Alcohol And Health Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/alcohol-and-health/ Thydoc Health Tue, 19 Mar 2024 10:27:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://thydoc.com/wp-content/uploads/2024/01/cropped-Thydoc-Favicon-32x32.png Alcohol And Health Archives - Thydoc Health https://thydoc.com/category/alcohol-and-health/ 32 32 शराब पीने के नुक्सान | शराब पीने से शरीर पर क्या असर पड़ता है? | Effects of Alcohol on Body https://thydoc.com/effects-of-alcohol-on-body/ https://thydoc.com/effects-of-alcohol-on-body/#respond Fri, 15 Mar 2024 11:37:03 +0000 https://thydoc.com/?p=1634 The post शराब पीने के नुक्सान | शराब पीने से शरीर पर क्या असर पड़ता है? | Effects of Alcohol on Body appeared first on Thydoc Health.

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नमस्कार दोस्तों, पुरानी रिसर्च में माना गया था कि अल्कोहल अगर संतुलित मात्रा में ली जाये तो उसके कुछ हेल्थ बेनिफिट भी होते है पर हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया है की alcohol की कोई safe limit नहीं है. शराब पहले घूँट से ही शरीर को नुक़सान पहुँचाने लगती है और आज हम इसी बारे में बात करेंगे .
नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc health पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc हेल्थ पे हम आपको सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है. और आगे भी ऐसी जानकारी से updated रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और इस वीडियो को अपने परिवार और दोस्तों में शेयर करे. दोस्तों, आज हम बात करते हैं कि अल्कोहल का शरीर पर क्या असर होता हैं और ख़ासकर लिवर को कैसे डैमेज करता है.
सबसे पहले बात करते हैं अल्कोहल की. अल्कोहल कोई भी हो बियर, व्हिस्की, वोडका, वाइन, champagne, टकीला या स्कॉच हमारे शरीर और लिवर को नुक़सान पहुँचाती है.

हम अधिकतम कितनी शराब एक दिन में पी सकते है इसकी सीमा निर्धारित है और वह पुरुषों में है 2 drinks per dayऔर महिलाओं में 1 drink per day. अगर आप ऐसा सोचते है की मैं तो सिर्फ़ वाइन पिता हूँ या मैं तो सिर्फ़ बियर पीता हूँ तो आप ग़लत हैं. किसी भी फॉर्म में शराब नुक़सानदायक है. एक regular beer में 7 से 8% alcohol होता है जबकि light beer में 4.2%. Wine में 12-17% alcohol होता है. वहीं gin, रम, टकीला, वोडका, brandy,whiskey में 40% alcohol होता है.अगर हम 1 drink की बात करें तो 1 drink होता है 345 ml 5% beer, 148 ml wine, और 44 ml distilled spirit मैं.

दोस्तों जब भी आप अल्कोहल पीते हैं, वह लिवर में प्रोसेस होता है ताकि उसे शरीर से बाहर निकाला जा सके. इस प्रोसेस में लिवर में कुछ ऐसे पदार्थ बनते हैं जो अल्कोहल से भी ज़्यादा नुक़सानदायक होते हैं. ज़्यादा शराब पीने से ये पदार्थ liver मैं ज़्यादा बनते हैं और ये पदार्थ लिवर की कोशिकाओं को और हमारी शरीर के दूसरे अंगों को नुक़सान पहुँचा सकते है और लिवर को कई लोगों में seriously डैमेज भी कर सकते है. अल्कोहल से होने वाली लिवर की बीमारी की वजह से पाँच में से चार लोगों की मौत हो जाती है. इन लोगों में अल्कोहल से कई तरह की लिवर की बीमारी हो सकती है जैसे की fatty liver या steatosis, लिवर की सूजन या alcoholic hepatitis, cirrhosis या लिवर की scarring और लिवर failure. सबसे पहले बात करते हैं fatty लिवर की जहां लिवर में फैट जमा हो जाता है. ज़्यादातर लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं और इसका पता किसी और बीमारी के लिए की गई पेट कि सोनोग्राफी से चलता है जहां लिवर normal से ज्यादा bright नज़र आता है. कुछ लोगों में थकान, भूख ना लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं. blood टेस्ट में लिवर के एंजाइम जैसे की sgot और sgpt बढ़े हुए आ सकते है और अल्कोहल की वजह से होने वाले फैटी लिवर में sgot क़ी मात्रा sgpt से ज़्यादा भी हो सकती है. अगर इस स्टेज पर बीमारी को treat या intervene ना किया जाये तो लिवर cirrhosis भी हो सकता है जो की irreversible होता है मतलब उसे ठीक नहीं किया जा सकता.

