Food Nutrition Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/food-nutrition/ Thydoc Health Tue, 19 Mar 2024 10:28:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://thydoc.com/wp-content/uploads/2024/01/cropped-Thydoc-Favicon-32x32.png Food Nutrition Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/food-nutrition/ 32 32 कब्ज़ का इलाज | High fiber foods Diet for Chronic Constipation Relief | Constipation Home Remedies https://thydoc.com/diet-for-chronic-constipation-relief/ https://thydoc.com/diet-for-chronic-constipation-relief/#respond Fri, 15 Mar 2024 12:32:32 +0000 https://thydoc.com/?p=1690 The post कब्ज़ का इलाज | High fiber foods Diet for Chronic Constipation Relief | Constipation Home Remedies appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, मोटापे से, obesity se हम सभी परेशान है. और ख़ासकर बढ़ती तोंद या belly फैट से तो हमे अक्सर शर्मिंदा  होना  पड़ता है, par iske sath badi hui tond se hume kai khatarnak bimario ka risk bad jata he. हो सकता है आपने तरह तरह कि डाइट भी की पर आप फिर भी इस समस्या से निजात नहीं पा पाये. पर क्या आपको पता है कि तोंद कम करने के लिए jitna important  he ki हमे क्या खाना है utna hi ये bhi important है की कब खाना है और किस समय नहीं खाना है? तो दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम इसी बारे में बात करेंगे की कैसे आप अपने khane ke रूटीन में बदलाव ला कर अपने  belly फैट या तोंद को कम कर सकते हैं. दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, सबसे पहले जानते हैं की तोंद या belly fat या central obesity से आपको क्या क्या नुक़सान हो सकते हैं? इनमें सबसे पहला है insulin resistance जहां शरीर में insulin तो secrete होता है पर इन्सुलिन पूरी तरह function नहीं कर पाता है.

जिसे insulin resistance कहते हैं. ऐसे लोगों में metabolic disorders जैसे की motapa और type 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. और तो और fatty liver disease भी आपको हो सकता है. belly fat yani badi hui tond से आपको कैंसर होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है. heart attack और स्ट्रोक का ख़तरा भी बेली फैट से कई गुना बढ़ जाता है. यहाँ तक की ऐसे लोगों में डिप्रेशन भी ज़्यादा देखा गया है. अब हम बात करते हैं की कैसे आप पता लगा सकते हैं की आपको belly fat या तोंद या central obesity की samsya है भी या नहीं. इसके लिए आप एक इंच टेप ले और उससे अपनी नाभि के लेवल पर रख के अपनी कमर का नाप ले. अगर पुरुषों में यह नाप 90 cm से ज़्यादा है और महिलाओं में यह नाप 80 cm से ज़्यादा है तो इसका मतलब आपको motapa है और आपको इसे कम करने की ज़रूरत है. दोस्तों, weight loss और dieting के ट्रेंड में intermittent fasting आजकल सबसे ज़्यादा ट्रेंड में है kyonki kiske bohot hi ache results, health benefits he. जहां दूसरे diet regime आपको यह बताते हैं कि क्या खाना है , intermittent fasting आपको ये बताता है कि आपको कब खाना है. अगर आप अपने खाने के लिए दिन के कुछ घंटे निश्चित कर लेते हैं तो आपकी overall calorie इंटैक अपनेआप ही कम हो जाती है. intermittent fasting के कई प्रकार है जिन में kuch types me आपको ऐसी fasting के लिए medical supervision की ज़रूरत भी पड़ती है पर आज हम ऐसी डाइट plan की बात करेंगे जो आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते है और जिसके लिए आपको किसी medical supervision की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इसे अपनाकर आप अपनी तोंद से छुटकारा पा सकते हैं.

आज हम बात करेंगे time restricted eating की. time restricted eating या टाइम restricted feeding का मतलब है हर दिन में से कुछ समय या घंटे ऐसे रखना  जिस टाइम में आप khana खा सकते हैं. पर उसके बाद ya उस के पहले apko kuch नहीं khana he. मान लीजिए आप सुबह 7 बजे उठते है और 7:30 बजे चाय या कॉफ़ी पीते है इसे हम कहेंगे फर्स्ट meal of the day. यानी आपने 7:30 am पे खाना शुरू किया और रात को आपका लास्ट मील है 9:30 बजे जब आपने एक ग्लास दूध पीया और उसके बाद आप सो गये. तो फर्स्ट मील और लास्ट मील के बीच का जो समय है वह है आपका ईटिंग टाइम, जो है 14 घंटे. और जब आप सो जाते है तो वह आपका fasting period होता है. इस दौरान शरीर में repair का काम चलता है और आपके hormones रेस्ट करते है और इस दौरान किसी भी तरह कि एनर्जी के लिये शरीर के फैट को इस्तेमाल किया जाता है.  दोस्तों, जैसे हमारा सोने और जागने का एक cycle या rhythm होता है उसी तरह हमारे बॉडी में हार्मोन्स भी उसी अनुसार secrete होते हैं. हम कुछ भी खाते हैं तो pancreas से इन्सुलिन release होता है जो भोजन में कार्बोहाइड्रेट को पचाने में शरीर कि सहायता करता है. पर हमारी circadian rhythm के अनुसार इन्सुलिन भी सबसे ज़्यादा सुबह ऐक्टिव होता है और सूर्यास्त के बाद इसका secretion धीमा पड़ जाता है. इसलिए अगर आप सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाते है तब insulin secrete तो होता है पर वह उसी तरह काम करता है जैसे किसी इंसान को आधी नींद में उठा कर काम कराया जाये. इस वजह से carbohydrates yani sugars ठीक से digest नहीं हो पाते है और शरीर में फैट की मात्रा बढ़ने लगती है. time restricted eating में आप को अपना खाने का समय कम करना है. जो अभी 14 घंटे है इसे धीरे धीरे कम करके 12 घंटे करे और फिर इसी समय को दस घंटे तक कर दे. जैसे की आप सुबह अगर सात बजे उठते हैं और 7:30 बजे चाय पीते हैं तो अपना लास्ट meal आप शाम को 7:30 pm तक ले ले. शुरू में सिर्फ़ इस टाइम में ही खाना है aap इस पर ध्यान दे ना की क्या खाना है is par, fir dhire dhire tym ke sath aap is tym me apni meals bhi set karein, healthy meals lein. दोस्तों, ध्यान रहे पानी आप कभी भी पी सकते हैं. सादे पानी को आपके फर्स्ट या लास्ट मील में काउंट नहीं किया जाएगा. पर अगर आप सुबह उठते ही पानी में कुछ भी मिला कर पीते है तो उसे आपका first meal ही माना जाएगा. शुरू में इस रूटीन को follow करने पर कुछ दिन आपको अच्छा नहीं लगेगा, भूख लगेगी

चिचिड़ाहट होगी और सर दर्द भी हो सकता है पर ये लक्षण सिर्फ़ कुछ दिनों तक ही आपको परेशान करेंगे फिर आपको इसकी आदत पड़ जाएगी. इस तरह टाइम पर खाना खाने से आपकी बॉडी में insulin resistance कम होता है. ऐसा करने से ना सिर्फ़ आप तोंद या belly फैट कम कर पायेंगे बल्कि गैस, acidity, bloating, पेट फूलना, अपच जैसी समस्याओं से भी निजात पायेंगे. अगर आपका लास्ट मील एक particular समय पर निर्धारित हो जाएगा तो आपका bowel movement का समय भी मॉर्निंग में निश्चित हो जाएगा और आपको बेटाइम मोशन नहीं जाना पड़ेगा. तो दोस्तों, is video me aapne jana ki कैसे हम अपने खाने का समय निर्धारित करके ना सिर्फ़ अपनी तोंद कम कर सकते है बल्कि कई जानलेवा बीमारियों से बचाव भी कर सकते हैं. Dosto weight loss me aap kya oil cooking me use karte he iska bhi important role hota, aur agar aap ye janana chahte he ki kaunsa cooking oil apke lie best he to aap right me die video par click karein.

और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर क्लिक करें|धन्यवाद

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(Shocking) Truth of Tea and Coffee- Benefits & Side Effects | चाय और कॉफी से फायदा होता है या नुकसान https://thydoc.com/coffee-benefits-side-effects/ https://thydoc.com/coffee-benefits-side-effects/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:58:34 +0000 https://thydoc.com/?p=1659 The post (Shocking) Truth of Tea and Coffee- Benefits & Side Effects | चाय और कॉफी से फायदा होता है या नुकसान appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, चाय और कॉफ़ी तो हम सभी को पसंद होती है और हमे आदत होती है सुबह उठते ही coffee या चाय पीने की जिससे की दिन कि शुरुआत हो सके. पर हम सभी लोग इन के नुक़सान भी जानते ही है पर क्या आपको पता है कि कॉफ़ी हमारे लिए फ़ायदेमंद भी हो सकती है और ख़ासकर हमारे लिवर के लिए कितनी ज्यादा फ़ायदेमंद होती है. तो आइए दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम कॉफ़ी के फ़ायदों के बारे में बात करते हैं. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें. दोस्तों, कॉफ़ी दुनिया में सबसे ज्यादा पी जाने वाले पेय पदार्थों में आती है. लोग कॉफ़ी पीते है जिससे उनकी सुस्ती मिटती है और शरीर में एनर्जी महसूस होती है. पर कॉफ़ी के इसके अलावा भी और कई फ़ायदे है. 

