infection | H-Pylori Infection Tests, Causes & Symptoms https://thydoc.com/helicobacter-pylori-infection/ https://thydoc.com/helicobacter-pylori-infection/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:34:06 +0000 https://thydoc.com/?p=1629 The post पेट में अलसर, ACIDITY | Helicobacter Pylori Infection | H-Pylori Infection Tests, Causes & Symptoms appeared first on Thydoc Health.

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क्या आपको हमेशा एसिडिटि और गैस की समस्या रहती है? क्या आपको अक्सर पेट में जलन रहती है? और आप अक्सर street food enjoy करते हैं? तो दोस्तों, हो सकता है कि आपको h pylori bacteria का इन्फेक्शन हो गया हो. और क्या आप को पता  है की भारत में 60 से 70 प्रतिशत लोगों को यह इन्फेक्शन है. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. 

दोस्तों, h pylori नाम के इस बैक्टीरिया का इन्फेक्शन तब होता है जब यह  बैक्टीरिया पेट में जाके सुजान ला देता है. और कई बार यह इन्फेक्शन  अक्सर बचपन में ही हो जाता है जब यह बैक्टीरिया दूषित खानपान के ज़रिए पेट में पहुँचता है और पेट में ही अपना  घर बना लेता है. इस बैक्टीरिया की ख़ास बात यह है कि यह पेट के acid में भी जीवित रह पाता है. h pylori, peptic अलसर, पेट की और duodenum ki सूजन का मुख्य कारण है और दुनिया में आधे से ज़्यादा लोग इस बैक्टीरिया से infected होते हैं. पर अक्सर इस बात से अनजान होते हैं क्योंकि ज़्यादातर लोगों में h pylori के कोई लक्षण नहीं होते हैं. और इस बात पे रिसर्च भी चल रही है की सभी लोगों को लक्षण क्यों नहीं आते है और अब तक की शोध से यह पता चला है कि कुछ लोग इस बैक्टीरिया के हानिकारक प्रभावों से resistant होते हैं. और जब इस इन्फेक्शन के लक्षण मरीज़ में आने लगते हैं तब वे डॉक्टर के पास जाते है. तो सबसे पहले हम बात करते हैं की इस इन्फेक्शन के क्या क्या लक्षण हो सकते हैं. ये लक्षण एसिडिटि और अलसर से संबंधित होते हैं.

इनमें सबसे पहले आता है पेट में जलन, पेट में दर्द, ख़ाली पेट इस दर्द का बढ़ना, जी घबराना, भूख ना लगना, बार बार डकार आना, पेट फूलना या bloating होना, अचानक से वजन कम होने लग जाना. कई बार ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं जिसके लिये आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इन गंभीर लक्षणों में आता हैं मोशन में खून आ जाना , आपको काले रंग का मोशन हो सकता है, आपको उल्टी में खून आ सकता है या कॉफ़ी रंग की उल्टी आ सकती है या आपको पेट में बहुत तेज दर्द हो सकता है. अब बात करते हैं की ये इन्फेक्शन कैसे होता है. ये इन्फेक्शन इंफ़ेक्टेड खाने और पानी से हो सकता है या फिर इंफ़ेक्टेड लार, vomit या मल के संपर्क में आने से भी यह इन्फेक्शन आपको हो सकता है. अगर आप इन इंफ़ेक्टेड चीज़ों के संपर्क में आये और आपने बिना हाथ धोये ख़ाना खाया तो ये बैक्टीरिया आपके पेट में पहुँच जाएगा.