liver damage में सेकंड स्टेज आती है जहां hepatitis होता है. इस स्टेज में लिवर में सूजन आ जाती है. लिवर हार्ड होने लगता है. अगर शुरुआत में इसका इलाज ना किया जाये तो मरीज़ को भूख ना लगना, जी घबराना, पेट में दायी तरफ़ दर्द, पीलिया, खून की जाँच में bilirubin बढ़ जाता है, लिवर फेलियर और लिवर cirrhosis हो सकता है. अगली और आख़िरी स्टेज है लिवर cirrhosis- पाँच में से एक हैवी ड्रिंकर को cirrhosis हो सकता है. लिवर में जमा फैट और सूजन की वजह से लिवर में scar बनने लगते है. और अगर स्कार ज़्यादा बनने लगे तो उसे cirrhosis कहते हैं. लिवर के नार्मल सेल्स की जगह ये scars ले लेते हैं जिससे लिवर ठीक से फंक्शन नहीं कर पाता है और लिवर फेलियर में चला जाता है. लिवर फेलियर एक जानलेवा बीमारी है. शुरुआत में cirrhosis के लक्षण दिखाई नहीं भी दे सकते है पर बाद में cirrhosis की वजह से लिवर हार्ड हो जाता है. हमारे शरीर का बहुत ज़रूरी प्रोटीन एल्बुमिन लिवर में बनता है. cirrhosis में एल्बुमिन लिवर में बन नहीं पाता है और शरीर में उसकी कमी हो जाती है. खून में इस कमी की वजह से धमनियों या blood vessels से पानी बाहर निकालने लगता है और शरीर के कई हिस्सों में इकट्ठा होने लगता है जिस से पैरों में सूजन, पेट में पानी भी भर जाता है. इसके अलावा हमारी भोजन नली की veins भी फूल जाती है जिससे खून की उल्टी, मोशन में ब्लड आना और काला स्टूल होना जैसे लक्षण हो सकते हैं. लिवर शरीर से कई तरह के waste material को बाहर करता है जिस में से एक है अमोनिया. cirrhosis या लिवर फेलियर में शरीर में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है जो ब्रेन में जाके असर करती है जिस से मरीज़ में बेहोशी आना और मरीज़ का बहकी बहकी बातें करना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. cirrhosis में शरीर की मांसपेशियाँ टूटने लगती है जिससे मरीज़ कमजोर हो जाता है. लिवर में खून का थक्का जमाने वाले clotting factors भी बनते है जो cirrhosis में बनना बंद हो जाते हैं और शरीर में platelets भी कम हो जाती है जिससे खून पतला हो जाता है. मरीज़ के शरीर पर लाल लाल निशान होने लगते हैं. मरीज़ का PT/INR भी बढ़ जाता है जो यह दर्शाता है की मरीज़ का खून पतला हो गया है. इसके अलावा स्प्लीन की साइज भी बढ़ जाती है. अब बात करते है की किन लोगों में अल्कोहल के सेवन से लिवर डैमेज होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. ये है obese लोग जिनका वजन सामान्य से ज़्यादा है इनमें फैटी लिवर का रिस्क बढ़ जाता है और आगे cirrhosis का रिस्क भी बढ़ जाता है. वे लोग जो smoker हैं. अल्कोहल के साथ स्मोकिंग करने से भी आपको लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है. वे लोग जिनकी diet poor है. जो heavy drinkers protein, vitamin और mineral से भरपूर balanced डाइट नहीं लेते हैं उन में भी लिवर cirrhosis का ख़तरा बढ़ जाता है.