2016 में छपी एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार हमारे लिवर की सेहत के लिए कॉफ़ी बहुत ही फ़ायदेमंद होती है. इस रिपोर्ट में पाया गया कि अगर रोज़ moderate amount में कॉफ़ी पी जाये तो लिवर के कैंसर से भी बचाव संभव है. इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया की कॉफ़ी से लिवर की दूसरी बीमारियों जैसे कि fibrosis और cirrhosis का रिस्क भी कम होता है. और तो और अगर आपको लिवर की कोई भी बीमारी पहले से है तो कॉफ़ी पीने से लिवर की बीमारी का progression भी कम किया जा सकता है. स्टडी में देखा गया की कॉफ़ी पीने से लिवर के एंज़ाइम्स जैसे की aspartate amino transferase (AST), alanine amino transferase (ALT), gamma glutamyl transferase (GGT) और alkaline phosphatase या ALP का लेवल भी उन लोगों की तुलना में कम पाया गया जो कॉफ़ी नहीं पीते हैं या कम पीते हैं. ये तो आप जानते ही हैं कि कॉफ़ी में कैफीन होता है जो आपकी सुस्ती को दूर भगाता है पर कॉफ़ी में और ऐसे कौनसे कैमिकल्स होते है जिसकी वजह से कॉफ़ी को इतना फ़ायदेमंद माना गया है. Dosto coffee me caffeine ke sath hi polyphenols naam ke substance hote he jo fatty liver ki severity ko kam karte he. Iske alawa कॉफ़ी में kahweol और cafestol नाम के chemicals होते हैं जो शरीर में कैंसर से लड़ते है और ख़ासकर hepatocellular cancer या liver cancer से बचाने में सबसे ज़्यादा मददगार साबित होते हैं. कॉफ़ी में कुछ प्रकार के एसिड भी होते हैं जो वायरस ke infection से protect karte he. इसके अलावा जब पेट में जाके कॉफ़ी digest होती है तो कॉफ़ी कि डाइजेशन से एक paraxanthene नाम का केमिकल बनता है . इस केमिकल की वजह से कॉफ़ी के कई फ़ायदे देखे जाते हैं.

जैसे की paraxanthene liver fibrosis में बनने वाले scar टिश्यू को कम करता है, लिवर के  कैंसर के ख़तरे को कम करता है और साथ ही साथ liver cirrhosis के ख़तरे को भी कम करता है. दोस्तों, अगर आप कैफीन tolerate नहीं कारोबारी है तो आपके लिए एक अच्छी खबर ये है की ये सभी फ़ायदे decaffeinated coffee में भी होते है.  और ये फ़ायदे पुरुषों और महिलाओं में बराबर होते है. दोस्तों, अब जानते हैं कि एक दिन में कितनी कॉफ़ी आपको पीनी चाहिए? दोस्तों, स्टडी में पाया गया है की जितनी ज़्यादा कॉफ़ी आप पीते है उतना ज़्यादा फ़ायदा आपको होगा. जैसे की अगर आप दो कप कॉफ़ी रोज़ पीते है तो cirrhosis का रिस्क 44% कम हो जाता है वहीं अगर आप दिन में चार कप कॉफ़ी पीते हैं तो cirrhosis का ख़तरा 65% कम हो जाता है.  अगर आप लिवर की किसी भी बीमारी से बचना चाहते हैं तो दिन में कम से कम तीन कप कॉफ़ी आपको पीना चाहिये. पर अगर आपको पहले से लिवर की कोई बीमारी है जैसे की hepatitis या non alcoholic fatty liver disease तो आप को 3-4 कप कॉफ़ी एक दिन में पीनी चाहिए जिससे बीमारी का progression धीरे हो सके. पर इतनी ज्यादा कॉफ़ी सब लोग हैंडल नहीं कर पाते है. इतनी ज़्यादा कॉफ़ी से pet me acidity, gas, jitteriness या हाथों में कंपन, anxiety, nervousness और नींद आने में तकलीफ़ हो सकती है. इसलिए आप जितनी कॉफ़ी आराम से सहन कर पाये उतनी ही कॉफ़ी पिये. पर ध्यान रहे जब भी आप कॉफ़ी पिये क्रीम, दूध और सुगर को उस में ऐड ना करे. क्योंकि जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है वे लोग पहले से overweight और obese होते है इसलिए कॉफ़ी का फ़ायदा तभी है अगर उस में फैट और सुगर ना मिलायी जाये. इसलिए black coffee ही best है. पर अगर आप black कॉफ़ी पीना पसंद नहीं करते हैं तो आप उस में  plant based milk जैसे की almond milk, oats milk, cashew milk ऐड कर सकते हैं.

अब बात करते हैं की किन लोगों को ज़्यादा कॉफ़ी avoid करनी चाहिए. अगर आपको हृदय गति अनियमित होने की परेशानी है तो भी आपको ज़्यादा कॉफ़ी नहीं पीनी चाहिए. जिन लोगों को लंग कैंसर है उन्हें भी कॉफ़ी का इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए. कॉफ़ी से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है इसलिए जिन लोगों को बढ़े  हुए कोलेस्ट्रॉल की समस्या है या उच्च रक्तचाप है उन्हें कॉफ़ी का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिये. और बच्चों और बुजुर्गों को भी कॉफ़ी का इस्तेमाल कम करना चाहिए.  कॉफ़ी सिर्फ़ लिवर के लिए ही नहीं बल्कि शरीर में  और भी अंगों पर सकारात्मक असर डालती है और कई तरह की बीमारियों और कैंसर से बचाव करती है जिन में आते हैं liver cancer, colorectal cancer, eaophageal cancer, breast cancer, prostate cancer, pancreatic cancer, ovarian cancer, endometrial कैंसर, kidney cancer, non alcoholic fatty liver disease. तो देखा दोस्तों, कॉफ़ी सिर्फ़ लिवर के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के कितने अंगों के लिए फ़ायदेमंद होती है पर याद रहे दोस्तों, आपके लाइफस्टाइल modifications भी बराबर ज़रूरी हैं. इसलिए सप्ताह में कम से कम 150 min एक्सरसाइज करे, एक ideal body weight मैंटेन करे, alcohol कम से कम पिए, hepatitis के लिए उपलब्ध vaccination अवश्य करवाये. 

Dosto fatty liver ke ilaaj me diet Bohot important role play karti he, agar aap ye janana chahte he ki fatty liver me aapko kya diet leni chahie aur kya nahi khana chshie to aap right me die video par click karein.

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रोज कितना प्रोटीन लेना चाहिए? | Is PROTEIN Powder Safe | HIGH PROTEIN FOOD Veg & NON Veg PROTEIN https://thydoc.com/is-protein-powder-safe/ https://thydoc.com/is-protein-powder-safe/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:50:22 +0000 https://thydoc.com/?p=1642 The post रोज कितना प्रोटीन लेना चाहिए? | Is PROTEIN Powder Safe | HIGH PROTEIN FOOD Veg & NON Veg PROTEIN appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, आपने अक्सर जिम जाने वाले लोगों को प्रोटीन लेते हुए देखा होगा. पर चूँकि आप जिम नहीं जा पा रहे हैं तो आप ऐसा मानते हैं की प्रोटीन आपके लिये नहीं है. और क्या आप ये भी मानते हैं की प्रोटीन ज़्यादा लेने से किडनी ख़राब हो सकती है? तो दोस्तों, आज के इस वीडियो में हम इन सभी भ्रांतियों का निदान करेंगे और जानेंगे की प्रोटीन हमे कितना और कैसे लेना चाहिए. मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करें.