कुछ लोगों को h pylori इन्फेक्शन का ख़तरा दूसरे लोगों से ज्यादा होता है. ये लोग हैं वे लोग जो क्लीन हाइजीन नहीं maintain करते हैं, बिना हाथ धोए ख़ाना या पानी ले लेते हैं  या वे लोग जिन्हें पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता है. इस इन्फेक्शन का ख़तरा उन लोगों में भी ज़्यादा है जो किसी ऐसे इंसान के साथ रह रहे है जिसे h pylori का इन्फेक्शन है. अगर इस इन्फेक्शन का इलाज समय पर ना हो तो मरीज़ को काफ़ी  जटिलताएँ भी हो सकती हैं जैसे की peptic अलसर जहां पेट में या पेट से निकलने वाली छोटी आँत के पहले भाग में अलसर हो जाते हैं, पेट में सूजन या gastritis भी हो सकता है, पेट का कैंसर भी हो सकता है. दोस्तों अब बात करते हैं की कैसे इस इन्फेक्शन का diagnosis जल्द से जल्द हो सकता है. इनमें आते हैं stool antigen test जिस में मरीज़ के मल की जाँच की जाती है जिस में एक ऐसे प्रोटीन की जाँच होती है जो सिर्फ़ h pylori बैक्टीरिया में मिलता है,

अगला टेस्ट है stool pcr test जिस में मरीज़ के मल में  इस बैक्टीरिया के dna को ढूँढा जाता है. और इस टेस्ट से यह भी पता चलता है की एंटीबॉयोटिक्स इस बैक्टीरिया पे काम करेगी या नहीं. यह टेस्ट antigen टेस्ट से ज़्यादा महँगा होता है और यह हर जगह नहीं होता है. अगला टेस्ट है breath टेस्ट जहां आपकी साँस की जाँच की जाती है जिस में Co2 को अस्सेस करा जाती है. अगला टेस्ट है एंडोस्कोपी एंड बायोप्सी जहां दूरबीन से आपके मुँह के रास्ते पेट तक पहुँचा जाता है और बाहर टी वी पे आपके पेट के अंदर की तस्वीर देखी जाती है. अगर h pylori का infection है तो पेट में सूजन हो सकती है और अलसर भी दिखायी दे सकते हैं. इस दूरबीन की जाँच के दौरान पेट की biopsy ली जाती है और एक rapid urease टेस्ट नाम का टेस्ट भी किया जाता है जो मात्र दो मिनट में हो जाता है.  अगर इन जाँचो में आपके h pylori का इन्फेक्शन आया हैं तो इसके इलाज के लिए एंटीबॉयोटिक्स दी जाती है. दो से तीन तरह की एंटीबॉयोटिक्स, सात दिन से दो हफ़्तों तक दी जाती है. और इस इलाज से 80-90 प्रतिशत cases में पूर्ण उपचार देखा गया है. एंटीबॉयोटिक्स की वजह से मामूली side effects जैसे की डायरिया, जी घबराना इत्यादि हो सकता है पर फिर भी एंटीबॉयोटिक्स के कोर्स को पूरा लेना बहुत ज़रूरी है  नहीं तो antibiotic resistance हो सकती है. antibiotic कोर्स पूरा होने के बाद h pylori की जाँच फिर से की जाती है. साथ ही साथ इसके लक्षणों के इलाज के लिए  पेट के एसिड को कम करने की दवाएँ जैसे की ppi या proton pump inhibitor और H2 blockers भी दिये जाते हैं,

इसके अलावा अलसर के दर्द और जलन से राहत पाने के लिये कुछ ऐसी दवाएँ भी दी जाती है जो अलसर और पेट में एक coating बनाती है जैसे की bismuth subsalicylate. इलाज के दौरान चार हफ़्तों बाद दुबारा h pylori की जाँच की जाती है और अगर यह जाँच पॉजिटिव आती है तो इससे यह पता चलता है की जो एंटीबॉयोटिक्स दी जा रही हैं वह इस बैक्टीरिया पे असर नहीं कर पा रही है और इन्हें बदलने की ज़रूरत है या और दूसरी एंटीबॉयोटिक्स ऐड करने की ज़रूरत है. दोस्तों, h pylori के इन्फेक्शन से बचाव संभव है अगर हम अच्छी हाइजीन और सैनिटेशन की आदतें अपनाए. शौच के बाद और खाने से पहले या किसी भी खाने की चीज़ को हैंडल करने से पहले हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह धोये. अगर साबुन उपलब्ध नहीं है तो sanitiser का  इस्तेमाल करे. अगर आपकी acidity लंबे समय से है और ठीक नहीं हो रही है तो h pylori की जाँच अवश्य कराये. 

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