लिवर के अलावा अल्कोहल शरीर के दूसरे अंगों को भी नुक़सान पहुँचाता है. सबसे पहले बात करते है दिमाग़ पर इसका क्या असर होता है. लंबे समय तक अल्कोहल पीने से आपकी याददाश्त कमजोर हो सकती है, आप clearly सोच नहीं पाते हैं, आप अपने emotion control नहीं कर पाते है, anxiety होती है, हाथ पैरों में झनझनाहट और सूनापन आ सकता है. समय के साथ अल्कोहल आपके ब्रेन के frontal lobe पर खराब असर दिखाना शुरू कर देता है जो हमारे decision making, reasoning, social behaviour और performance के लिए ज़रूरी होता है. इसके अलावा लंबे समय तक heavy drinking की वजह से wernicke korsakoff syndrome जैसी बीमारी भी हो सकती है जिस में आपकी याददाश्त पे सबसे ज़्यादा असर होता है.
आगे बात करते है हार्ट पे अल्कोहल के होने वाले असर कि. अल्कोहल के ज़्यादा सेवन करने से high blood प्रेशर, दिल की बीमारी, दिल की गति अनियमित हो जाना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल हो जाना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. इसके अलावा शरीर में खून की कमी भी हो सकती है जिससे मरीज़ को हमेशा थकान महसूस होती है. आगे बात करते है हमारे पाचन तंत्र की. शराब के सेवन से हमारे पाचन तंत्र या digestive system की लाइनिंग नष्ट होने लगती है जिस से भोजन के विटामिन और minerals ठीक तरह से अब्सोर्ब नहीं हो पाते है और उनकी कमी हो जाती है. heavy drinking से पेट में गैस होना, bloating होना, दस्त होना, constipation होना, ulcer और piles जैसी समस्या भी हो सकती है. इन ulcers से ब्लीडिंग हो सकती है जो घातक साबित हो सकती है. इसके अलावा pancreas में सूजन आ सकती है जिसे pancreatitis कहते है. इस बीमारी में pancreas के एंजाइम असंतुलित मात्रा में निकालने लगते है जिससे मरीज़ को पेट में बहुत तेज दर्द होता है. इस बीमारी का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया जाये तो यह लंबी बीमारी का रूप ले सकती है और काफ़ी complication हो सकते हैं. pancreas में ही इन्सुलिन बनता है और इस बीमारी से सुगर का संतुलन भी बिगड़ सकता है. सुगर ज़्यादा भी हो सकती है और कम भी. अब बात करते है sexual और reproductive health की. लंबे समय तक heavy ड्रिंकिंग से आपके sex हॉर्मोन बनना कम हो जाते हैं. आपकी सेक्स की इच्छा कम होने लगती है. erection आने में और maintain करने में दिक़्क़त होती है और orgasm भी achieve नहीं कर पाते हैं.

महिलाओं में menstrual cycle पर भी असर होता है. infertility या बांझपन भी हो सकता है. अब बात करते हैं हमारी bones की. heavy drinking से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं और उनके फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है. मांसपेशियाँ में cramps भी आ सकते हैं. मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती है जिससे इंसान कमजोर हो जाता है. आगे बात करते है हमारे immune system की. हैवी ड्रिंकिंग से हमारा immune सिस्टम कमजोर पड़ जाता है और शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और निमोनिया और टी बी जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है. who ने पाया है कि दुनिया के 8.1% TB के केस alcohol से connected हैं. इसके अलावा अल्कोहल से मुँह, गले, breast, भोजन नली, बड़ी आँत, और लिवर के कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है. अब बात करते हैं alcohol के psychological असर की. heavy drinkers में anxiety, depression और bipolar disorder जैसी समस्यायें कॉमन हैं. अल्कोहल से हमारे इमोशन, मूड और व्यक्तित्व पर गहरा असर होता है. किसी चीज़ पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है. impulse कंट्रोल नहीं होता. याददाश्त कमजोर हो जाती है. इसके अलावा alcohol की लत की वजह से भी काफ़ी समस्यायें खड़ी हो जाती है जिस में मरीज़ alcohol नहीं पीने पर withdrawal symptoms आने लगते हैं जैसे की हाथों का काँपना, nervous होना, anxiety होना, ज्यादा पसीने आना, जी घबराना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, दौरे आना, चीजें दिखाई देना और बहकी बहकी बातें करना. इसके अलावा मरीज़ के पारिवारिक रिश्तों पर भी असर होता है और घर पर आये दिन तनाव होना एक आम बात हो जाती है. heavy drinking से आप का financial burden भी बढ़ता है. तो दोस्तों, इस वीडियो में आप ने जाना कि कैसे अल्कोहल का सेवन शरीर के लिए हर तरह से नुक़सानदायक है. दोस्तों अगर आप धूम्रपान यानी कि स्मोकिंग की समस्या से परेशान है और इसे तुरंत छोड़ना चाहते हैं तो आप राइट में दिए गए वीडियो को देखें जिसमें मैंने धूम्रपान छोड़ने के आसान तरीकों के बारे में बताया है|