दोस्तों, हमारे खाने में तीन चीज़ों का होना बहुत ज़रूरी है वह है कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन. इन तीनों के डाइट में होने पर ही हमे प्रॉपर न्यूट्रीशन मिल पाता है. इनमें से हम आज फोकस करेंगे प्रोटीन पे. प्रोटीन हमारे शरीर में बिलकुल वैसे ही काम करता है जैसे किसी इमारत में ईंट. प्रोटीन ना सिर्फ़ हमारे शरीर में मांसपेशियाँ, टेंडन, अंग और स्किन बनाता है बल्कि एंज़ाइम्स, हॉर्मोन और neurotransmitters जैसे शरीर के लिए ज़रूरी molecules भी बनाता है. प्रोटीन बहुत सारे छोटे molecules से बनता है जिसे aminoacids कहते हैं और ये aminoacids धागे पे मोती की माला की तरह arranged रहते हैं. ये amino acids दो तरह ke होते हैं essential और non essential. एसेंशियल यानी शरीर के लिए ज़रूरी amino एसिड्स जहां कुछ essential amino acids हमारे शरीर में बनते है वहीं दूसरे essential amino acids हमे बाहर से अपनी डाइट में लेने पड़ते हैं. अलग अलग डाइटरी sources या फ़ूड आइटम्स में अलग अलग तरह के aminoacids होते हैं. जहां dairy और meat प्रॉडक्ट्स में सारे ज़रूरी या essential aminoacids होते हैं वहीं plant sources में सभी ज़रूरी amino एसिड्स नहीं मिल पाते हैं. इसलिए जहां अपनी डाइट में प्रोटीन लेना ज़रूरी है वहीं ये भी ज़रूरी है कि ये प्रोटीन अलग अलग sources से लिये जाये ताकि सारी essential aminoacids हमे मिल पाये. दोस्तों, अब जानते हैं कि प्रतिदिन कितना प्रोटीन हमारे लिए ज़रूरी होता है?  हर adult में lagbhag 0.8 gm/kg प्रोटीन रोज़ लेना ज़रूरी होता है.

यानी अगर आपका वजन 60 kg है तो  आपको 48 gm protein रोज़ अपनी डाइट में लेना चाहिए. ख़ासकर महिलाओं में तो प्रोटीन और bhi zyada ज़रूरी hota है क्योंकि महिलाओं में muscle मास पहले से कम ही होता है. आपकी प्रोटीन की daily requirement का  दस प्रतिशत हिस्सा आप प्रोटीन पाउडर से पूरा  कर सकते है. यानी  80- 90 प्रतिशत प्रोटीन आपको अपनी डाइट से ही लेना चाहिए. जो लोग overweight हैं या जिन्हें belly fat है उन लोगो को प्रोटीन 1 gm/kg प्रतिदिन तक लेना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोटीन शरीर में leptin नामक संतुष्टि हॉर्मोन भी बढ़ाता है जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है और कैलोरी intake कम हो जाती है. Iska matlab ye he ki aapko अपनी कुल calorie intake का 30 % कैलोरी प्रोटीन से लेना ही चाहिए. इसलिए जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उन लोगो को प्रोटीन ज़्यादा लेना चाहिए जिससे उन्हें भूख कम लगे और कैलोरी intake भी कम हो जाये. कुछ केसेज में प्रोटीन की ज़रूरत और बढ़ जाती है जैसे की pregnancy और breastfeeding में जहां माँ को बच्चे के विकास के लिए प्रोटीन की ज़रूरत ज़्यादा होती है , बुजुर्गों में हड्डियाँ  और मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती है और इसके अलावा उन लोगो में जो लोग ज़्यादा physically ऐक्टिव है जैसे कि athletes. दोस्तों, अब बात करते हैं की किन sources से आप प्रोटीन अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. इनमें सबसे पहले आता है डेरी प्रॉडक्ट्स जैसे की दूध, पनीर, दही, cheese आदि. एक 250 ml glass दूध से हमे 8 se 9 ग्राम प्रोटीन, एक cheese slice से सात ग्राम प्रोटीन मिलता है. आगे बात करते है plant source प्रोटीन की जिन में आते हैं सोयाबीन, टोफू, बींस, nuts, quinoa आदि. 

सौ ग्राम boiled राजमा से नौ ग्राम प्रोटीन और एक मुट्ठी भर नट्स से 2 se 7 ग्राम प्रोटीन हमे मिलता है, ye depend karta he kaunse nuts aap le rahe hein. इसके अलावा non veg sources है eggs और meats जैसे की chicken, lean meats, fish आदि. जहां एक बड़े अंडे में 6 gm protein होता है वहीं 100 gm chicken में 27 se 30 gm protein होता है. इसलिए अपने हर meal में आप कोई ना कोई प्रोटीन ज़रूर शामिल करे. और बाक़ी कमी कि पूर्ति के लिए आप प्रोटीन पाउडर या supplement इस्तेमाल कर सकते है जिस में आता है whey protein और plant प्रोटीन. दोस्तों, दूध में बीस प्रतिशत whey होता है और 80 प्रतिशत casein. बाज़ार में मिलने वाला whey प्रोटीन पाउडर एक purified whey प्रोटीन होता है. इसके अलावा जो लोग dairy avoid करना चाहते हैं aise लोगों के लिए बाज़ार में plant प्रोटीन भी उपलब्ध है, जिस में मुख्यतया soya प्रोटीन या soya isolate या pea protein होता है. कोई भी प्रोटीन पाउडर ख़रीदते समय  आप उस पर लगी ingredient लिस्ट पे  ज़रूर ध्यान दे. देखे की उस में sugar तो नहीं है. कोई heavy metals तो नहीं है. जितनी छोटी ingredient लिस्ट होगी प्रोटीन उतना अच्छा होगा.

सामान्यतः एक स्कूप प्रोटीन में 25-30 gm protein होता है पर एक scoop में कितना प्रोटीन होगा ये भी हर कंपनी के अनुसार अलग अलग  हो सकता है. इसके लिए आप लिस्ट चेक करे और अपनी ज़रूरत के अनुसार protein पाउडर को दूध या पानी में मिला कर पिए. अब जानते है कि क्या ये प्रोटीन पाउडर आपके शरीर को नुक़सान पहुँचाते हैं और किडनी ख़राब करते है? इसका जवाब है agar aapko koi bimari nahi he aur aap apni body ki per day ki required amount me lenge to ye बिलकुल नहीं karega aur aapko fayda hi milega. जब आप प्रोटीन पाउडर लेना शुरू करते है तो शुरू में आपको पेट में गैस, पेट फूलना और अपच जैसा महसूस हो सकता है पर जैसे जैसे आपके शरीर को इसकी आदत हो जाती है ये सारी परेशानियों ख़त्म हो जाती है. इसलिए जब आप प्रोटीन पाउडर लेना शुरू करे तो शुरू में कम ले और धीरे धीरे बढ़ाये, air iske sath pani khoob pie. अब बात करते हैं की किन लोगों को ये प्रोटीन पाउडर नहीं लेना चाहिए. इनमें आते है वे लोग जिनको किडनी की बीमारी है और उन्हें हाई प्रोटीन डाइट मना की गई है. ऐसे लोगो को प्रोटीन नहीं लेना चाहिए. उन लोगों को भी ये पाउडर नहीं लेना चाहिए जिन्हें ऐसी जन्मजात बीमारी है जिस में प्रोटीन को वे लोग नहीं पचा पाते हैं, ya wo log jinhe kinhi karan se doctors ne protein ka intake limit kara he.

 तो दोस्तों, देखा आपने की प्रोटीन हम सभी के लिया कितने ज़रूरी है

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अंडे का पीला भाग खाना चाहिए या नहीं? | कौन सा अंडा खाएं Brown vs White Egg | Egg Nutrition https://thydoc.com/brown-vs-white-egg-nutrition/ https://thydoc.com/brown-vs-white-egg-nutrition/#respond Fri, 15 Mar 2024 10:30:51 +0000 https://thydoc.com/?p=1611 The post अंडे का पीला भाग खाना चाहिए या नहीं? | कौन सा अंडा खाएं Brown vs White Egg | Egg Nutrition appeared first on Thydoc Health.

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संडे हो या monday, रोज़ खाओ अंडे! बचपन में ये ad हम सभी ने देखा है. पर क्या सच में अंडा और साथ में इसके बीच का जो पीला भाग हैं वो इतना फ़ायदेमंद होता है? अगर हाँ तो कैसे? और अगर नहीं? तो कैसे? आज के इस वीडियो में हम आपके अंडे से जुड़े सभी सवालों का जवाब देंगे , और अंडे से जुड़ी सभी भ्रांतियों का भी निदान करने की पूरी कोशिश करेंगे, साथ में डिस्कस करेंगे क्या कड़कनाथ मुर्गी के अंडे दूसरे वैरायटी के अंडों से बेटर हैं या नहीं. और अगर आप इस वीडियो के अंत तक हमारे साथ जुड़े रहेंगे तो आप जानेंगे की-  क्या है अंडे का फ़ंडा?  नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें.

दोस्तों, अंडे को अपनेआप में एक संपूर्ण आहार माना गया है. आइए सबसे पहले तो हम ये जानेंगे कि आख़िर क्यों अंडे को एक संपूर्ण आहार माना गया है. एक 100 gm उबले अंडे से हमे 155 calories मिलती है. इसी अंडे में 11 gm fat होता है जो हमारी daily रिक्वायरमेंट का 16% होता है. 13 gm प्रोटीन होता है जो डेली रिक्वायरमेंट का 26% होता है. अंडे में 373 mg cholesterol होता है जो हमारी डेली रिक्वायरमेंट का 124 प्रतिशत है. सोडियम 124 gm और पोटैशियम 126 gm. Carbohydrate 1.1 gm होता है. इसके अलावा दूसरे micro nutrients जैसे की आयरन, विटामिन b6, magnesium, calcium, vitamin b12, vitamin d भी होते हैं. यही नहीं, अंडे में मिलने वाला प्रोटीन best quality protein होता है. प्रोटीन को biological value से आंका जाता है और अंडे की बायोलॉजिकल value 100 होती है. और जीतने भी प्रोटीन के source है उन में  सबसे ज्यादा. अब आप सोचेंगे की अंडे में ऐसा क्या है की इसे बेस्ट प्रोटीन माना गया है. दोस्तों, अंडे में सभी नौ essential amino acids होते हैं जो हमारे लिये डाइट में लेना ज़रूरी होते हैं, इसीलिए इसे बेस्ट प्रोटीन माना गया है. protein का satiety index भी ज़्यादा होता है यानी अगर आप नाश्ते में अंडा खाते हैं तो आपको जल्दी भूख नहीं लगती है. पर क्या अंडा सचमुच इतना फ़ायदेमंद है और इसमें कोई भी नुक़सान नहीं है.

दोस्तों, अंडे के पीले भाग को लेकर लोगों में काफ़ी कन्फ़्यूशन है भ्रांतियाँ है की क्या अंडे का पीला भाग खाना सेहत के लिए फ़ायदेमंद है या नहीं. जहां कुछ लोगों का मानना है की अंडे के पीले भाग को खाने से cholesterol बढ़ता है और हृदय रोग का ख़तरा बढ़ जाता है वही कुछ लोग मानते हैं की पीला भाग भी उतना ही पोषक होता है. दोस्तों, अगर हम एक अंडा ले तो उसका वजन क़रीबन पचास ग्राम होता है. एक अंडे का दो तिहाई भाग सफ़ेद होता है और एक तिहाई भाग पीला. एक अंडे में 6 gm protein होता है. इस एक अंडे में क़रीबन 184 mg cholesterol होता है. हाल ही में हुई  रिसर्च में  ये पाया गया है कि अगर आप दिन में एक पूरा अंडा खाते हैं तो वह aapke लिए फ़ायदेमंद होता है और इससे आपको heart disease होने का ख़तरा नहीं बढ़ता है. इस रिसर्च में ये भी पाया गया की अंडे से अच्छा कोलेस्ट्रॉल यानी hdl बढ़ता है जो heart disease से बचाता है. इसलिए अगर आपकी आदत है अंडे के पीले भाग को निकाल कर फेंक देने की तो आप निश्चिंत हो जाये और दिन में एक पूरा अंडा  बिना किसी चिंता के खाए.  अंडे के पीले भाग में विटामिन A, vitamin b complex, vitamin e, vitamin d, potassium, magnesium, phosphorus, iron, selenium, sodium, zinc, iodine होता है

जो हमारी विटामिन कि कमी को भी पूरा करता है और ये micronutrients भी हमे इससे मिलते हैं. अंडे के पीले भाग में choline भी होता है जो मस्तिष्क के विकास के लिए और cognitive functions के लिए ज़रूरी होता है. इसमें कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंटस भी होते है जो मोतियाबिंद से बचाते हैं. पर ध्यान रहे अंडे को हमेशा पका कर ही खाये. कच्चे अंडे को खाना लोग अच्छा समझते है और उसे दूध में मिला कर लोग पीते है पर कच्चा अंडा  food poisoning कर सकता है क्योंकि कई बार कच्चे अंडे में salmonella नाम का बैक्टीरिया का इन्फेक्शन हो सकता है जो food पॉइजनिंग कर सकता है. इसीलिए अंडे को कभी भी धो कर भी  इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अंडे के सफ़ेद भाग में pores होते हैं तो अगर आप अंडे को धोएँगे तो बाहर सफ़ेद भाग पे जो salmonella बैक्टीरिया है वह इन pores से अंदर चला जाएगा और अंडे को दूषित कर देगा. इसलिए दोस्तों, अंडे को कभी भी नहीं धोना है. और आप उन लोगों में से है जो ये मानते हैं की भूरा या brown egg white egg से ज़्यादा पोषक होता है तो ये भी ग़लत है. पहली बात तो अंडे का यह रंग मुर्गी के भूरे रंग की वजह से होता है. दूसरी बात अण्डा कितना पोषक होगा यह इस बात पे निर्भर करता है की मुर्गी को कैसा पोषण मिला है. अगर मुर्गी को अच्छा पोषण मिला है तो अंडा ज़्यादा पोषक होगा.

अगर मुर्गी को खुले में धूप में पाला गया है तो अंडे में भी विटामिन d ज्यादा होगा और nutrition भी ज़्यादा होगा . ऐसे में हम मशहूर  कड़कनाथ egg की बात भी करेंगे जो काले रंग का होता है और  बहुत महँगा होता है. पर इसके महँगे  होने का कारण इसका झाड़ा पोषक होना नहीं है बल्कि ये है  की यह भारत में पायी जानी वाली एक दुर्लभ या रेयर ब्रीड की मुर्गी का अंडा है जो बहुत मुश्किल से मिलता है. और इस मुर्गी को खुले वातावरण में पाला जाता है जो कि industrial प्रोडक्शन की तुलना में काफ़ी महँगा पड़ता है. और nutrition वैल्यू की बात करे तो जो एक सामान्य अंडे में nutrition होता है वही इस अंडे में भी होता है.

अब  जानते है कि बाज़ार से लाने के बाद आपको अंडे को कैसे स्टोर करना है. आप अंडे को बाज़ार से ला कर फ्रिज में 28 दिन तक स्टोर  कर के इस्तेमाल कर सकते हैं. अण्डा ख़राब तो नहीं हो गया इसे चेक करने के लिए एक  ग्लास में सादा पानी ले और अंडा उस में डाल दे. अगर अंडा तैरता है तो इसका मतलब अण्डा ख़राब हो गया है, आप ऐसे अंडे को फेंक दे. अंडा सभी उम्र के लोगों के लिए फ़ायदेमंद होता हैं. आप बच्चों को भी 6 महीने के बाद यानी weaning के बाद अंडा खिला सकते हैं. ऐसा मानना की बच्चे को एलर्जी होगी तो ये भी ग़लत है. आप जितना जल्दी बच्चे को कोई खाने की चीज़ खिलाना शुरू करेंगे उतना उस फ़ूड आइटम से एलर्जी का रिस्क कम हो जाता है. पर एक बार में एक ही चीज़ खिला कर देखे. आशा है दोस्तों, अंडे का फ़ंडा कुछ clear हुआ होगा और आपके मन में  अंडे से जुड़े जो सवाल थे उनका जवाब आपको इस वीडियो से मिला होगा.   

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11 Food items Migraine Attack में कभी ना खाएं! | सिर दर्द का कारण और उपचार | Migraine Trigger Foods https://thydoc.com/migraine-trigger-foods/ https://thydoc.com/migraine-trigger-foods/#respond Fri, 15 Mar 2024 09:40:14 +0000 https://thydoc.com/?p=1571 The post 11 Food items Migraine Attack में कभी ना खाएं! | सिर दर्द का कारण और उपचार | Migraine Trigger Foods appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, जिन लोगो को माइग्रेन का दर्द रहता है वे लोग जानते हैं कि ये दर्द कितना असहनीय हो सकता है और इस दर्द की वजह से उनका रोज़मर्रा का जीवन कैसे प्रभावित होता है. और ये लोग कुछ समय बाद ये भी समझने लग जाते हैं कि आख़िर किस वजह से या किस खाने की चीज़ से उन्हें माइग्रेन का अटैक ट्रिगर होता है. Migraine के कई triggers हो सकते हैं जिन में कुछ food items भी होते हैं, जिन से माइग्रेन का अटैक ट्रिगर हो सकता है. दोस्तों, माइग्रेन के लिए मार्केट में दवा तो बहुत है पर माइग्रेन से बचाव ही माइग्रेन का बेस्ट इलाज है. और माइग्रेन से बचाव तभी मुमकिन है जब आप माइग्रेन के triggers को अवॉयड करे. आज के इस वीडियो में हम जानेंगे इन्ही triggers को जो माइग्रेन का दर्द trigger करते हैं. इनमें कई triggers तो आप जानते होंगे पर कई ऐसे triggers भी हम आपको बतायेंगे जो आप पहली बार सुनेंगे, तो वीडियो के अंत तक आप हमारे साथ जुड़े रहिए . नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें.