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धूम्रपान छोड़ने के बाद क्या होता है? | Smoking Withdrawal Symptoms | Smoking छोड़ने के फ़ायदे https://thydoc.com/smoking-withdrawal-symptoms/ https://thydoc.com/smoking-withdrawal-symptoms/#respond Fri, 15 Mar 2024 07:58:54 +0000 https://thydoc.com/?p=1441 The post धूम्रपान छोड़ने के बाद क्या होता है? | Smoking Withdrawal Symptoms | Smoking छोड़ने के फ़ायदे appeared first on Thydoc Health.

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दोस्तों, अगर में आपको ये कहूँ की आपकी आख़िरी सिगरेट पीने के बीस मिनट में ही आपके शरीर में positive बदलाव आने लगते है तो क्या आप विश्वास करेंगे? अगर बीस मिनट में ऐसा हो सकता है, तो आप ये सोचिए कि अगर आप सिगरेट पूरी तरह से छोड़ देंगे तो आपके स्वास्थ्य पर क्या चमत्कारिक प्रभाव होगा. दोस्तों, क्या ये fact आपको सिगरेट छोड़ने के लिये प्रेरित नहीं करता? तो आइए मैं आपको आज विस्तार में बताता हूँ की स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने के बाद आपके शरीर पर क्या क्या असर होगा. नमस्कार दोस्तों, मैं डॉक्टर ऋषभ शर्मा, thydoc हेल्थ पे आपका स्वागत करता हूँ. thydoc health आपको scientifically backed सही और ज़रूरी मेडिकल एजुकेशन आसान शब्दों में देने के लिए प्रतिबद्ध है और  आगे भी ऐसी ज़रूरी मेडिकल जानकारी प्राप्त करने के लिये आप हमारे  चैनल को subscribe करें और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें.

दोस्तों, smoking का बुरा असर आपको सर से ले कर पैर तक हो सकता है. जहां एक तरफ़ इससे heart अटैक का ख़तरा बढ़ता है वही lung cancer के अलावा और भी कई कैंसर का कारण भी साबित हो सकता है. पर दोस्तों, अभी भी देर नहीं हुई है! आप स्मोकिंग की इस बुरी आदत को छोड़ सकते हैं क्योंकि smoking छोड़ने से आपके शरीर में बहुत से positive बदलाव देखे जाते है. कैसे? आइए जानते हैं!  अपनी आख़िरी  सिगरेट के बीस मिनट बाद ही आपके दिल की धड़कन और blood प्रेशर normal होने लगते हैं. बारह से चौबीस घंटे बाद खून में carbon mono oxide जैसी ज़हरीली गैस  कम होने लगती है. carbon mono oxide की वजह से  सरदर्द, जी घबराना, चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज होना जैसे लक्षण हो सकते हैं क्योंकि ये खून में ऑक्सीजन की जगह ले लेती है और ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. ऑक्सीजन का लेवल कम होने से आपकी एक्सरसाइज करने की क्षमता भी कम हो जाती है और आप जल्दी थक जाते हैं. सिगरेट छोड़ने के बारह से चौबीस घंटे में ही इस गैस के कम होने से और शरीर में ऑक्सीजन बढ़ने से आपकी एक्सरसाइज capacity बढ़ जाती है. आख़िरी सिगरेट पीने के चौबीस घंटे बाद आपका हार्ट अटैक होने का ख़तरा कम हो जाता है. अगर आपको पहले दिल का दौरा पड़ा था और अब आप स्मोकिंग छोड़ देते हैं तो भी आपको दुबारा दिल का दौरा पड़ने का रिस्क आधा हो जाता है. दोस्तों, स्मोकिंग आपके taste और smell sensation वाली कोशिकाओं को नष्ट करती है जिससे ये sensation कम हो जाते है. स्मोकिंग छोड़ने के 48 घंटे बाद आपके सूंघने और स्वाद को sense करने वाले cells फिर से recover होने  लगते हैं. जिससे आप फिर से better तरीक़े से smell appreciate कर सकते हैं और खाने का स्वाद भी उठा सकते हैं. 