दोस्तों, सबसे पहले ये जानते हैं की हम कब किसी फ़ूड आइटम को migraine का ट्रिगर कहते हैं. जब किसी फ़ूड आइटम को खाने के चौबीस घंटे में माइग्रेन के लक्षण आने लगते हैं और ऐसा, उस फ़ूड आइटम के साथ आधे से ज़्यादा बार होता है यानी आपने कोई फ़ूड दस बार खाया और छह बार आपको माइग्रेन हुआ तो ऐसे food को हम migraine ट्रिगर कहेंगे. migraine triggers में जो सबसे common trigger है वह है चॉकलेट. चॉकलेट में कैफीन और phenylethylamine दोनों होते हैं जो लोगो में माइग्रेन के दर्द को trigger करते हैं. Chocolate हमारे शरीर में serotonin के levels को बढ़ाती है जो migraine को ट्रिगर करता है. इसलिए अगली बार जब आप को चॉकलेट की craving हो तो ये बात ज़रूर याद रखे की ये आपके माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है. अगला ट्रिगर है alcohol या शराब. शराब में भी red wine और champagne जिनमे tyramine और histamine होता है, सबसे ज़्यादा माइग्रेन को ट्रिगर करती है. अल्कोहल शरीर में जाके dehydration करती है जिसकी वजह से माइग्रेन का दर्द होता है. इसके अलावा tyramine और histamine भी migraine अटैक के कारण होते हैं. इसलिए अगर आपको लगता है की एक ग्लास रेड वाइन से आपको antioxidants मिलेंगे और फ़ायदा होगा तो याद रखियेगा की ये आपके माइग्रेन के दर्द को भी ट्रिगर कर सकती है. अगला common ट्रिगर है coffee. कैफीन कॉफ़ी में तो होता ही है पर दूसरे फ़ूड जैसे की चॉकलेट और चाय में भी होता है. जहां कभी कभी कॉफ़ी पीने से माइग्रेन का सरदर्द ठीक हो जाता है वहीं ज़्यादा कैफीन लेने से या कैफीन के withdrawal से माइग्रेन का दर्द ट्रिगर भी हो सकता है. रिसर्च में caffeine के इस दोहरे असर को caffeine paradox कहा गया है. इसलिए हमारी सलाह यही है की कॉफ़ी moderation में ही इस्तेमाल करे.

दोस्तों अगला ट्रिगर है artificial sweetners. आर्टिफिशियल sweetners चीनी के alternative होते है जैसे की xylitol, aspartame आदि . इनमें भी ख़ासकर aspartame को माइग्रेन का ट्रिगर माना गया है. ये artificial sweetners अक्सर diet सोडा में होते हैं. तो अगली बार जब आप diet सोडा को healthy चॉइस माने तो ये बात ना भूले की ये आपके माइग्रेन का कारण भी साबित हो सकता है. दोस्तों, वह खाने की चीज़ें जिस में msg या mono sodium glutamate होता है जिसे आम भाषा में अजीनोमोटो कहते हैं, migraine का ट्रिगर है. msg को taste enhancer भी कहा जाता है और यह chinese cuisine जैसे चाऊमीन में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा और दूसरे food preservatives भी migraine ट्रिगर कर सकते हैं. दूसरा फ़ूड जिस में msg होता है वह है soya sauce. अगला ट्रिगर है पुराना cheese. माना जाता है कि cheese जितना ज़्यादा पुराना होगा उतना टेस्टी और महँगा होगा. ऐसे cheeses को aged cheese कहते हैं. cheese जितना पुराना होता है उस में tyramine नाम का पदार्थ भी ज़्यादा हो जाता है. ये पदार्थ खाने की ageing से, protein के टूटने से बनता है. ये tyramine माइग्रेन को ट्रिगर करता है. जिन cheeses में tyramine ज़्यादा होता है वह हैं- फेटा चीज़, blue cheese, और parmesan cheese. यही tyramine red wine में भी होता है. इसलिए अगर आप माइग्रेन से परेशान हैं तो अगली बार margarita pizza या पास्ता खाने से पहले ज़रा सोचें और ऐसे options सेलेक्ट करे जिस में चीज़ कम हो या फिर aged चीज़ ना हो. अगला माइग्रेन ट्रिगर है pickled और fermented food items. cheese की तरह pickled और fermented foods में भी tyramine की मात्रा ज़्यादा होती है. ये फूड्स कुछ भी हो सकते हैं जैसे की अचार, kimchi, kombucha आदि. हमारे देश में अचार बनाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है. अगर आप अचार पूरी तरह से avoid नहीं कर सकते हैं तो ये ध्यान रखे और कोशिश करे की ज़्यादा पुराना अचार ना खाये. अगला migraine ट्रिगर है salty food items जैसे की chips. इन salty foods में सोडियम ज़्यादा होता है और ये सोडियम blood प्रेशर बढ़ाता है जिससे सरदर्द और migraine attack ट्रिगर होते हैं. इसलिए अगली बार जब मूवी देखने जाये तो कम नामक वाले पॉपकॉर्न खाये पर चिप्स नहीं. अगला फ़ूड आइटम है frozen foods जिस में आते हैं ice cream, बर्फ़ का गोला, जिलाटो आदि. अक्सर ये फ़ूड items माइग्रेन ट्रिगर करते हैं जब आप ये आइटम्स जल्दी जल्दी खा लेते है या आप एक्सरसाइज के तुरंत बाद इन्हें खाते हैं या गर्मी से आते खाते है जब आपकी बॉडी गरम होती है. इसलिए अगर आप बाहर गर्मी से आये हैं या आपने एक्सरसाइज की है तो थोड़ी देर अपनी बॉडी को cool down होने दे और उसके बाद ही ऐसी कोई ठंडी चीज़ खायें, पर आराम से खायें. अगला trigger है cured meats यानी वे meats जिन्हें प्रोसेस किया जाता है और preservatives डाल कर preserve किया जाता है. इनमें आते हैं ham, sausage, hot dog, bacon, salami ,bologna, pepperoni. इन meats में nitrate नाम का preservative होता है जो मीट के रंग और स्वाद को बरकरार रखता है. ऐसे meat खाने से शरीर में ये meats, nitric oxide बनाते हैं जो मस्तिष्क में खून की धमनियों को dilate करता है, जिसकी वजह से माइग्रेन का अटैक ट्रिगर हो जाता है. अगला trigger है अंजीर. दोस्तों, अंजीर में भी tyramine पाया जाता है जो migraine के attack को ट्रिगर करता है. अगला ट्रिगर है खट्टे फल. खट्टे फलों में phenylalanine नाम का पदार्थ होता है. यह पदार्थ भी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर करता है. phenylalanine दूसरे फ़ूड आइटम्स में भी हो सकता है जैसे की peanut बटर, avocado, आलूबुख़ारे, पपीता, apricot, खजूर, किशमिश, प्याज़, dairy products, अंडे, baked items जिस में yeast इस्तेमाल हुई हो, tomato ketchup, mustard, मेयोनेज़, diet सोडा. तो आपको इन फ़ूड items को अपनी डाइट में कम करना चाहिए. तो देखा

दोस्तों, कितने सारे triggers हैं माइग्रेन के लिए. माना कि इन सभी food items को पूरी तरह से बंद करना संभव नहीं है पर आप ध्यान दे की किस फ़ूड आइटम से आपका migraine attack trigger होता है और उस फ़ूड आइटम को आप अवॉयड करे.
Iske sath ho doston agar aap migraine ke illaj ke barr bhi detail me janana chahte he to aap right me die video par click karein.
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Roti Vs Rice | रोटी और चावल (कब, कितना और कैसे खायें) | Roti Or Rice Which is More Healthy https://thydoc.com/roti-or-rice-which-is-more-healthy/ https://thydoc.com/roti-or-rice-which-is-more-healthy/#respond Fri, 15 Mar 2024 08:11:12 +0000 https://thydoc.com/?p=1466 The post Roti Vs Rice | रोटी और चावल (कब, कितना और कैसे खायें) | Roti Or Rice Which is More Healthy appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, क्या आप वजन कम करना चाहते हैं? और you tube पे सभी fitness एक्सपर्ट  कह रहे है की चावल मत खाओ रोटी खाओ और आप ये समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करे?  रोटी खायें या चावल. इसलिए अक्सर आप confused रहते है कि आपके लिये क्या ज़्यादा  फ़ायदेमंद है, रोटी या चावल? तो आज में आपका ये confusion इस वीडियो में दूर करूँगा, जहां में रोटी और चावल की तुलना करूँगा. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें. रोटी और चावल की ये debate आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी है. चावल विश्व  में सबसे ज़्यादा खाने वाला अनाज है.

भारत में रोटी सबसे ज़्यादा उत्तरी भारत में खायी जाती  है वही बाक़ी भागों में चावल ही staple है. दोस्तों, एक weight लॉस डाइट के सफल होने के लिए ज़रूरी है कि डाइट में कार्बोहाइड्रेट कम हो और प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा हो. पर भारत जैसे देश में जहां हर meal में रोटी या चावल के तौर पर कार्बोहाईड्रेट्स भरा है, weight loss diet manage करना बड़ा पेचीदा हो जाता है. क्योंकि इन्हें बिलकुल ना खाना संभव नहीं है. ज़्यादा से ज़्यादा हम ये कर सकते हैं की इन्हें थोड़ा कम कर दे. पर ज़्यादातर लोग इस असमंजस में फँस जाते हैं की क्या  खाये…रोटी? या चावल? तो आइए सबसे पहले हम इनके nutrition contents की तुलना करते हैं. एक छह इंच की रोटी में अंदाज़न 71 calories, 0.4 gm fat, 134 mg sodium, 15 gm carbohydrates, 0.8 gm fibre, और  3 gm protein होता है. वहीं 60 gm उबलें हुए सफ़ेद चावल में अन्दाज़न 80 calories, 0.1 gm fat, 0.7 mg sodium, 18 gm carbohydrates, 0.2 gm fibre, और 1 gm protein होता है. इस nutrition चार्ट से हमे ये पता चलता है की रोटी की तुलना में, चावल में प्रोटीन कम होता है, फाइबर कम होता है और कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा होता है. यही कारण है की जो स्वास्थ्य को लेकर सजग लोग हैं वह चावल के बजाय रोटी ख़ाना पसंद करते हैं. सफ़ेद चावल रिफाइंड होते है, polished होते हैं जिस प्रक्रिया में चावल के बाहर कि परत निकाल दी जाती है,

इसलिए फाइबर और micronutrients की मात्रा कम हो जाती है. वही brown rice nutrition के मामले में सफ़ेद चावल से superior होते हैं क्योंकि ये refined नहीं होते हैं पर प्रोटीन की मात्रा रोटी से कम ही होती है. रोटी बनाते समय तेल या घी इस्तेमाल होता है इसलिए रोटी में फैट ज़्यादा होता है और प्रोटीन तो ज़्यादा होता ही है. ज़्यादा प्रोटीन और फैट का मतलब है  ज़्यादा calories. रोटी में वाइट और ब्राउन rice की तुलना में ज़्यादा calories होती हैं. तो अगर आप सिर्फ़ calories कम करना चाहते हैं तो इन तीनों में सबसे कम calories सफ़ेद चावल में है और उसके बाद  brown rice में होती है, तो आप ये option select कर सकते हैं. दूसरी तरफ़  ज़्यादा प्रोटीन और फैट की वजह से रोटी एक complex food मानी जाती है, इसका मतलब ये है की इसे पचाने में ज़्यादा समय लगता है और शरीर में sugar लेवल धीरे धीरे बढ़ता है. इसलिए रोटी का glycemic इंडेक्स कम होता है और इसे डायबिटीज के मरीज़ों के लिए अच्छा माना गया है. क्योंकि जितना कम glycemic index उतना अच्छा sugar control. तो वे लोग जिन्हें diabetes की बीमारी है या जिनके परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री है, वे रोटी को प्राथमिकता दे. अगला रोटी का plus पॉइंट ये है कि रोटी filling होती है यानी रोटी से जल्दी पेट भर जाता है जबकि चावल से इतनी जल्दी satiety नहीं आती है. दोस्तों, dietary recommendations के अनुसार, हमारी डाइट का आधा हिस्सा whole grains होना चाहिए.

रोटी, गेहूं के आटे से बनती है जो की एक whole grain है इसलिए अगर आप रोटी खाते हैं तो वह आपके whole grain intake में count होगा. brown rice को भी whole grain माना जाता है पर चूँकि white rice refined होता है, polished होता है, ये whole grain नहीं माना जाता है. अब आप सोचेंगे की हमारे यहाँ तो चावल ही खाया जाता है और हमारे घर में चावल ही बनता है तो हम क्या करे. माना कि चावल में फाइबर और प्रोटीन कम है पर एक मील में अगर सब्ज़ियाँ मिला के पुलाव बनाया जाये और उसे दाल के साथ खाया जाये तो इस कमी को पूरा किया जा सकता है. इसलिए ज़रूरी नहीं है कि अगर आपके area में चावल स्टेपल है तो भी आप न्यूट्रीशन के लिए रोटी खाये. एक balanced meal बना कर आप ये कमियाँ पूरी कर सकते हैं. वहीं दोस्तों, हमे ये भी सोचना होगा कि जो लोग gluten tolerate नहीं कर पाते है वे लोग गेहूं के आटे की रोटी नहीं खा सकते हैं और चावल ही tolerate कर पाते है और चूँकि gluten free आटा इत्यादि सब लोग afford नहीं सकते हैं, इसलिए ऐसे लोग चावल ख़ाना ज़्यादा पसंद करते है. अगर ये लोग रोटी खाना चाहे तो बाजरे की रोटी कभी कभी खा सकते हैं. इसलिए डाइट में आप क्या खाते है यह आपके एरिया के हिसाब से होना चाहिए और आपकी हेल्थ और टॉलरेंस के हिसाब से भी. यह कहना कि रोटी ही सबके लिए बेस्ट है, ग़लत होगा. डाइट वही बेस्ट  है जो affordable हो, regional हो और seasonal हो. 

तो दोस्तों आज आपने रोटी और चावल के बारे में जाना , दोस्तों कॉफ़ी भारत में पिया जाने वाला एक कॉमन पेय पदार्थ हैं और अगर आप जानना चाहते हैं कि दिन में आपको कितनी कॉफ़ी के कप पीना चाहिए और क्या कॉफ़ी के फ़ायदे हैं और क्या नुक़सान हैं तो आप रायट में दिये वीडियो पर क्लिक करें. और अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर क्लिक करें|धन्यवाद

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Health के लिए वरदान है ये Super Foods | तेजी से खून बढ़ाने वाले Super Food For Veg & Nonvegetarian https://thydoc.com/super-food-for-veg-nonvegetarian/ https://thydoc.com/super-food-for-veg-nonvegetarian/#respond Thu, 14 Mar 2024 13:27:24 +0000 https://thydoc.com/?p=1387 The post Health के लिए वरदान है ये Super Foods | तेजी से खून बढ़ाने वाले Super Food For Veg & Nonvegetarian appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, क्या आप भी खून की कमी से परेशान है? क्या आप हमेशा सुस्त और थका थका महसूस करते है और डॉक्टर ने आपको बताया है की आपका हीमोग्लोबिन कम है? क्या आप iron supplements लेते है और आप का पेट डिस्टर्ब हो जाता है इसलिए आप ज़्यादा दिन तक आयरन supplements नहीं ले पाते हैं? और क्या आप natural alternatives की तलाश में है जो आपका खून भी बढ़ाये और आपको कोई side effects भी ना हो? तो आज का हमारा ये वीडियो अंत तक देखें.नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें. 

दोस्तों! खून बढ़ाने वाले superfoods में सबसे पहले हम बात करेंगे पालक या spinach की. पालक सबको पसंद नहीं होता ख़ासकर बच्चों को, पर पालक को आप कई तरह से पका कर और नयी recipes बना कर अगर खाते हैं तो इस superfood को आप अपनी डाइट का महत्वपूर्ण हिस्सा बना सकते हैं. पर इसे हमेशा पका कर खाये , जैसे की पIलक को आप boil कर सकते हैं या स्टीम कर सकते हैं ताकि इसमें पाये जाने वाले anti nutrients जैसे की oxalates की मात्रा कम हो जाये, यह anti न्यूट्रिएंट्स हमारे शरीर के लिए अच्छे नहीं होते हैं.