स्मोकिंग का असर फेफड़ों से जुड़ी साँस की नलियों या bronchioles को भी होता है. स्मोकिंग से ये bronchioles सिकुड़ जाती है जिससे साँस का प्रवाह रुक जाता है और दमे जैसी शिकायत हो सकती है. स्मोकिंग छोड़ने के  72 घंटे बाद bronchioles यानी साँस की नलियाँ relax होने लगती हैं और आपको साँस आसानी से आने लग जाती है. आपको शरीर में स्फूर्ति महसूस होने लगती है. 

दोस्तों, अक्सर आपने देखा होगा की जो लोग smoking करते हैं उनके दांत पीले होते हैं, उनके मुँह से बदबू आने लगती है और उन्हें मुँह के इन्फेक्शन का रिस्क भी ज़्यादा होता है. स्मोकिंग छोड़ने के एक सप्ताह बाद ही आपका oral hygiene improve होने लगता है और आपको ख़ुद महसूस होता है की मुँह साफ़ है और बदबू भी नहीं आ रही है . 

स्मोकिंग छोड़ने के दो से बारह हफ़्ते बाद आपके शरीर में blood circulation improve होने लगता है. आपके हाथ पैरों में गर्माहट लौट आती है, sensation लौट आते हैं. अच्छे blood circulation से pulse और ब्लड प्रेशर भी improve होते हैं. 

दोस्तों आपने ध्यान दिया होगा की कैसे smokers को सर्दी खांसी ज़ुकाम बार बार होता रहता है. अगर आप स्मोकिंग छोड़ देते हैं तो स्मोकिंग छोड़ने के बारह हफ़्तों में आपकी immunity इम्प्रूव होने लगती है यानी रोग से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है और आप को नार्मल सर्दी जुखाम होना कम हो जाता है, आप बार बार बीमार नहीं होते हैं. यहाँ तक कि स्मोकिंग छोड़ने के मात्र एक महीने बाद ब्रेन के nicotine receptor नार्मल होने लगते है जिससे यह addiction cycle टूटता है. और आपको सिगरेट की cravings होना बंद हो जाती है. एक से नौ महीने बाद आपको लगने लगेगा की आपके शरीर में energy बढ़ गई है. आपकी खांसी कम हो जाएगी और साँस बेहतर आने लगेगी. फेफड़ों में छोटे बाल जैसे cilia फिर से उगने लगेंगे. ये cilia फेफड़ों को साफ़ रखने में और फेफड़ों को इन्फेक्शन से बचाने में मदद करते हैं. एक से नौ महीने बाद आपके फेफड़ों का फंक्शन दस प्रतिशत तक बढ़ जाता है. स्मोकिंग छोड़ने के एक साल बाद आपके heart disease और heart अटैक का ख़तरा किसी भी smoker की तुलना में आधा हो जाता है. स्मोकिंग से आपको मुँह, गले, oesophagus और यूरिनरी bladder के कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. स्मोकिंग छोड़ने के दो से पाँच साल बाद आपको इन सभी कैंसर का ख़तरा कम हो जाता है. यहाँ तक कि अगर महिलाएँ स्मोकिंग छोड़ें तो  cervical cancer का ख़तरा भी कम हो जाता है. 