 हरी पत्तेदार सब्ज़ी ना सिर्फ़ iron rich होती है बल्कि इसमें folate और विटामिन सी भी काफ़ी मात्रा में होता है. यानी iron तो है ही साथ ही विटामिन सी भी है जो पेट में आयरन के absorption को बढ़ाता है. अगला खून बढ़ाने वाला superfood जिसकी हम बात करेंगे वो है चूकरकंद या beetroot. कुछ लोग इसे सलाद में खाना पसंद करते हैं. कुछ इसे उबाल कर रायता बनाते हैं. इसका स्वाद थोड़ा कड़वा ज़रूर है पर ये पोषण की ख़ान है. ये गहरे गुलाबी रंग का फल iron से तो भरपूर है ही, इसके अलावा इसमें folic acid और anti oxidants भी काफ़ी मात्रा में होते हैं. अगला superfood जो खून बढ़ाता है वह है हमारी दालें या legumes जैसे की rajma, chana, moong, छोले और फलियाँ या beans. आप इन्हें उबाल कर, तड़का लगा के दाल फ्राई बनाते हैं, आप इन्हें भिगो कर अंकुरित करते हैं और सलाद के तौर पर खाते हैं. और सब्ज़ी बना कर भी खाते हैं. आप इन्हें कैसे भी खाये ये प्रोटीन रिच दालें उन लोगों के लिये भी काफ़ी फ़ायदेमंद होती हैं जिन में खून की कमी है. प्रोटीन के अलावा इन में iron और फाइबर भी होता है. 

अगला हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाला सुपरफ़ुड है अनार. दोस्तों! अनार खाना तो हम सभी को बहुत पसंद होता है पर अनार को छील कर उसके दाने निकालना शायद ही किसीको पसंद हो पर दोस्तों! अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं और आप खून बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको ये आलस छोड़ना पड़ेगा क्योंकि अनार iron rich होती है, विटामिन सी rich होती है और इसमें antioxidants भी काफ़ी मात्रा में होते है. तो अनार में आयरन तो है ही साथ में iron का absorption बढ़ाने वाला विटामिन सी भी है इसलिए अनार छीलना शुरू कर दे दोस्तों! 

इसके अलावा खून बढ़ाने वाला अगला superfood है nuts या ड्राई फ्रूट्स और seeds जैसे की काजू, बादाम, पिस्ता, pumpkin seeds, melon seeds. ये सभी nuts और seeds iron के अच्छे स्त्रोत होते हैं. आयरन के अलावा इनमें विटामिन e और healthy fats भी काफ़ी मात्रा में होते हैं. अगला superfood है quinoa जिसके बारे में आपने काफ़ी सुना होगा की इसमें काफ़ी प्रोटीन होता है, ये gluten फ्री है  और आप इसे पुलाव की तरह बना के खा सकते हैं , आप इसका सलाद बना सकते हैं और आप इसका उपमा और खिचड़ी  भी बना सकते हैं. पर क्या आप जानते हैं इसमें iron भी काफ़ी मात्रा में होता है? जी हाँ दोस्तों अगर आप haemoglobin बढ़ाना चाहते हैं तो quinoa की recipes you tube पे ज़रूर देखें और इसे अपनी डाइट में शामिल करे. 

अगला हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाला सुपरफ़ुड है broccoli. दोस्तों, ब्रोकली अब हर जगह आसानी से उपलब्ध है और इसमें iron और विटामिन सी भरपूर होता है इसलिए आप ब्रोकली को अपने ख़ान पान में ज़रूर शामिल करे. आप इसे saute कर के खाये, इसकी सब्ज़ी बनाये, सलाद बनाये, ये हर तरह से आपके लिए फ़ायदेमंद है. 

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10 SUPERFOODS OF INDIA | जो हर उम्र में रोज़ खाने चाहिए। बीमारियों से बचाते हैं ये Super Foods!! https://thydoc.com/superfoods-of-india/ https://thydoc.com/superfoods-of-india/#respond Thu, 14 Mar 2024 08:42:47 +0000 https://thydoc.com/?p=1294 The post 10 SUPERFOODS OF INDIA | जो हर उम्र में रोज़ खाने चाहिए। बीमारियों से बचाते हैं ये Super Foods!! appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों! क्या आप भी ऐसे youtube videos देख कर परेशान हो चुके हैं जो आपको तरह तरह के superfoods खाने की सलाह दे रहे हैं जो आपकी ज़ेब पर भारी पड़ रहे हैं और आपका बजट गड़बड़ा रहा है? दोस्तों! क्या आपको ऐसा लगता है की superfoods तो सिर्फ़ imported ही हो सकते हैं और हमारे लोकल खानपान में ऐसे पोषक फूड्स है ही नहीं? तो दोस्तों! आप ग़लत सोच रहे हैं. हमारे देसी ख़ान पान में ऐसे food items उपलब्ध हैं जो imported सुपरफ़ुड्स को टक्कर ही नहीं देते बल्कि उनसे सुपीरियर भी है. आज के इस वीडियो में हम इन्ही देसी superfoods की बात करेंगे और हम ऐसे फ़ूड आइटम्स की बात करेंगे जो की ना सिर्फ़ आसानी से उपलब्ध है बल्कि आपके बजट में भी हैं. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें. दोस्तों! असल में सुपरफ़ुड तो वही है जो ना सिर्फ़ अफोर्डेबल है, बल्कि सीजनल है, और लोकल है. तो कोई अगर आपको ये कहे की avocado टोस्ट ही ब्रेकफास्ट के लिए बेस्ट है तो वह बिलकुल ग़लत statement है. हमारे local cuisine में ऐसे ऐसे food आइटम्स हैं जो nutrition, antioxidants और micronutrients से भरपूर हैं. इनमें सबसे पहले बात करते हैं मूँगफली कि जिसे peanut, सिंगदाना के नाम से भी जाना जाता है. सौ ग्राम कच्ची 

मूँगफली में 567 calories होती है और ये प्रोटीन रिच भी होती हैं. मूँगफली में अच्छे fats यानी mufa, pufa और omega 6 fatty acids भी काफ़ी मात्रा में होते हैं. इसके अलावा biotin, copper, niacin, folate, manganese, vitamin e, thiamine, फ़ॉस्फ़ोरस और मैग्नीशियम जैसे विटामिन और मिनरल भी भरपूर होते हैं. मूँगफली satiety यानी  खाने के बाद संतुष्टि बढ़ाती है और hunger hormones यानी भूख के hormones को कम करती हैं जिससे आप overeat नहीं कर पाते हैं. इसलिए ये वजन कम करने में भी मदद करती है. मूँगफली पित्त की थैली की पथरी से भी बचाती है क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करती है. इसके अलावा आँखों की रोशनी बढ़ाने में, हड्डियों को मज़बूत बनाने में, ब्रेन के फंक्शन को इम्प्रूव करने में मददगार होती है और साथ ही साथ त्वचा के लिये भी अच्छी होती है. मूँगफली में एंटीऑक्सीडेंटस भी काफ़ी मात्रा में पाये जाते हैं जिस में p- coumaric acid मुख्य है. इसमें resveratrol नाम का एंटीऑक्सिडेंट भी काफ़ी मात्रा में होता है जो की ना सिर्फ़ heart disease से बचाता है बल्कि कैंसर जैसे घातक रोग से भी बचाव करता है. और दोस्तों, मूँगफली तो आप कभी भी कहीं भी आसानी से मिल जाती है.

  दूसरा देसी सुपरफ़ुड जिसकी हम बात करेंगे वो है केला. आप भारत के किस क्षेत्र में रहते है इस बात पर निर्भर करता है की आपको वहाँ किस प्रकार के केले मिलेंगे और आपको अपने क्षेत्र में मिलने वाले केले ही खाने हैं. केला  carbohydrates, पानी , फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है पर इस में बहुत ही कम प्रोटीन होता है और फैट बिलकुल नहीं होता है. carbs ज़्यादा होने के बावजूद यह अचानक से sugar levels को बढ़ने नहीं देता है. इसलिए diabetics जिनकी sugars controlled है दिन में एक केला खा सकते हैं. इसमें soluble फाइबर होते हैं और resistant स्टार्च होती है जो पेट को full रखती है और satiety बढ़ाती है. इससे आप overeat नहीं करते हैं और इस कारण केला weight loss में भी मदद करता है. और ये तो हम सभी जानते हैं कि केले में पोटैशियम होता है जिससे शरीर में electrolytes की कमी नहीं होती है. 

तीसरा देसी super food है aliv seeds या हलीम के बीज जो प्रोटीन rich होते हैं जिससे ये आपको weight लॉस में मदद करते हैं और मोटापे से भी बचाव करते हैं , ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंटस भी बहुत मात्रा में होते हैं और इनमें folic acid, vitamin सी, A, E भी होता है और ये शरीर कि रोग से लड़ने की शक्ति भी बढ़ाते हैं, फाइबर भी इन में काफ़ी होता है जिस वजह से कब्ज से भी बचाव करते हैं, महिलाओं में अनियमित पीरियड्स को रेगुलर करते हैं, शरीर में खून बढ़ाते हैं, pregnancy में भी फ़ायदेमंद होते हैं और इसके anticarcinogenic effects से यह  breast cancer से भी बचाते हैं. इन्हें आप भिगो कर इस्तेमाल करे और रात को दूध के साथ दो चम्मच ले. 