Smoking से खून में थक्के ज़्यादा बनने लगते हैं और ये थक्के मश्तिष्क की धमनियों में जा कर blood circulation को रोक सकते हैं, जिस वजह से स्ट्रोक और लकवा हो सकता है. पर स्मोकिंग छोड़ने के पाँच साल बाद स्ट्रोक का रिस्क भी किसी स्मोकर की तुलना में काफ़ी कम हो जाता है. दस साल बाद lung cancer, pancreatic कैंसर और larynx कैंसर का रिस्क भी किसी स्मोकर की तुलना में आधा हो जाता है. पंद्रह साल बाद आपका heart किसी non स्मोकर के हार्ट की तरह स्वस्थ हो जाता है. तो दोस्तों! हमने जाना की कैसे स्मोकिंग छोड़ने से इतने positive effects आपके शरीर पर होंगे. पर दोस्तों, नशे की अगर लत किसी को होती है तो उस नशे की आदत को छोड़ने पर उसके कुछ withdrawal symptoms भी आपको होंगे. स्मोकिंग छोड़ने के एक दिन में यानी चौबीस घंटों में आपको restless लगने लगेगा, anxiety होने लगेगी, किसी काम में मन नहीं लगेगा, ये सभी लक्षण यह दर्शाते हैं की आपको nicotine जो सिगरेट में होता है उसकी तलब होने लगी है और उसको छोड़ने के withdrawal symptoms आ रहे है पर इन लक्षणों से घबराने की ज़रूरत नहीं है अगर आप nicotine patch से या किसी भी और तरीक़े से स्मोकिंग की अपनी तलब को दो हफ़्ते तक कंट्रोल कर पाते हैं तो आपको दो हफ़्ते बाद ये withdrawal symptoms कम हो जाते हैं और आपको सिगरेट की तलब भी कम हो जाती है. तो दोस्तों इन withdrawal symptoms को एक कठिन परीक्षा समझ के बर्दाश्त कर ले क्योंकि किसी बुरे समय के तरह ये भी कुछ दिनों बाद चले जाएँगे. आप बस smoking छोड़ने के बाद होने वाले positive effects को याद रखें. 

मैं उम्मीद करता ही दोस्तों आज अपने स्मोकिंग छोड़नेका मन बना ही लिया होगा,

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Alcohol Abuse यानी शराब की लत छोड़ने के फायदे | Side Effect of Alcohol Addiction https://thydoc.com/side-effect-of-alcohol-addiction/ https://thydoc.com/side-effect-of-alcohol-addiction/#respond Fri, 15 Mar 2024 07:50:57 +0000 https://thydoc.com/?p=1428 The post Alcohol Abuse यानी शराब की लत छोड़ने के फायदे | Side Effect of Alcohol Addiction appeared first on Thydoc Health.

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शराब के नुकसान या फायदे? | आपका शरीर Alcohol कैसे Digest करता है? | शराब शरीर पर कैसे असर करती है? https://thydoc.com/%e0%a4%b6%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ac-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87/ https://thydoc.com/%e0%a4%b6%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%ac-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87/#respond Wed, 13 Mar 2024 08:05:47 +0000 https://thydoc.com/?p=1210 The post शराब के नुकसान या फायदे? | आपका शरीर Alcohol कैसे Digest करता है? | शराब शरीर पर कैसे असर करती है? appeared first on Thydoc Health.

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शराब के नुकसान या फायदे? | आपका शरीर Alcohol कैसे Digest करता है? | शराब शरीर पर कैसे असर करती है?

शराब के नुकसान या फायदे? | आपका शरीर Alcohol कैसे Digest करता है? | शराब शरीर पर कैसे असर करती है?

दोस्तों, क्या आप जानते हैं की शराब हमारे शरीर में जा कर कैसे शरीर से बाहर निकलती है? यानी शराब या अल्कोहल का मेटाबोलिज्म कैसे होता है? क्या ये मेटाबोलिज्म पुरुषों और महिलाओं दोनों में एक ही तरह से होता है? आखिर शरीर का कौनसा वह अंग है जो अल्कोहल को प्रोसेस करने में मुख्य भूमिका निभाता है? आईये, आज के इस वीडियो में हम यही सब जानेंगे. दोस्तों, अगर आप स्वास्थ्य से जुड़ी scientific जानकारी आगे भी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे चैनल Thydoc health को सब्सक्राइब करना ना भूले और ये वीडियो अपने दोस्तों और परिवार में शेयर जरूर करें.

दोस्तों शराब का पाचन शरीर में दूसरे food item की तरह नहीं होता है. जब हम अल्कोहल या शराब पीते है और शराब हमारे मुँह से हो कर जाती है तब सबसे पहला अल्कोहल का absorption हमारी जीभ से होता है. शराब के शरीर पर dehydrating इफ़ेक्ट होते हैं और जैसे ही शराब जीभ की सतह से हो कर जाती है वह जीभ को सुखा देती है और जीभ पर एक सफ़ेद परत बन जाती है. और इस सफ़ेद परत के बनने का कारण ये है की शराब के सेवन से जीभ की सतह पर स्वाद के लिए पाए जाने वाले papilla में inflammation होने लगता है यानी सूजन आने लगती है और वहाँ बैक्टीरिया और मृत कोशिकाएं इसमें इकट्ठी होने लगती है और ये बैक्टीरिया और सूजन से ही जीभ पर एक सफ़ेद परत बन जाती है. पर किसी भी पेय पदार्थ की तरह शराब का संपर्क भी जीभ के साथ कुछ सेकण्ड्स का ही होता है और शराब मुँह से हो कर हमारे भोजन नली यानी oesophagus से होते हुए हमारे पेट में पहुंचती है. पेट अगर खाली है यानी अगर पेट में कोई सॉलिड फ़ूड नहीं है तो अल्कोहल पेट से तुरंत ही छोटी आंत यानी small intestine में पहुँच जाती है और वहाँ से छोटी आंत की दीवारों से capillaries यानी छोटी छोटी blood vessels से होते हुए खून तक पहुँच जाती है और इस तरह ख़ाली पेट शराब की एक ड्रिंक पीने के करीब आधे घंटे में ही एक ड्रिंक पूरी तरह अब्सॉर्ब हो जाती है यानी हमारे खून तक पहुँच जाती है और आपको intoxication यानी शराब का नशा होने लगता है. पर अगर आपने खाना खाया हुआ है यानी पेट में भोजन है तो अल्कोहल भोजन के साथ मिल जाता है और तुरंत छोटी आंत तक नहीं पहुँच पाती है. इसलिए खाने के साथ ली हुयी एक ड्रिंक से अल्कोहल का इफ़ेक्ट बहुत धीरे धीरे आता है और अल्कोहल का peak इफ़ेक्ट भी लेट आता है. अल्कोहल पेट में एसिड के secretion को भी बढ़ाता है इसलिए जो शराब के आदि है उन्हें अक्सर पेट में अलसर हो जाते हैं और पेट में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है इसलिए हमेशा शराब के साथ अच्छी डाइट और खासकर फैटी खाना खाना चाहिए। studies में देखा गया है की fatty foods के साथ अगर अल्कोहल ली जाए तो खाली पेट अल्कोहल पीने की तुलना में अल्कोहल कि peak blood concentration पचास प्रतिशत तक कम देखी गई है. इसीलिए शराब के साथ अगर आप एक हैवी मील लेते हैं तो शराब का पीक इफ़ेक्ट इतना जल्दी नहीं आ पाता है.

(शराब का मुख्य absorption छोटी आंत से होता है क्यूंकि छोटी आंत का surface एरिया बहुत ज्यादा होता है और ये इसलिए होता है क्यूंकि छोटी आंत बहुत सारे ऊंगलीनुमा projections होते हैं जिन्हें villi कहते हे जो small intestine का सरफेस एरिया और बढ़ा देते हैं. और सरफेस एरिया ज्यादा होने से छोटी आंत से पोषक तत्व अच्छी तरह अब्सॉर्ब हो पाते हैं. हमारे शरीर के सभी अंगों की तरह हमारा पेट और छोटी आंत भी बहुत सारी छोटी छोटी capillaries से घिरा होता है. जैसे ही अल्कोहल छोटी आंत के epithelial सेल्स को क्रॉस करता है और और capillaries की दीवार को क्रॉस कर के खून तक पहुंचता है वैसे ही वह खून के बहाव के साथ veins में पहुँच जाता है और veins अल्कोहल को शरीर के दूसरे अंगों तक ले जाती है जैसे की लिवर, किडनी, ब्रेन, लंग्स)

और यहाँ तक की अगर गर्भवती महिला अल्कोहल का सेवन करती है तो अल्कोहल अजन्मे बच्चे तक भी पहुँच जाता है. जब अल्कोहल हमारे मस्तिष्क में पहुँचता है तो वहाँ अल्कोहल हमारे neurotransmitter में बदलाव करता है जो हमारे स्वभाव और thoughts को बदलता है. अल्कोहल हमारे neurons यानी ब्रेन cells में ट्रांसमिशन को भी ब्लॉक करता है और फिर अल्कोहल intoxication के असर नजर आने लगते हैं यानी नशा होने लगता है- जैसे की मूड में बदलाव, ठीक से सोच न पाना, कोई decision ना ले पाना, impulsive behaviour, जबान का लड़खड़ाना, कुछ याद न रहना, reflexes slow हो जाना, ठीक से चल न पाना और पैरो का लड़खड़ाना। और ये सभी असर इस बात पे निर्भर करते है की आपने कितनी शराब पी है। जितनी ज्यादा शराब आप पियेंगे उतना ज्यादा ये असर आपको होंगे. इसके अलावा शराब मस्तिष्क में dopamine का secretion भी करता है जो की एक pleasure हार्मोन है यानी इस hormone के secretion से आपको pleasure महसूस होता है इसलिए लोगों को शराब पीने के बाद अच्छा महसूस होता है. पर जितना ज्यादा शराब हम पीते है उतना कम dopamine secrete होता है इसीलिए लोग उस same pleasure वाली फीलिंग पाने के लिए शराब और ज्यादा पीने लगते है और धीरे धीरे अल्कोहल के एडिक्ट हो जाते हैं.