चौथा सुपरफ़ुड है लाल रंग का फल- कोकम! जिसे लोग अमृत फल भी कहते हैं. हमारे देश में कई राज्यों में कोकम का शरबत बड़े ही शौक़ से पीया जाता है. कई जगह तो कोकम की कढ़ी भी बनायी जाती है. कोकम गर्मियों में शरीर को ठंडा रखता है इसलिए इसका शरबत अक्सर गर्मियों में पिया जाता है. इसमें garcinol नामक active पदार्थ होता है जो antibacterial, antiviral होता हैं जो हमारी रोग से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है और हमे सामान्य रोगों से बचाता है. दोस्तों! इस फल में एंटीऑक्सीडेंटस भी काफ़ी मात्रा में होते हैं. एंटीऑक्सीडेंटस की quality को orac या oxygen radical absorption capacity score से आंका जाता है और कोकम की orac बहुत high होती है यानी ये काफ़ी superior एंटीऑक्सिडेंट है. studies में पाया गया है कि कोकम उन एंज़ाइम्स को रोकता है जो कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ाते हैं यानी कोकम में anti कैंसर प्रॉपर्टी होती है. 

दोस्तों, अगला सुपर फ़ूड है काजू जो लोग पसंद तो बहुत करते हैं पर कुछ भ्रांतियों की वजह से खाने से डरते हैं. एक मुट्ठी काजू आप स्नैक की तरह कभी भी खाये. यहाँ तक कि रात को आप दूध के साथ अगर काजू खाते हैं तो आपको नींद भी अच्छी आती है क्योंकि काजू हमारे शरीर में serotonin जैसे relaxing hormones को बढ़ाता है इसलिए इसे एक antidepressant भी कहा गया है. काजू में पालक की तुलना में आयरन भी तीन गुना ज़्यादा होता है. विटामिन सी की मात्रा भी काजू में ऑरेंज की तुलना में पाँच गुना ज़्यादा होती है. लोगों में ये भ्रांति है की काजू से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है जिससे heart disease का ख़तरा बढ़ जाता है पर दोस्तों! अगर काजू को संतुलन में खाया जाये तो ये शरीर में hdl या अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है जो हमे हृदय रोग से बचाता है. इसलिए आप निश्चिंत रहे और काजू खाये. 

next सुपरफ़ुड जिसकी हम बात करेंगे वह है नारियल! जी हाँ दोस्तों नारियल बाहर से कठोर ज़रूर है पर अंदर से सिर्फ़ नर्म ही नहीं बल्कि कई गुणों से भरपूर भी है. नारियल में एक तरह का फैट होता है जिसे medium chain triglycerides कहते हैं जिसकी तुलना माँ के दूध में पाये जाने वाले फैट से की गई है. हमारा शरीर इन medium chain triglycerides या mct को शरीर के ईधन के तौर पर सबसे पहले metabolise करता है जिससे आप का stamina बढ़ता है. नारियल में calming और relaxing properties भी होती है यानी नारियल दिमाग़ को शांत करता है. आप नारियल पानी पिए, नारियल की मलाई खाये या नारियल कि गिरी खाये या नारियल की मिठाई बना के खाये. ये  हर तरह से फ़ायदेमंद ही साबित होगा.

 सात्वा superफ़ूड है दोस्तों! jack fruit! Jack fruit अंजीर और शहतूत की फ़ैमिली का फल है.इस फल को आप कच्चा भी खा सकते हैं या फिर  पका के भी खा सकते हैं. इसके बीज भी आप खा सकते हैं. ये फल सभी लोग खा सकते हैं बस उन लोगों को इसे अवॉयड करना चाहिए जिन्हें latex से एलर्जी है या जिन्हें chronic kidney disease है. इस फल में potassium,फाइबर और antioxidants होते है जिस वजह से ये heart के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. इस फल में विटामिन सी काफ़ी मात्रा में होता है जिस वजह से ये inflammation और oxidative stress से बचाता है, जिसकी वजह से आगे जाके type 2 diabetes का ख़तरा बढ़ जाता है. यूँ कहे तो ये फल डायबिटीज जैसे बीमारी से भी बचाव करता है. और तो और, इसका glycemic index भी कम होता है यानी इसको खाने के बाद शरीर में सुगर levels अचानक से नहीं बढ़ते हैं. इसलिए जिन लोगों को डायबिटीज है वे लोग भी ये फल खा सकते हैं. jack fruit घाव को भरने में भी मदद करता है. जो लोग non veg खाने के शौक़ीन है उनके लिये भी जैक फ्रूट एक good news है! क्योंकि कई लोगों को इसका स्वाद meat की तरह लगता है. तो दोस्तों! आप इसे मीट कि जगह खाये या smoothie में डाल कर खायें या फिर ऐसे ही खाये. ये फल स्वादिष्ट तो है ही पर आपके स्वास्थ्य के लिये फ़ायदेमंद भी बहुत है. आँठवा सुपरफ़ुड है सौंठ या dry ginger powder जिसके फ़ायदे अदरक से भी ज़्यादा हैं. आपने अपनी नानी या दादी को सौंठ के लड्डू बनाते हुए देखा होगा. ये anti inflammatory होता है और जोड़ों के दर्द में राहत देता है. ये सामान्य खांसी ज़ुकाम और सर दर्द से आराम  दिलाता है. जिन लोगों को पेट में गैस रहती है और bloating होती है उन लोगों को भी सौंठ का सेवन करना चाहिये. सौंठ के पाउडर को आप दूध के साथ मिला के ले सकते हैं. या आप सौंठ के लड्डू भी खा सकते है. नवा सुपरफ़ुड है अंकुरित दालें. दोस्तों वैसे तो दालें अपने आप में काफ़ी पोषक होती हैं पर अगर इन्हें अंकुरित किया जाये तो इनका nutrition लेवल और बढ़ जाता है. अंकुरित करने से इनमें प्रोटीन बढ़ जाता है, folate, magnesium, phosphorus, manganese, विटामिन सी और विटामिन k भी बढ़ जाता है. प्रोटीन तो बढ़ता ही है पर ये प्रोटीन पचाने में भी आसान होता है क्योंकि sprouting की प्रक्रिया से दालों में पाये जाने वाले antinutrients कम हो जाते हैं. और दालों का पोषण शरीर में आसानी से absorb हो पाता है. sprouts शरीर में sugar लेवल भी कंट्रोल करते हैं. इसलिए ये उन लोगों के लिये भी फ़ायदेमंद होते हैं जिन्हें डायबिटीज है. ये अंकुरित दालें आप सलाद के तौर पर खा सकते हैं, इनकी चाट बना के स्नैक के तौर पर खा सकते हैं या फिर आपकी इनकी सब्ज़ी या उसल बना के खा सकते हैं. दोस्तों, अब दसवे सुपरफ़ुड की बात करते हैं. जो है millets! यानी जौ, ज्वार, बाजरा, रागी . दुनिया भर में छह हज़ार से ज़्यादा millet की वैरायटी उपलब्ध है. millets पाचन में मदद करते हैं, भूख बढ़ाते हैं, खून की कमी को पूरा करते हैं, insulin resistance को भी कम करते हैं जिससे डायबिटीज जैसे बीमारी से बचाव होता हैं. इनमें फाइबर भी काफ़ी मात्रा में होता है जिसकी वजह से ये sugar लेवल कंट्रोल करते हैं और insulin resistance को कम करते हैं. प्रोटीन तो millets में होता ही है पर इसके अलावा इसमें कईं तरह के विटामिन मिनरल और micronutrient भी काफ़ी मात्रा में होते हैं जैसे कि phosphorus, magnesium, calcium। आयरन, जिंक, विटामिन b6, niacin और folic acid. millets में lignin नाम का पदार्थ होता है जो ना सिर्फ़ ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से बचाव करता है बल्कि heart disease से भी बचाता है. तो देखा दोस्तों! हमारे आसपास ही कितने सारे सुपरफ़ुड्स आसानी से उपलब्ध हैं, जो हमारे jeb  पर भी भारी नहीं पड़ते है| 

दोस्तों अगर आपको कमजोरी, थकान,सांस फूलना या चक्कर जैसी समस्या रहती हैतो हो सकता है यह खून की कमी की वजह से हो, औरत अगर यह जानना चाहते हैं कौन से सुपर फूड्सखून बढ़ाने में मदद करते हैं तो आप राइट में दिए वीडियो पर क्लिक करें| र अगर आज का ये वीडियो आपको पसंद आया तो like ज़रूर करे और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे. आगे भी ऐसी जानकारी से अपडेटेड रहने के लिये हमारे चैनल thydoc हेल्थ को ज़रूर सब्सक्राइब करे. बाकी भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर से कंसल्ट करने के लिए आप ऊपर दिए गए नंबर पर संपर्क करें|धन्यवाद 

 

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