दोस्तो हमारे शरीर का वह मुख्य अंग जहां अल्कोहल प्रोसेस होता है वह है लिवर. लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है और लिवर का मुख्य काम होता है शरीर से हर तरह के टॉक्सिक पदार्थों को शरीर से बाहर करना। अल्कोहल intake का नब्बे प्रतिशत भाग लिवर में metabolise होता है. लिवर करीबन 14 ग्राम अल्कोहल प्रति घंटे metabolise करता है. पर यह हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकता है. शरीर में किस दर से और कितना जल्दी अल्कोहल metabolise होगा ये इस बात पर निर्भर करता है की उस व्यक्ति की जनरल हेल्थ कैसी है, उसने कितनी शराब पी है, इसके पहले उसने कब और कितनी शराब पी थी, उसने शराब के साथ क्या खाया था और कितना खाया था, इसके अलावा उस व्यक्ति के जेनेटिक्स पर भी ये निर्भर करता है. और जब तक अल्कोहल पूरी तरह metabolise नहीं होता तब तक अल्कोहल हमारे ब्लड में रहता है और शरीर में बाकी जगह से निकलने लगता है जैसे की आपकी सांस के साथ और इसी वजह से ब्रेथ एनालाइजर में अल्कोहल डिटेक्ट हो जाता है. इसके अलावा पेशाब में, लार में और पसीने से भी अल्कोहल शरीर से निकलता है. लिवर में अल्कोहल के मेटाबोलिज्म में दो एंजाइम मुख्य भूमिका निभाते हैं. पहला एंजाइम है alcohol dehydrogenase और दूसरा है aldehyde dehydrogenase. ये दोनों एंजाइम मिल कर अल्कोहल के molecules को तोड़ते है ताकि अल्कोहल आसानी से शरीर से बाहर निकाला जा सके. दोस्तों, इस प्रक्रिया के दौरान कुछ ऐसे molecule भी बनते हैं जो अल्कोहल से ज्यादा हानिकारक होते हैं. और अगर ये लिवर में इकट्ठे होते जाए तो ये लिवर की बिमारी भी कर सकते हैं और लिवर को डैमेज भी कर सकते हैं. और दोस्तों, अल्कोहल का मेटाबोलिज्म महिलाओं और पुरुषों में same नहीं होता है और इसका कारण है दोनों में पाए जाने वाले अल्कोहल dehydrogenase या adh एंजाइम. पुरुषों में अल्कोहल dehydrogenase एंजाइम महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है और ये एंजाइम पुरुषों में लिवर और पेट दोनों अंगों में पाया जाता है जिस वजह से पुरुषों में पेट में पाए जाने वाले adh एंजाइम की वजह से अल्कोहल का अब्सॉर्प्शन पेट से तीस प्रतिशत तक कम होता है. जबकि महिलाओं में पेट में ये adh एंजाइम होता ही नहीं है और सिर्फ लिवर में adh एंजाइम होता है. और इस वजह से महिलाओं में पेट से अल्कोहल ज्यादा अब्सॉर्ब होता है और ब्लड तक पहुँचता है. और तो और, महिलाओं में लिवर में पाया जाने वाला adh एंजाइम पुरुषों में पाए जाने वाले एंजाइम की तुलना में कम सक्रिय होता है. तो अगर कोई महिला और पुरुष बराबर मात्रा में और बराबर समय तक अल्कोहल का सेवन करते हैं तो महिलाओं में अल्कोहल का नशा ज्यादा होता है और जल्दी होता है.

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